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मध्य प्रदेशः विंध्य के नए बाघ बहादुर

व्हाइट टाइगर सफारी को विंध्य गौरव से जोड़कर शिवराज सिंह 'चौहान कांग्रेस के पुराने गढ़ को और कमजोर करने की तैयारी में. पार्टी विंध्य क्षेत्र के लोगों को एहसास कराना चाहती है कि उन्हें भी चंबल, मालवा, महाकौशल, निमाड़ जितनी तवज्जो दी जा रही है.

पीयूष बबेले
  • सतना,
  • 11 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 3:09 PM IST

सफेद बाघ, वैज्ञानिकों के लिए तो बंगाल टाइगर की सामान्य प्रजाति में हुए मामूली जेनेटिक म्यूटेशन से ज्यादा कुछ नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र के लिए वह अपनी बघेली शाही ठसक का एक पुराना मुहावरा है. तभी तो 3 अप्रैल को जब सतना जिले के मुकुंदपुर गांव में सफेद बाघ सफारी का उद्घाटन किया गया तो माहौल चुनावी जलसे की तरह जोशीला और भावुक था. ताजा डाले गए कोलतार पर, अपनी चप्पलें चिपकी छोड़ आए गांववालों को इस बात की तसल्ली थी कि जिस सफेद बाघ को 1951 में राजा मार्तंड सिंह ने अपने महेंद्रगढ़ किले में पालकर दुनिया को सफेद बाघ से रू-ब-रू कराया था, आखिर उसके वंशज—कहावतों से निकलकर फिर इलाके में लौट आए. दूसरी तरफ, मंच पर बैठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, रीवा में उनके दाएं हाथ, स्थानीय विधायक और मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री राजेंद्र शुक्ल, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रकाश जावड़ेकर को तसल्ली थी कि बाघ की दहाड़ से अपने गढ़ में कांग्रेस की दीवारें हिलेंगी.

बाघ सफारी के इस राजनैतिक संकेत को समझना हो तो पिछले विधानसभा चुनाव को जेहन में लाना होगा. इस चुनाव में बीजेपी को प्रचंड जीत मिलने के बावजूद, रीवा और शहडोल संभाग के सात जिलों में फीकी जीत मिली थी. उस समय यहां की 28 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 16 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली थीं. वहीं, दो सीटें बीएसपी के खाते में गई थीं.

लगातार तीसरा विधानसभा चुनाव जीतने के बावजूद बीजेपी को कसक थी कि कांग्रेस के दिवंगत दिग्गज नेता अर्जुन सिंह और रीवा के बूढ़े 'सफेद शेर' श्रीनिवास तिवारी के कद की छाया में कमल खुलकर नहीं खिल पा रहा. इसलिए उस चुनाव के बाद से शिवराज सिंह चौहान का मिशन विंध्य लगातार जारी है. इसका एक हिस्सा कांग्रेस के पुराने नेता और कार्यकर्ताओं को बीजेपी से जोड़ने का है, तो दूसरा हिस्सा विंध्य क्षेत्र या बघेलखंड के लोगों को यह एहसास कराना कि पार्टी जितनी तवज्जो चंबल, मालवा, महाकौशल, निमाड़ जैसे दूसरे क्षेत्रों को देती है, उतनी ही उन्हें भी दी जा रही है.

तभी तो गौरी शंकर शेजवार के वन मंत्री होने के बावजूद मुख्यमंत्री ने ऊर्जा, खनिज और जनसंपर्क जैसे विभागों के मंत्री शुक्ल को व्हाइट टाइगर सफारी बनाने के लिए खुला हाथ दिया, तो दूसरी तरफ सतना जिले की ऐतिहासिक मैहर सीट को उपचुनाव के जरिए कांग्रेस से खींचकर बीजेपी की झोली में डालने के लिए भी उन्हें ही मुख्य रणनीतिकार बना दिया. यह रणनीति उन पुराने दिनों की याद दिलाती है, जब मुख्यमंत्री रहते हुए दिग्विजय सिंह कहा करते थे कि रीवा के मुख्यमंत्री तो श्रीनिवास तिवारी ही हैं.

चौहान-शुक्ल की इसी जोड़ी का असर है कि 2013 में मैहर से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतने वाले नारायण त्रिपाठी ने न सिर्फ अपनी विधायकी छोड़ दी, बल्कि इस साल फरवरी में बीजेपी के ही टिकट पर चुनाव लड़कर दोबारा जीत हासिल की. कहने को जीत छोटी है, लेकिन इस जीत ने पूरे इलाके में बीजेपी के माहौल का बेहतर किया है.

