
मुंबई के आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है, यानी पेड़ नहीं काटे जाएंगे और न ही निर्माण कार्य रूकेगा. अब इस मामले में 15 नवंबर को अगली सुनवाई होगी.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आरे क्षेत्र में लगाए गए पौधों के पनपने या जीवित रहने की स्थिति पर भी रिपोर्ट तलब की यानी पौधों का हेल्थ कार्ड मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान पूछा कि कितने पेड़ काटे गए थे? नए पौधे कितने लगाए गए? उनमें से पौधे कितने बचे हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट को तस्वीरें भी दिखाई जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने मेट्रो और मुंबई कॉरपोरेशन से पूछा है कि क्या इस इलाके में कोई व्यावसायिक प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सिर्फ इतने ही क्षेत्र से नहीं बल्कि पूरे इलाके को देखना चाहते हैं.
HC में याचिका खारिज
कानून के छात्र ऋषव रंजन ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को मामले में हस्तक्षेप करने को लेकर पत्र लिखा था, जिसके बाद मामले की सुनवाई के लिए विशेष पीठ गठित की गई थी. बंबई हाईकोर्ट ने 4 अक्टूबर को मेट्रो-संबंधित निर्माण के लिए महाराष्ट्र सरकार को हरी झंडी दी थी, वहीं पर्यावरण कार्यकर्ता जोरू डेरियस बाथेना की याचिका को खारिज कर दिया था.
क्या है मामला?
यह पूरा मामला मार्च 2015 का है, जब महाराष्ट्र सरकार ने पारिस्थितिकी दृष्टिकोण से आरे कॉलोनी में मेट्रो कार डिपो की स्थापना के मुद्दे को देखने के लिए छह सदस्यीय एक तकनीकी समिति नियुक्त की थी.
12 जून, 2015 को पर्यावरण विशेषज्ञों ने एक नोट लिखा था, जिसमें उन्होंने मुंबई की पारिस्थितिकी का हवाला देते हुए आरे कॉलोनी के पेड़ों और खुली जगहों को बचाने की वकालत की थी. जुलाई 2015 को, कुछ पर्यावरणविदों ने मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए आरे कॉलोनी के बदले कानजुरमार्ग को बेहतर विकल्प बताया था.
इस वर्ष 29 अगस्त को, मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) को बृहन्मुंबई नगर निगम के पेड़ प्राधिकार से अपने परियोजना के लिए 2,185 पेड़ों को काटने और 460 पेड़ों को लगाने की अनुमति मिल गई थी.
बाथेना के अनुसार, बृहन्मुंबई नगर निगम पेड़ प्राधिकार ने एमएमआरसी को इस वर्ष हाईकोर्ट द्वारा तय किए गए पेड़ों को काटने के प्रस्ताव की प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर ही पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी थी.