
राजनीति में आने के बाद से ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार कांग्रेस में लोकतंत्र की वकालत करते आए हैं. यूथ कांग्रेस में राहुल ने ही चुनाव की परंपरा शुरू की. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार तय करने के लिए 15 सीटों पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुनाव कराए. सूत्रों के मुताबिक, खुद राहुल भी चुनाव लड़कर ही कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहते हैं, लेकिन अमृता धवन के इस्तीफे के बाद खाली हुए एनएसयूआई अध्यक्ष पद के लिए राहुल के बनाये नियम-कायदे की धज्जियां उड़ा दी गईं, जिसकी शिकायत राहुल गांधी के दरबार में पहुंची है.
सूत्रों के मुताबिक, राहुल ने मुकुल वासनिक के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था, जिसने बाक़ायदा कॉरपोरेट स्टाइल में पद के लिए विज्ञापन निकाला. इसमें वॉक इन इंटरव्यू से लेकर लिखित सवाल-जवाब भी रखे गए. यह सब होने के बाद 7 नाम शॉर्ट लिस्ट किये गए, जिसमे सबसे ऊपर नाम है मनीष शर्मा का. सूत्रों के मुताबिक, मनीष शर्मा का नाम अध्यक्ष पद के लिए फाइनल हो गया, लेकिन राहुल ने शिकायत मिलने के बाद फिलहाल इसकी घोषणा रुकवा दी है.
सूत्रों के मुताबिक, राहुल के पास शिकायत पहुंची है कि, मनीष शर्मा हाल तक जवाहर भवन में कार्यरत थे और तनख्वाह लेते थे. मध्य प्रदेश के मनीष शर्मा जवाहर भवन में राहुल की करीबी और मध्य प्रदेश की पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन के करीबी माने जाते हैं. वो कभी एनएसयूआई में सक्रिय नहीं रहे, जबकि, विज्ञापन में लिखा गया था कि उम्मीदवार कम से कम एक साल एनएसयूआई में सक्रिय रहा हो.
ऐसे में सक्रिय लोगों के साथ अन्याय क्यों किया जा रहा है. साथ ही इस बात पर भी सवाल किए जा रहे हैं कि, आवेदन देने की तारीख 8 मई थी, जिसको बाद में बढ़ाया गया. दिलचस्प बात ये है कि, मनीष शर्मा का आवेदन 8 मई के बाद ही आया.
इस पूरे मामले पर आजतक ने राहुल गांधी के दफ्तर में उनके करीबी से बात की, तो जवाब मिला कि, ये पार्टी का अंदरूनी मामला है, इसलिए इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं करना चाहते, बस इतना कह सकते हैं कि, ये मामला राहुल जी की जानकारी में आया है और राहुल जी न्याय करेंगे.