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'रॉक स्टार' संत राम रहीम की फिल्म 'MSG' का ट्रेलर सोशल मीडिया में छाया

संत रामरहीम की फिल्म आ रही है. नाम है 'एमएसजी'. फुलफॉर्म, मैसेंजर ऑफ गॉड. इसके ट्रेलर की टीवी की दुनिया में बमबारी हो गई है. फेसबुक और दूसरी सोशल साइट्स पर भी जमकर चर्चा हो रही है. उनके अनुयायियों में सहज कौतुहल और प्रशंसा का भाव है.

Ram Rahim MSG Ram Rahim MSG
सौरभ द्विवेदी
  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2014,
  • अपडेटेड 12:51 AM IST

ये देश में बिल्कुल नई, अपने किस्म की अलग शुरुआत है. अब तक धर्मगुरु अपने प्रचार कैसेट और दूसरी सामग्री बेचते थे. इसमें वह अलग-अलग छवियों में नजर आते. शुरुआत ओशो ने की. महर्षि महेश योगी का भी अपना ही ढंग था. आसाराम बापू ने इसे विस्तार दिया. उनकी पत्रिका 'गुरु प्रसाद' में कवर पेज पर हमेशा आसाराम ही होते. मनोहारी तस्वीरों का भ्रम पैदा करते. ओशो की तरह आसाराम को भी पगड़ियों का बहुत शौक था. मगर यहां बात हो रही है सिरसा में डेरा सच्चा सौदा चलाने वाले संत गुरुमीत रामरहीम की. उनका सिखों के साथ चर्चित विवाद हुआ. गुरु गोविंद सिंह की तरह बाना धारण करने को लेकर. कई केस और भी चल रहे हैं कोर्ट में. पर अभी चर्चा हो रही है रामरहीम के नए अवतार को लेकर. फिल्मी अवतार.

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उनकी फिल्म आ रही है. नाम है 'एमएसजी'. फुलफॉर्म, मैसेंजर ऑफ गॉड. इसके ट्रेलर की टीवी की दुनिया में बमबारी हो गई है. फेसबुक और दूसरी सोशल साइट्स पर भी जमकर चर्चा हो रही है. उनके अनुयायियों में सहज कौतुहल और प्रशंसा का भाव है. वहीं आलोचक निर्मम और मजाकिया हो रहे हैं. कोई उन्हें ब्रूस विलिस, कियानू रीव्स, सलमान खान और रणबीर कपूर का मिक्स्चर बता रहा है तो कोई कुछ और.

पर महागुरु कबीर कह गए हैं कि कागद की लेखी नहीं आंखन देखी पर यकीन करना चाहिए. तो हमने ट्रेलर देखा और जो समझ आया. आपसे साझा कर रहे हैं. पहले आप भी ट्रेलर देख लें, जिसकी चर्चा है चहुं ओर.

गुरुमीत रामरहीम अपने अध्यात्म को अब राष्ट्रवाद के कलेवर के साथ पेश कर रहे हैं. इसीलिए फिल्म का नायक हाथ में तिरंगा थामे दुश्मनों से लड़ता है. इस दौरान वह रजनीकांत की तरह हरकतें करता है. एक मुष्टिका प्रहार से अपनी ओर आते भारी-भरकम लकड़ी के लट्ठे को तोड़ डालता है. और हां, बैकग्राउंड में सिग्नेचर ट्यून चलती रहती है, एमएसजी, टेंड़ेंग टेंड़ेंग...एमएसजी टेंड़ेंग.

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फिल्म में रामरहीम सलमान खान की तरह बाइक स्टंट करते भी नजर आते हैं. रॉक स्टार की तरह गाना भी गाते हैं. शो के बाद वह सिर पर पानी की बोतल भी उड़ेलते हैं. हालांकि वह अपने असल स्वरूप को फिल्म में बनाए रखते हैं. वह वैक्सिंग के फेर में नहीं पड़ते. पर ध्यान रखें कि असल में भी रामरहीम भजनों के शो करते रहे हैं. यहां वह आधुनिक अवतार में ही सामने आते हैं. और गौर कीजिए कि उनकी सीडी की लाखों में बिक्री होती है. जाहिर है कि भक्तों की बदौलत. म्यूजिक कंपनियां भी धन्य धन्य हो जाती हैं.

