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होटल में छापे पर उठाए सवाल, तो कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा- कैसे टूटा नियम, आप ही बताएं?

बॉम्बे हाई कोर्ट ने होटलों में पुलिस की छापेमारी के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से ही पूछा कि पुलिस ने किस तरह से गाइडलाइंस का उल्लघंन किया है. अदालत ने याचिकाकर्ता को 3 हफ्ते का वक्त दिया है.

याचिकाकर्ता ने पुलिस पर उठाए थे सवाल याचिकाकर्ता ने पुलिस पर उठाए थे सवाल
अमित कुमार दुबे/विद्या
  • मुंबई,
  • 07 जून 2016,
  • अपडेटेड 5:55 PM IST

बॉम्बे हाई कोर्ट ने होटलों में पुलिस की छापेमारी के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से ही पूछा कि पुलिस ने किस तरह से गाइडलाइंस का उल्लघंन किया है. अदालत ने याचिकाकर्ता को 3 हफ्ते का वक्त दिया है. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता बताएं कि किस तरह से पुलिस ने होटलों में ठहरे लोगों की निजी जिंदगी में दखलअंदाजी दी है.

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अदालत ने 3 हफ्ते का दिया वक्त
दरअसल मुंबई के तमाम होटलों में शिकायत मिलते ही पुलिस छापेमारी करती है, जिसको लेकर याचिकाकर्ता समीर सभरवाल ने उठाए हैं. सभरवाल ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में जिक्र किया है कि पुलिस ने होटरों में ठहरे लोगों की निजता का ध्यान नहीं रखती. सभरवाल के मुताबिक 'होटलों में रेड को लेकर जो नियम बनाएं गए हैं उसको पुलिस छापेमारी के दौरान फॉलो नहीं करती. होटलों में ठहरे कई लोग बिना सूचना के छापेमारी से परेशान हो जाते हैं. कई कपल इसे निजी जिंदगी में दखल मानते हैं. जबकि होटल में ठहरे लोगों के लिए उनका कमरा उनके लिए सबसे सुरक्षित और निजी जगह होती है.'

फिलहाल मामले को लेकर कोई पीड़ित सामने नहीं
इस मामले पर हाई कोर्ट के जज अभय ओका और केके सईद ने सुनवाई की. जस्टिस अभय ओका ने कहा कि अगर मुंबई पुलिस को कोई खुफिया सूचना मिलती है और वो होटलों में दबिश देती है तो इसपर सवाल नहीं उठना चाहिए. उन्होंने याचिकाकर्ता को ध्यान दिलाते हुए कहा कि फिलहाल इस मामले में कोई पीड़ित सामने नहीं आया है. इसलिए पुलिस पर सवाल उठाना जायज नहीं है. इसके वाबजूद जस्टिस ओका ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप ही बताएं कि किस तरह से पुलिस ने गाइडलाइंस को तोड़ने का काम किया है.

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छापेमारी को लेकर पुलिस की नई गाइडलाइंस
गौरतलब है कि मुंबई पुलिस ने इस साल अप्रैल महीने में होटलों में छापेमारी को लेकर नई गाइडलाइंस तैयार की है. जिसके मुताबिक पुलिस वाले होटल के किसी कमरे में दबिश के दौरान जानकारी मांगने पर अपना आईकार्ड जरूर दिखाएंगे, ताकि उन्हें विश्वास हो कि छापेमारी जायज है. साथ ही महिला पुलिस भी साथ हो ताकि होटलों में ठहरे किसी महिला की तलाशी महिला पुलिसकर्मी के द्वारा ही जाए.

पिछले साल पुलिस की छापेमारी पर उठे थे सवाल
गौरतलब है कि पुलिस ने पिछले साल 6 अगस्त को एक साथ चार होटलों में दबिश दी थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान होटलों में ठहरे कुछ कपल के साथ पुलिस से गलत व्यवहार किया था, उन्हें जबरन खींच कर कमरे से बाहर निकाला गया था. याचिकाकर्ता सभरवाल एक व्यापारी हैं और इस मामले को लेकर एक याचिका दायर की है.

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