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Movie Review: दिमाग पर भारी 'ढिशूम'

जॉन अब्राहम और वरुण धवन के ब्रोमांस वाली फिल्म 'ढिशूम' आज रिलीज हो गई है. फिल्म में क्रिकेट से लेकर कॉमेडी तक हर मसाला डाला गया है. आइए जानते हैं कैसी है फिल्म...

'ढिशूम' में जॉन और वरुण 'ढिशूम' में जॉन और वरुण
नरेंद्र सैनी
  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 4:11 PM IST

रेटिंगः 2.5 स्टार
डायरेक्टरः रोहित धवन
कलाकारः जॉन अब्राहम, वरुण धवन, अक्षय खन्ना और जैकलीन फर्नांडिस

कोई भी फिल्म कहानी जैसे महत्वपूर्ण फैक्टर पर टिकी होती है. कहानी में दम है तो फिल्म के बॉक्स ऑफिस रूपी वैतरणी को पार करने में कोई दिक्कत नहीं आती और अगर कहानी में ही लोचा है तो फिल्म में फिर जितना भी स्टाइल और स्वैग डाला जाए उसकी किस्मत को बदला नहीं जा सकता. लेकिन देखा गया है कि बॉलीवुड में सितारों के नाम पर कई खराब फिल्में भी अच्छा कर जाती हैं और यही बात गलत रुझान पैदा भी कर रही है.

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'ढिशूम' ऐसी ही फिल्म है जो इन सारे फैक्टर्स के बीच झूलती नजर आती है. फिल्म की कहानी प्रेडिक्टेबल है. कैरेक्टर काफी कुछ 1970-80 के दशक जैसे हैं. रोहित धवन ने फिल्म में हर वह मसाला पिरोने की कोशिश की जो फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर घसीटने में मदद कर सके. लेकिन फिल्म में बांधकर रखने वाले फैक्टर मिसिंग हैं.

कहानी में कितना दम:
साकिब सलीम एक क्रिकेटर हैं और उनका अपहरण हो जाता है. दो दिन बार भारत का पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच है. फिर लिफ्ट से लेकर प्लेन के पास तक खड़े होकर सिगरेट पीने वाले अधिकारी जॉन अब्राहम को इस क्रिकेटर को ढूंढने का काम सौंपा जाता है, जो उसे बहुत ही खामोशी के साथ करना होता है. वह एक निकम्मे साथी वरुण धवन को अपने इस काम में मदद के लिए चुनता है.

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इस काम में एक छोटी-मोटी चोरनी जैकलीन उनकी मदद करती है. विलेन के तौर पर अक्षय खन्ना का आगाज होता है, और उनके काम से ज्यादा उनका नाम सुनकर मजा आता है 'वाघा.' फिल्म पूरी तरह से रोहित शेट्टी के अंदाज में चलती है, कुछ कॉमेडी का छौंक लगाओ, शानदार एक्शन घुसाओ और कहानी को बैकसीट पर डाल दो.

स्टार अपील:
जॉन अब्राहम एक्शन अच्छा कर लेते हैं और एक्टिंग भी उनकी बढ़िया ही है. सख्त अधिकारी के तौर पर वे अपने कैरेक्टर में एकदम सेट बैठे हैं, और उन्होंने अपने रोल को बखूबी निभाया भी है. वरुण धवन को फिल्म में हंसाने का जिम्मा सौंपा गया है और उन्हें कुछ पंच लाइनें दी गई हैं. ये पंच लाइनें थोड़ा तंग करती हैं और हर फिल्म के साथ ऐसा लगता है कि ड्वेन जॉनसन 'द रॉक' और गोविंदा कुछ ज्यादा ही उन पर हावी हैं. उनकी एक्टिंग में गोविंदा का पुट तो बहुत नजर आता है, और खास तौर पर कॉमेडी और डांस के समय. फिर परिणीति चोपड़ा के साथ उनका डांस नंबर हमें गोविंदा के अंदाज के गानों की यादें ताजा कर देता है.

जैकलीन फर्नांडिस का रोल भी ठीक है, उन्हें जो सौंपा गया है, वह उसे निभाने की भरपूर कोशिश करती हैं. अक्षय खन्ना विलेन के किरदार में लौटे हैं लेकिन वह डरा नहीं पाते हैं और वह एक्टिंग तो अच्छी कर ही लेते हैं लेकिन उनका कैरेक्टर काफी कमजोर और पुराने टाइप का है. अक्षय कुमार अगर फिल्म में मजाकिया टाइप का कैमियो न भी करते तो फिल्म की सेहत पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं था.

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कमाई की बात:
'ढिशूम' बड़े बजट की फिल्म है, जिसमें एक्शन और लोकेशंस पर अच्छा-खासा खर्च किया गया है. अगर थोड़ा टाइम कहानी पर भी लगाया गया होता तो अच्छा लगता और स्टीरियोटाइप चीजों से बचते फिल्म और एक्टर दोनों की सेहत के लिए बढ़िया होता. फिल्म में क्रिकेट जैसा फैक्टर भी डाला गया है और भारतीय टीम के खिलाड़ियों के नामों को जोड़कर विराज शर्मा जैसा कैरेक्टर भी गढ़ा गया है.

इसका बजट 60-70 करोड़ रुपये के बीच है. इस तरह फिल्म के लिए बॉक्स ऑफिस पर सफर आसान नहीं रहेगा. लेकिन यह है कि अगर दिमाग पर जोर नहीं डाला जाए तो ढिशूम एक बार देखी जा सकती है.

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