इसी माहौल का असर है कि तीन बार रीवा से कांग्रेस विधायक रहे रीवा नरेश पुष्पराज सिंह बाघ सफारी के उद्घाटन मंच पर न सिर्फ मौजूद थे, बल्कि चौहान और शुक्ल की तारीफ में कसीदे काढ़ रहे थे. उनके पुत्र दिव्यराज सिंह रीवा की सिरमौर सीट से बीजेपी विधायक हैं. अगर राजा-महाराजा पार्टी की तरफ लाए जा रहे हैं तो वंचित तबका भी पार्टी के रडार पर है. आदिवासियों को पार्टी से जोड़ने के लिए अनूपपुर में शबरी महाकुंभ, तो दलितों को पार्टी से जोडऩे के लिए संत रविदास महाकुंभ का आयोजन इसी साल किया गया. इन कार्यक्रमों में बड़ी भीड़ जोड़कर शिवराज ने बीजेपी की पारंपरिक राजनीति के मायने बदले हैं.

ऐसा नहीं है कि कांग्रेस शिवराज की इस रणनीति से नावाकिफ है. इसीलिए सफारी के उद्घाटन से एक दिन पहले विंध्य क्षेत्र के तीन कांग्रेसी विधायक सुंदरलाल तिवारी, जीतू पटवारी और सुखेंद्र सिंह बन्ना ने सफारी को लेकर विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया. वन मंत्री शेजवार ने सफारी निर्माण में भ्रष्टाचार की बात भी स्वीकार की. शेजवार ने इस मामले में तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की जानकारी भी दी. लेकिन कांग्रेस विधायक इससे सहमत नहीं हुए और उन्होंने सदन से बहिर्गमन किया. लेकिन इस राजनीति को किनारे रखने पर जोर देते हुए शुक्ल ने इंडिया टुडे से कहा, ''हम लोगों की हमेशा से यही पीड़ा थी कि अगर प्रदेश के दूसरे इलाकों को भोपाल से एक रुपया मिलता है, तो विंध्य को चार आने मिलते हैं. मुख्यमंत्री जी ने पहली बार विंध्य के लिए सवा रुपए का इंतजाम किया है.''

बुंदेलखंड के मशहूर खजुराहो से बघेलखंड के रीवा तक का रोड से सफर करें तो साफ दिखता है कि बुंदेलखंड में बड़ी संख्या में बिना बोए सूखे खेत नजर आते हैं, वहीं, बघेलखंड में थ्रेशर से भूसा उगलते खलिहान दिखते हैं. इसकी मुख्य वजह यह है कि रीवा के चार लाख हेक्टेयर इलाके को बाणसागर बांध परियोजना से पानी मिलने लगा है.—वैसे, इस परियोजना में सही मुआवजा न मिलने पर जब कुछ किसानों ने विरोध किया तो चौहान ने मंच से कहा, ''मैंने आपकी तख्तियां देख ली हैं. जब तक शिवराज जिंदा है, कोई विंध्यवासी परेशान नहीं रह सकता. कार्यक्रम के बाद आप मुझसे मिल लीजिए.'' बाद में उन्होंने सुरक्षा को ताक पर रखकर गांववालों की शिकायतें सुनीं भीं.

चौहान के इसी कार्यकाल में नीमच जिले में एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट बनकर तैयार हो चुका है, तो वहीं रीवा की गुढ़ कस्बे में इस साल जून तक 750 मेगावाट क्षमता का दुनिया के सबसे बड़े सोलर पावर प्लांट का भूमिपूजन हो जाएगा. विकास के इन कामों पर चौहान ने कहा, ''कृषि हमारी पहली प्राथमिकता है, लेकिन यह भी सचाई है कि इतनी बड़ी आबादी सिर्फ कृषि पर निर्भर नहीं रह सकती, इसलिए इस इलाके में पर्यटन को बढ़ावा देना है. सफेद बाघ सफारी उसी दिशा में एक कदम है.'' स्थानीय लोगों को लुभाने के लिए मुख्यमंत्री ने रीवा में लो कॉस्ट एयरपोर्ट चालू करने की भी घोषणा कर दी और रीवा को प्रमुख शहरों से जोड़ने वाले रास्तों को बेहतर बनाने की बात कही.

मंच पर ये सब बातें करने से पहले सारे नेताओं ने बैटरी वाली गाड़ी में बैठकर टाइगर सफारी का लुत्फ उठाया. सफारी भ्रमण की खास बात यह रही कि मुख्यमंत्री और बाकी मंत्रियों को घुमाने वाली गाड़ी की स्टियरिंग भी शुक्ल ने अपने हाथ में संभाल रखी थी. अब तक तो उन्होंने गाड़ी सही दिशा में आगे बढ़ाई है, लेकिन सब जानते हैं कि विंध्याचल को पार करना कितना मुश्किल होता है!

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