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पुत्रमोह या सियासी दांव...अलग पार्टी बनाने से क्यों बच रहे हैं मुलायम सिंह?

विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश ने चाचा रामगोपाल यादव के साथ मिलकर शिवपाल यादव को ठिकाने लगाया. इतना ही नहीं पार्टी की कमान भी अपने हाथों में ले ली थी. इतना ही नहीं अखिलेश ने चुनाव के बाद संगठन से शिवपाल परस्त लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है.

अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST

समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष शिवपाल यादव पिछले एक साल से समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के सहारे अखिलेश यादव को राजनीतिक मात देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी है. उलटा, मुलायम सिंह के तटस्थ रवैए से अखिलेश और मजबूत हो रहे हैं, दूसरी ओर खुद शिवपाल कमजोर होते जा रहे हैं. अब जानकार ये सवाल उठा रहे हैं कि कहीं ये मुलायम का शिवपाल को राजनीति में ठिकाने लगाने का कोई दांव तो नहीं.

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अखिलेशमय हुई सपा

विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश ने चाचा रामगोपाल यादव के साथ मिलकर शिवपाल यादव को ठिकाने लगाया. पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली. अखिलेश ने चुनाव के बाद संगठन से शिवपाल परस्त लोगों को बाहर का रास्ता भी दिखा दिया. पार्टी अब पूरी तरह से अखिलेशमय हो चुकी है.

शिवपाल दरकिनार

विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही सार्वजनिक रूप से शिवपाल कहते रहे हैं, कि पार्टी की कमान मुलायम सिंह यादव को वापस मिलनी चाहिए, लेकिन अखिलेश ने साफ कह दिया है कि वो पार्टी के अध्यक्ष हैं और रहेंगे. पार्टी की कमान किसी को नहीं देंगे. शिवपाल ने अलग पार्टी बनाने का राप भी अलापा, पर अखिलेश के इरादे में कोई बदलाव नहीं आया.

नेताजी का तटस्थ रवैया

पिछले एक साल से शिवपाल लगातार मुलायम के सहारे अखिलेश को सबक सिखाने की जुगत में हैं, लेकिन नेताजी तटस्थ रवैया अपनाए हुए हैं. मुलायम सिंह यादव जाहिर तौर पर ये दिखाने की कोशिश लगातार कर रहे हैं कि वो अखिलेश यादव से नाराज हैं, लेकिन बेटे के खिलाफ जाकर कोई बड़ा कदम नहीं उठा रहे हैं.

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बेटे को मजबूत करने में जुटे नेताजी

लोहिया ट्रस्ट में सोमवार को नेताजी ने प्रेस कांफ्रेंस की. माना जा रहा था कि वह कोई बड़ा फैसला लेंगे. इतना ही नहीं वह अलग पार्टी बनाने का भी कदम उठा सकते हैं. नेताजी जब प्रेस कांफ्रेंस करने उतरे तो सारे कयासों पर पानी फेर दिया. उन्होंने योगी सरकार पर हमले की रस्म पूरी की और फिर समाजवादी पार्टी को मजबूत करने के लिए लोगों से अपील की. यहां मुलायम सिंह ने अलग पार्टी बनाने से साफ इनकार कर दिया. मुलायम ने कहा कि अखिलेश मेरे बेटे हैं तो आशीर्वाद रहेगा ही, लेकिन उनके फैसलों से मैं सहमत नहीं हूं. हालांकि मुलायम ने इस बात का जवाब नहीं दिया कि जब वे सपा को मजबूत करने की अपील करते हैं तो क्या इससे ये मतलब नहीं निकलता कि वो अखिलेश को मजबूत करने की अपील कर रहे हैं. क्या मुलायम के इसी रवैये से शिवपाल आज नेताजी के साथ प्रेस कांफ्रेंस में नहीं आए?

मुलायम के करीबी अखिलेश के साथ

एसपी प्रमुख अखिलेश यादव लगातार अपने को मजबूत करने में जुटे हैं. मुलायम के वारिस के तौर पर अखिलेश अपनी पहचान बनाने में काफी हद तक कामयाब हो गए हैं. प्रदेश के यादव समाज ने भी उन्हें अपने नेता के तौर पर स्वीकार कर लिया है क्योंकि कल ही समाज के एक कार्यक्रम में अखिलेश को पीएम कैंडिडेट बनाने की मांग की गई. इतना ही नहीं मुलायम के सभी करीबी बड़े नेता आजम खान, अहमद हसन से लेकर रामगोविंद चौधरी, नरेश अग्रवाल और किरण नंद अखिलेश के साथ हैं.

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शिवपाल के समर्थक भी साथ छोड़ रहे

सपा संरक्षक मुलायम सिंह द्वारा कड़ा राजनीतिक फैसला न लिए जाने से शिवपाल यादव का सियासी कद लगातार कम होता जा रहा है. यही वजह है कि शिवपाल के करीबी रहे कई नेताओं ने अखिलेश खेमे का दामन थाम लिया है या फिर वे दूसरी पार्टियों में शरण ले चुके हैं. हालत ये है कि शिवपाल के साथ वही नेता बचे हैं, जिन्हें अखिलेश पसंद नहीं करते और उन्हें साथ रखना भी नहीं चाहते. इसमें शारदा शुक्ला से लेकर भगवती सिंह तक शामिल हैं.

कुल मिलाकर मुलायम की आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस भी वास्तव में अखिलेश यादव की एक बड़ी जीत थी. यही वजह है कि मुलायम सिंह यादव की प्रेस कांफ्रेंस के बाद अखिलेश ने ट्वीट करके कहा, 'समाजवादी पार्टी जिंदाबाद, नेताजी जिंदाबाद'.

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