
रेटिंगः 2 स्टार
डायरेक्शनः अजय देवगन
कलाकारः अजय देवगन, एरिका कार, सायशा सहगल, वीर दास और एबिगेल
अजय देवगन को यह बात समझ लेनी चाहिए कि उन्हें रोहित शेट्टी बनने की कोई जरूरत नहीं है. वे एक अच्छे ऐक्टर हैं. ऐक्शन करते हुए अच्छे लगते हैं. ऐक्टिंग भी अच्छी करते हैं. डायरेक्टर का जिम्मा लेकर उनको जोखिम उठाने से बचना चाहिए. राजू चाचा, यू मी और हम के बाद वे एक और गलती की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं. शिवाय में टाइटल सांग को छोड़ दिया जाए तो फिल्म बहुत ही औसत बनाई गई है. अजय देवगन की फिल्मों के डायलॉग यादगार रहते हैं , जैसा सिंघम में देखने को मिलता है. उनके ऐक्शन मजेदार लगते हैं जैसे गोलमाल में वे उंगली मरोड़ देते हैं. ऐक्टिंग और उनकी आंखें तो प्लस पॉइंट है ही. लेकिन शिवाय में ऐसी कोई बात नहीं है, जो याद रहे. फिल्म की कहानी काफी कमजोर है, फिल्म की लेंथ बहुत ज्यादा है और एक समय आने पर लगता है कि फिल्म कब खत्म होगी.
कहानी में कितना दम
बर्फीले पहाड़ों पर पर्यटकों और सैनिकों की मदद करता है शिवाय (अजय देवगन) . वह पहाड़ों का बादशाह है और एक दिन एक विदेशी लड़की से उसे इश्क हो जाता है. दोनों के जिस्मानी रिश्ते बन जाते हैं. यहीं कहानी में लोच आता है. लड़का-लड़की मिलते हैं, और लड़की प्रेगनैंट हो जाती है. वही घिसा-पिटा फंडा. फिर शिवाय को बच्चा चाहिए लड़की को नहीं. दोनों में तकरार. बच्ची जो पैदा होती है, वे बोल नहीं सकती. पिता एक बेटी को बिछड़ी मां से मिलाने बुलगारिया लेकर जाता है, और एक ऐसे चक्रव्यूह में फंस जाता है जिससे निकलना मुश्किल होता है. फिर खत्म न होने वाली भाग दौड़ शुरू होती है. कहानी यहां-वहां भागती है और अगर कुछ रह जाता है तो वह है अजय देवगन का ऐक्शन. न तो अच्छे संवाद है और कैरेक्टराइजेशन इतना कमजोर है कि कैरेक्टर आसानी से गले नहीं उतरते हैं और उनसे कनेक्शन भी नहीं मिलता है. ऐसा लगता है अजय देवगन खुद को दिखाने के लिए फिल्म को खींचे जा रहे हैं.
स्टार अपील
अजय देवगन एक्टिंग अच्छी करते हैं. लेकिन वे अपने कैरेक्टर को उतना मजबूती से पेश नहीं कर सके हैं जैसा सिंघम या सन ऑफ सरदार जैसी फिल्मों में वे नजर आ चुके हैं. सर्दी का मौसम है तो उन्हें कपड़े भी पहनने पड़े हैं, और ऐसे में उनकी बॉडी नजर नहीं आती है और वे ऐक्शन करते हुए पहले जितने कनविंसिंग भी नहीं लगे हैं. एरिका कार का खास रोल नहीं है, सायशा सहगल को भी इस फिल्म से कोई फायदा होता नहीं दिख रहा. वीर दास भी एवरेज हैं. गिरीश कर्नाड का कैरेक्टर क्यों डाला गया है समझ के बाहर है. विलेन भी कोई असर नहीं डाल पाते हैं. कुल मिलाकर सबकुछ बहुत ही कमजोर है. एबिगेल की ऐक्टिंग ठीक है.
कमाई की बात
शिवाय का बजट लगभग 90 करोड़ रु. बताया गया है. इस तरह बहुत बड़े बजट की फिल्म है. फिल्म का संगीत अच्छा है. लेकिन कमजोर कहानी और कमजोर कैरेक्टराइजेशन की वजह से फिल्म निराश करती है. अजय देवगन को डायरेक्शन से तौबा करनी चाहिए क्योंकि इससे बतौर कलाकार उनकी इमेज पर असर पड़ता है. लेकिन इतना है कि फिल्म में ढेरों ऐक्शन है जो शायद अजय देवगन के फैन्स को पसंद आ सकते हैं लेकिन फिल्म से किसी तरह के कीर्तिमान की उम्मीद तो कम ही लगती है.
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