
मुंबई में भिवंडी इलाके के 62 गांवों की हजारों औद्योगिक इकाइयों को ढहाने की तैयारी चल रही है. इससे 20 लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार हो सकते हैं. करीब 14 करोड़ वर्ग फुट में फैले इस औद्योगिक इलाके में ज्यादातर टेक्सटाइल और वेयरहाउसिंग केंद्र हैं. प्रशासन ने एक पब्लिक नोटिस जारी कर कहा है कि यह खेती का इलाका है, इसलिए यहां के तमाम निर्माण 'अवैध' हैं.
सूत्रों ने हमारे सहयोगी प्रकाशन बिजनेस टुडे को बताया कि मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA), भिवंडी-निजामपुर सिटी म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन और राज्य के राजस्व विभाग ने पिछले हफ्ते इन 62 में से 8 गांवों में अवैध निर्माण ढहाने का काम शुरू कर दिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस बारे में एक आदेश दिया था और इसके बाद हुए एक सर्वे में भी कहा गया था कि खेती की जमीन पर अवैध तरीके से बनी इमारतों और ढांचों को तोड़ देना चाहिए.
तोड़फोड़ का विरोध
इन इकाइयों में 20 लाख से ज्यादा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कामगार काम करते हैं. इस तोड़फोड़ का स्थानीय निवासियों ने जमकर विरोध किया और उन्होंने अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन भी किया. सोमवार को सैकड़ों लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए जिला कलेक्टरेट तक मार्च किया. स्थानीय ट्रांसपोर्टर्स यूनियन ने आज यानी बुधवार को भिवंडी में बंद का ऐलान किया है. असल में इस बात की आशंका है कि कथित 'अवैध' गोदामों से माल ढुलाई करने वाले वाहनों को जब्त किया जा सकता है.
किस तरह की इकाइयां हैं यहां
थाणे स्माल स्केल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (TSSIA) की भिवंडी शाखा के चेयरमैन निनाद जयवंत ने कहा, 'इस इलाके से मुंबई और पुणे में सभी तरह के सामान की आपूर्ति होती है, एमेजॉन, फ्लिपकार्ट से लेकर कई बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों, दवा, एफएमसीजी कंपनियों के भिवंडी में वेयरहाउस हैं. इन गांवों में 14 करोड़ वर्ग फुट निर्माण हुआ है जिसमें से 75 से 80 फीसदी वेयरहाउस और 20 से 25 फीसदी पावर लूम, इंजीनियरिंग, प्रिंटिंग और पैकेजिंग यूनिट है.'
TSSIA बुधवार को बैठक कर यह तय करेगा कि इसके विरोध में आगे क्या कार्रवाई की जाए. सभी ग्राम पंचायत प्रमुखों की बैठक बुलाने के अलावा कोर्ट का सहारा लेने पर भी विचार किया जा रहा है. जयवंत ने कहा कि इनमें से ज्यादातर इकाइयां 20 साल पहले बनाई गई हैं, जब मुंबई शहर की इकाइयों को बाहर किया जा रहा था. यहां रेमंड का 2.5 लाख वर्ग फुट और गोदरेज का 2 लाख वर्ग फुट का वेयरहाउस है. ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन का करीब 10 लाख वर्ग फुट में वेयरहाउस है.
कैसे शुरू हुआ था निर्माण
साल 2007 में एमएमआरडीए ने इस इलाके को पालघर तक बन रहे इंडस्ट्रियल बेल्ट के तहत विकसित करना शुरू किया. साल 2012 से नियम काफी कठोर कर दिए गए. जयवंत ने कहा, 'अब यहां एक कारखाने का लाइसेंस लेने के लिए महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) के अलावा कम से कम 25 अन्य विभागों से मंजूरी लेनी पड़ती है. इसलिए यहां छोटी इकाइयों की स्थापना तो असंभव जैसा ही हो गया है. वे हमें अब प्रताड़ित कर रहे हैं और अब इस बहाने लाइसेंस नहीं दिया जा रहा है कि खेती की जमीन पर निर्माण अवैध है.'
उन्होंने कहा, 'अभी यह साफ नहीं है कि कितनी इकाइयों को अवैध करार दिया गया है, क्योंकि MMRDA ने अलग-अलग नोटिस जारी करने की बजाय बस एक पब्लिक नोटिस जारी किया है. उनके मुताबिक 10 एकड़ जमीन में सिर्फ 2 एकड़ का निर्माण किया जा सकता है.
(https://www.businesstoday.in/ से साभार)