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Movie Review: किश्तों में अच्छी लगती है 'वीरप्पन'

रामगोपाल वर्मा की फिल्म 'वीरप्पन' आज यानी 27 मई को हुई है. आइए जानते हैं कैसी है ये फिल्म.

वीरप्पन वीरप्पन
स्वाति गुप्ता
  • मुंबई,
  • 27 मई 2016,
  • अपडेटेड 11:22 AM IST

फिल्म का नाम: वीरप्पन
डायरेक्टर: रामगोपाल वर्मा
स्टार कास्ट: संदीप भरद्वाज, उषा जाधव, सचिन जोशी, लीजा रे
अवधि: 2 घंटा 05 मिनट
सर्टिफिकेट: A
रेटिंग: 2 स्टार

रामगोपाल वर्मा ने एक जमाने में 'सत्या' 'कंपनी' 'रंगीला ' जैसी फिल्मों के बाद 'सरकार' और 'सरकार राज' जैसी फिल्में भी दर्शकों को दी हैं. लेकिन पिछले 4-5 सालों में रामगोपाल वर्मा की तरफ से ऐसी कोई फिल्म नहीं आई जिसे बॉलीवुड में काफी सराहा गया हो. वैसे साउथ में सुपर हिट हो जाने के बाद रामगोपाल वर्मा ने अब हिंदी में भी 'वीरप्पन' फिल्म बनायी है. आइए जानते हैं कैसी है ये फिल्म.

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कहानी:
फिल्म की कहानी साउथ में कर्नाटक और तमिलनाडु के बॉर्डर पर बेस्ड घने जंगल में रहने वाले डाकू 'वीरप्पन' (संदीप भारद्वाज) की है जो अपने खूंखार मिजाज की वजह से काफी फेमस हो चुका था. साल 2004 में वीरप्पन को पकड़ने के लिए एक खास ऑपरेशन को पुलिस अफसर (सचिन जोशी) के अंडर में अंजाम दिया जाता है और वीरप्पन मार गिराया जाता है. फिल्म में वीरप्पन की पत्नी मुत्तुलक्ष्मी और एक शहीद पुलिस अफसर की वाइफ प्रिया (लीजा रे) के बीच भी कई सारे सीक्वेंस दिखाये गए हैं जो इस ऑपरेशन को और भी रोमांचक बनाते हैं.

स्क्रिप्ट:
फिल्म की कहानी तो गूगल पर भी मिल जाती है क्योंकि ये वीरप्पन को पकड़े जाने के ऑपरेशन पर ही बेस्ड है लेकिन उसमें ड्रामा भरने की भरपूर कोशिश की गई है. आर डी तैलंग ने फिल्म की स्टोरी लिखी है, वहीं रामगोपाल वर्मा ने अपनी ही स्टाइल में स्क्रीनप्ले को अंजाम दिया है.

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इंटरवल से पहले कहानी इधर उधर भटकती रहती है लेकिन लास्ट के 25-30 मिनट दिलचस्प दिखाई पड़ते हैं जब वीरप्पन को पकड़े जाने के ऑपरेशन को अंजाम दिया जाता है. फर्स्ट हाफ को और भी ज्यादा बेहतर बनाया जा सकता था.

अभिनय:
फिल्म में एक्टर संदीप भारद्वाज को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 'वीरप्पन' कितना खूंखार डाकू हुआ करता था. इस फिल्म में उन्होंने बहुत ही अच्छी एक्टिंग की है. वहीं, उषा जाधव ने वीरप्पन की पत्नी के रूप में उम्दा काम किया है. सचिन जोशी और लीजा रे ने ठीक ठाक काम किया है.

कमजोर कड़ी:
फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी इसका फर्स्ट हाफ है जिसे बेहतर बनाया जा सकता था. साथ ही फिल्म के दौरान आने वाला बैकग्राउंड म्यूजिक भी आपको एक वक्त के बाद परेशान करने लगता है क्योंकि वो काफी लाउड है.

संगीत:
फिल्म में टाइटल ट्रैक 'वीरप्पन' कई बार टुकड़ों टुकड़ों में सुनाई देता है लेकिन बैकग्राउंड स्कोर बहुत ही लाउड है .

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