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हार गई टीम इंडिया पर फिर इज्जत बचाकर खुद 'जीत' गए धोनी!

अपनी इस जिम्मेदारी भरी पारी से धोनी ने एक बार फिर अपने आलोचकों को जवाब दिया है कि अभी उनमें दम है. ऐसा पहली बार नहीं है कि जब धोनी ने अकेले दम पर भारतीय टीम को संवारा हो और ऐसी पारी खेली हो.

फिर टीम के संकटमोचक बने धोनी फिर टीम के संकटमोचक बने धोनी
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:21 PM IST

भारत और श्रीलंका के बीच धर्मशाला में खेले गए पहले वनडे मैच को कोई नहीं भूल सकता है. नए कप्तान रोहित शर्मा के लिए ये पहला वनडे था, सभी को उम्मीद थी कि भारत अच्छा प्रदर्शन करेगा. लेकिन सिर्फ एक ही बल्लेबाज अपना दम दिखा पाया. जब पूरी टीम पत्तों की तरह बिखर रही थी, तब महेंद्र सिंह धोनी अकेले लड़ रहे थे.

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पुछल्लों के साथ बल्लेबाजी करते हुए धोनी ने 65 रनों की पारी खेली और भारत को शर्मनाक स्कोर से बचाया. एक समय पर ऐसा लग रहा था कि हम अपने सबसे निचले स्कोर पर पहुंचेंगे लेकिन धोनी के रहते ऐसा ना हो सका. हालांकि, भारत का यह घर में तीसरा सबसे कम वनडे स्कोर था. आपको बता दें कि भारत का घर में सबसे कम स्कोर श्रीलंका के ही खिलाफ है, 1986 में 78 रन कानपुर.

अपनी इस जिम्मेदारी भरी पारी से धोनी ने एक बार फिर अपने आलोचकों को जवाब दिया है कि अभी उनमें दम है. ऐसा पहली बार नहीं है कि जब धोनी ने अकेले दम पर भारतीय टीम को संवारा हो और ऐसी पारी खेली हो. भारतीय फैंस पहले भी ऐसे नज़ारे देख चुकी है. कुछ उदाहरण यहां हैं...

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45 नॉट आउट (श्रीलंका के खिलाफ, 2013)

वेस्टइंडीज के पोर्ट ऑफ स्पेन में ट्राई सीरीज के फाइनल में श्रीलंका लगभग जीत दर्ज कर चुका था. भारत को आखिरी ओवर में 15 रनों की जरूरत थी, और हाथ में सिर्फ 1 विकेट था. श्रीलंका जीत के लिए आश्वस्त था, लेकिन धोनी ने पहली चार गेंदों में 0,6,4,6 रन बनाकर श्रीलंकाई शेरों के जबड़े से जीत छीन ली. धोनी 45 रन बनाकर नाबाद लौटे. इस लो स्कोरिंग मैच में रोमांचकता की हर हद पार हुई.

44 नॉट आउट (ऑस्टेलिया के खिलाफ, 2012)

270 रनों का पीछा करते हुए गंभीर के 92 रनों की बदौलत भारत अच्छी स्थिति में था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया बीच-बीच में विकेट लेकर मैच में बना हुआ था. आखिरी ओवर में भारत को 13 रनों की जरूरत थी, और क्रीज पर धोनी के साथ अश्विन थे. अश्विन पहली 2 गेदों पर 1 ही रन बना सके. बाद में तीसरी गेंद पर 6 और अगली दो गेंदों पर 2 और 3 रन लेकर धोनी ने मैच खत्म किया.

50 नॉट आउट (श्रीलंका के खिलाफ, 2008)

ऑस्ट्रेलिया के ऐडिलेड में 239 रनों का पीछा कर भारतीय टीम लगातार दवाब में थी. भारत के विकेट लगातार गिर रहे थे, लेकिन धोनी एक छोर को पकड़े हुए थे और धीरे-धीरे लक्ष्य के करीब पहुंच रहे थे. पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ मिलकर धोनी ने 68 गेंदों में 50 रनों की स्लो इंनिंग खेलकर आखिरी ओवर में भारत को 2 विकेट से जीत दिलाई. धोनी ने इस पारी में एक भी चौका या छ्क्का नहीं लगाया.

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91 नॉट आउट (बांग्लादेश के खिलाफ, 2007)

251 रनों का पीछा करते हुए भारत की आधी टीम 144 रनों पर पवेलियन में बैठ चुकी थी. जीत मुश्किल थी, लेकिन दिनेश कार्तिक के साथ धोनी ने संघर्ष नहीं छोड़ा और टीम को 5 विकेट से जीत दिलाई. धोनी 91 रन बनाकर नाबाद लौटे, जबकि कार्तिक 58 रन बनाकर नाबाद लौटे. यहां धोनी ने साबित किया कि मुश्किल हालातों में उनकी बल्लेबाजी स्तर अलग स्तर पर चली जाती है.

113 पाकिस्तान (चेन्नई, 2012)

2012 में जब पाकिस्तान क्रिकेट टीम भारत आई थी, तो भारत को उस सीरीज में हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन सीरीज के दूसरे वनडे में धोनी ने ऐसी पारी खेली जो इतिहास में दर्ज हो गई.  चेन्नई की गर्मी में जब भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करने उतरी तो शुरुआती 9 ओवर में ही स्कोर 29 पर 5 विकेट हो गया. तब धोनी ने पहले रैना, फिर अश्विन के साथ मिलकर टीम को संभाला और 227 तक ले गए. हालांकि, भारत वह मैच हारा था, पर धोनी की ये पारी सभी को याद रही.

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