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जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शेखर सुमन के लिए रोकी कार

आजतक के कार्यक्रम मुंबई मंथन 2018 में अभिनेता और निर्देशक शेखर सुमन ने शिरकत की. यहां उन्होंने ह्यूमर में आ रहे बदलावों पर चर्चा की.

शेखर सुमन शेखर सुमन
मोनिका गुप्ता
  • मुंबई,
  • 23 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

महशूर अभिनेता और निर्देशक शेखर सुमन का मानना है कि मौजूदा समाज अब ह्यूमर की तार्किकता को समझने से लगातार दूर हो रहा है. ह्यूमर के गिरते स्तर को लेकर शेखर ने कहा, "अगर इसका पोस्टमार्टम हो तो देखेंगे कि जब आप जिंदगी में सेंसिटिव हो जाते हैं या बहुत डिफेंसिव हो जाते हैं तो कहीं न कहीं आप जिंदगी को नकार रहे होते हैं."

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ह्यूमर में आ रहे बदलाव को लेकर कहा, "पहले एक ज़माना था, जब हम लोग राम और हनुमान पर भी कटाक्ष करते थे. समाज सहनशील था. वो जानता था कि वो फूहड़ नहीं है. लेकिन अब लोग कहते हैं कि आपने फला चीज के बारे में ये कैसे कह दिया. वो क्यों कह दिया." सुमन ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा मजेदार किस्सा भी सुनाया. बताते चलें कि सुमन ने अपने शो में तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी पर ह्यूमर प्रस्तुत किया था.

वाजपेयी से जुड़ा ये किस्सा सुनाया सुमन ने

शेखर सुमन ने कहा, "अब हर चीज पर लोग बुरा मानने लगे हैं. अब कुछ भी कहना बहुत मुश्किल है. जब मैं अपना शो किया करता था "मूवर्स एंड शेखर्स" ये मेरे लिए सबसे बड़ा कॉम्प्लीमेंट था जो पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला. मुझे याद है मैं किसी फंक्शन में गया हुआ था. भुजबल साहब भी यहां तशरीफ लाए हुए थे. उनके बगल में मैं खड़ा था. और जब वाजपेयी जी बाहर की ओर जा रहे थे. तो उनकी गाड़ी अचानक रुकी."

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सुमन ने बताया, "किसी को इल्म नहीं था क्यों गाड़ी रुकी. और जब गाड़ी रुकी प्रधानमंत्री जी उतरे. दो कदम आगे चले. हमने सोचा कि वो भुजबल साहब से मिलने जा रहे हैं. वो मेरी तरफ आए. उन्होंने मुझे गले लगाया. और उन्होंने मुझसे कहा, बहुत दिनों से तुम्हारी तलाश थी."

"उन्होंने कहा जब तुम मेरे ऊपर टीका टिप्पणी करते हो तो सबसे ज्यादा मैं हंसता हूं. इसको रोकना नहीं. इसे करते रहना. क्योंकि ये बहुत ही सकारात्मक चीज है. उस तरह की सहनशीलता अगर सब में हो... जब प्रधानमंत्री कहता है कि प्रजातंत्र है आप मेरे बारे में जो भी कहना चाहते हैं कहें. ऑफकोर्स वो फूहड़ न हो. अगर कहीं कहीं उसमें जहनी तर्क है और इंसान पढ़ा लिखा है तो वो उस बात का कभी बुरा नहीं मानेगा. क्योंकि उसमें कहीं न कहीं कोई तथ्य छिपा है."

सुमन ने ये बातें मंगलवार को आजतक के मुंबई मंथन 2018 में 'कहां गया सेन्स ऑफ ह्यूमर' सत्र में की. सत्र का संचालन निधि अस्थाना ने किया. इस दौरान महशूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव भी मौजूद रहे.

सुमन की नज़रों में इसलिए हो रहा है ऐसा बदलाव

कॉमेडी शोज के बिगड़ते स्तर को लेकर शेखर ने कहा, "ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि यहां सोच इन्वॉल्व नहीं है. और जहां सोच या अध्यात्म नहीं इन्वॉल्व हो रहा है, ऐसी जगहों पर ह्यूमर फूहड़ हो ही जाएगा. यही वजह है कि कई लोग आज व्यापार के लिए इसका (ह्यूमर) इस्तेमाल कर रहे हैं. ये फूहड़ दौर है."

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सुमन ने कहा, "पहले समाज ज्यादा पढ़ा लिखा था. सभ्य थे. ऐसा था इसीलिए शरद जोशीजी, हरिशंकर परसाई जी या इन जैसे लेखकों ने लिखा. लोगों ने सराहा. आज के दिन वो शायद लिखते तो कोर्ट में केसेस लड़ रहे होते. कि आपने मजहब या तमाम दूसरी चीजों के बारे में ये क्यों कह दिया. तो कहीं न कही जेहिनियत समाज से गायब हो जाती है तो फूहड़ता आती है. अनपढ़ समझ नहीं पाते क्या बात हो रही है. और फिर विरोध के बाद ह्यूमर की जगह ही ख़त्म हो जाती है."

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