रामरहीम विनम्रता की प्रतिमूर्ति नजर आते हैं. वह फिल्म में साफ कहते हैं कि ‘कोई हमें संत कहता है, कोई कहता है फरिश्ता, कोई कहता है गुरु, तो कोई कहता है भगवान, लेकिन हम तो हैं सिर्फ एक इंसान.’

और जब इस रॉक स्टार इंसान का एक दुश्मन बोलता है, किल हिम. तो दूसरा विलेन क्या कहता है. जोक नहीं है गुरु जी को मारना. उनको मारने का मतलब है पूरे हिंदुस्तान से पंगा. इससे क्या होगा. इससे यह होगा कि जो रामरहीम को नहीं जानते हैं, अच्छे से जान जाएंगे. गुरुओं की आभा ऐसे ही बढ़ती है. दूसरा, गुरु को राष्ट्रव्यापी बता दिया गया है इस संवाद से. यानी रामरहीम अखिल भारत में व्याप्त हैं अपने भक्तों के जरिए.

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फिल्म में रामरहीम कुछ तालीमार डायलॉग मारने की कोशिश भी करते हैं. मसलन, हम ऐसे बाप हैं, जो दुश्मनों के लिए अकेले ही काफी हैं. पर सिनेमा की कसौटी पर कसें तो यह संवाद बेहद कमजोर है. रामरहीम फिल्म में सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देते नजर आते हैं. वह भजन भी गाते हैं, राम राम राम, अल्लाह गॉड राम. राम के साथ यूं अल्लाह और गॉड को जोड़े जाने पर टची मौलवियों और प्रीस्ट को दिक्कत हो सकती है.

इसके अलावा फिल्म में एक ऐलान भी है. वह यह कि यह आदमी भारत का इकलौता बहादुर संत है. अब ये बात फिल्म के संदर्भ में कही जा रही है या असल में, पता नहीं. जहां तक मेरी जानकारी है, रामरहीम या किसी भी और संत ने जनसेवा के काम तो किए हैं, मगर इकलौती बहादुरी का तमगा धारण नहीं किया.

अंत में फिल्म का हीरो हेलिकॉप्टर से स्टाइलिश कैप पहनकर उतरता है. पृष्ठभूमि में उनकी आवाज है,पतली हुई तो क्या हुआ. गूंजती सी है. इसमें वह कहते हैं कि अगर देश व सृष्टि की सेवा करना पाप है. तो मैं ये आखिरी सांस तक करता रहूंगा. संदेश साफ है. इस गुरु का ग्लोबल अवतार सामने आ चुका है. इसके एक छोर पर कोई धर्म नहीं देश है. दूसरे पर पूरी धरती. आखिर में आग की लपटों के बीच रामरहीम आते हैं, तो उनके कांधे पर तिरंगा सजा होता है.

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फिल्म के डायरेक्टर भी रामरहीम ही हैं. साथ में एक और शख्स, जो उनके शिष्य हैं, नाम है जीतू अरोड़ा इंसान. इंसान रामरहीम के अनुयायियों का तखल्लुस होता है. यह तो हुई हमारी बात. मगर फिल्म बनाने वाले क्या सोचते हैं, जरा इसकी भी बानगी देखिए. दावा है कि ये एक क्रांतिकारी फिल्म है. इसमें एक्शन है, नाटकीयता है. रहस्य रोमांस है. और स्टंट को खुद संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसान ने किया है. अगर ऐसा है, तो अक्षय कुमार वगैरह को कड़ा मुकाबला मिलने जा रहा है.

दावा है कि फिल्म को आलीशान, महंगी जगहों पर शूट किया गया है. बड़े भव्य सेट लगाए गए हैं. और ड्रेस यानी परिधान. ये तो ऐसे हैं जनाब कि इन्हें देखकर शहरों का ट्रैफिक रुक जाए. कुल मिलाकर फिल्म ऐसी होगी कि दिमाग हिल जाए, मजा आ जाए और जिंदगी बदलने वाला संदेश मिल जाए. कि जिंदगी को सही ढंग से जीओ तो यह रॉक्स है.

एक तथ्य और. फिल्म 16 जनवरी 2015 को पूरी दुनिया में चार भाषाओं में रिलीज हो रही है.

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