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मुंबई के इस शख्स ने फेसबुक पर गंवाए 2 करोड़ रुपये, पुलिस को मिले 108 फर्जी बैंक खाते

साइबर क्राइम पुलिस ने बांद्रा के रहने वाले एक बुज़ुर्ग से 1.97 करोड़ रुपये छीनने वाली नाइजीरियन गैंग का पर्दाफाश किया है. इस नाइजीरियन गैंग ने मुंबई में 108 फर्जी बैंक खाते फर्जी पैन कार्ड द्वारा खुलवाए थे. पुलिस ने फर्जी पैन कार्ड रैकेट के सरगना को मीरा रोड के पास नाया नगर से गिरफ्तार कर लिया है और अभी सभी खाते बंद कर दिए गए हैं.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
साकेत सिंह बघेल
  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 6:51 PM IST

मुंबई पुलिस की साइबर क्राइम टीम ने ठगी करने वाले एक नाइजीरियन गैंग का पर्दाफाश किया है. गैंग पर बांद्रा के रहने वाले एक बुज़ुर्ग से 1.97 करोड़ रुपये छीनने का आरोप है.

इस नाइजीरियन गैंग ने मुंबई में 108 फर्जी बैंक खाते फर्जी पैन कार्ड पर खुलवाए थे. पुलिस ने फर्जी पैन कार्ड रैकेट के सरगना को भी गिरफ्तार कर लिया है और अब सभी खाते बंद कर दिए गए हैं. 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने जानकारी दी कि 72 वर्षीय बुजुर्ग को फेसबुक पर 'यूएस के एक फ्रेंड' ने अफगानिस्तान में इन्वेस्टमेंट की योजना बताई और बड़ा फायदा मिलने का झांसा देकर ठगी को अंजाम दिया. जांच के दौरान पुलिस दिल्ली पहुंची. दिल्ली से मंगल बिश्नोई, अनित अग्रवाल, समीर मर्चेंट (करण शर्मा), जीतेन्द्र राठौर और परेश निसबंद को पकड़ा. इन लोगों के खातों में बांद्रा से अचानक बड़ी राशि ट्रांसफर की गई थी.

पूछताछ के दौरान सामने आया कि सभी फर्जी खाते मुंबई और दिल्ली के बैंको में खुले हैं. जांच में ये भी पता चला है कि  सभी 108 खातों में KYC दस्तावेज में पैन कार्ड अहम सबूत के तौर पर जमा कराया गया था, जब पैन कार्ड कि जांच की गई तो वो भी फर्जी निकले.

मामले की जांच आगे बढ़ी तो पुलिस मोहम्मद आरिफ शेख तक पहुंची. रेड में आरिफ शेख के दफ्तर से ढेरों दस्तावेज और 11 फर्जी पैन कार्ड मिले. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि वो काफी मंझे हुए ढंग से पैन कार्ड बनाता था. अभी हम इसकी जांच कर रहे हैं कि किस तरह और किसकी मदद से इन कामों को अंजाम देता था.

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पुलिस के ही दूसरे अधिकारी ने बताया कि, इन सभी पैन कार्ड के इस्तेमाल से जो खाते खुलवाए गए थे , वो हमारी गिरफ्त में हैं, इसमें हमें कुल 1 करोड़ की राशि मिली है. वो केवल उन्ही खातों में राशि डलवाता था, जिन खातों से रुपये निकले जा चुके होते हैं. हमे शक है की इन सब के पीछे नाइजीरियन लोगों का हाथ है.

बांद्रा के रहने वाले 72 वर्ष के बुजुर्ग व्यक्ति ने मार्च के महीने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसने बताया था कि उसने 1.97 करोड़ फेसबुक पर मिले एक दोस्त को भेजा है, जो खुद को संयुक्त राज्य का सैनिक होने का दावा कर रहा था. उसकी पोस्टिंग अफगानिस्तान में थी.

जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने बताया उस व्यक्ति ने पार्टनरशिप में निवेश की योजना का लालच देकर फोन नंबर लिया और वहाट्सऐप द्वारा बात-चीत करने लगे. फिर कुछ दिनों बाद उसने एक सयुंक्त राज्य के पुलिस अधिकारियों द्वारा नियुक्त की गई जमा पर्ची भेजी. साथ ही यह भी बताया की उसने यह पर्ची दिल्ली के नेशनल बैंक में भी भेज दी है.

कुछ समय बाद में एक महिला का फोन आया जिसने खुद को उस बैंक का उच्च अधिकारी बता कर पर्ची की पुष्टि कर दी और आश्वासन दिया की वो बैंक की ओर से भी एक पुष्टि का मेल भेज देंगी. बाद में धीरे धीरे ठगों द्वारा रुपयों की मांग की जाने लगी.

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बुजुर्ग ने कुल 1.97 करोड़ भेजे थे. बाद में गैंग ने बुजुर्ग को डेबिट कार्ड कोरियर द्वारा भेजा दिया. लेकिन जब कई बार  लगातार कोशिशों के बाद भी जब ATM से पैसा नहीं निकला तब उसे अहसास हुआ की वह ठगा जा चुका है.

 

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