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केजरीवाल सरकार के आदेश को नहीं मानेगें नगर निगम कर्मचारी

ज्यादातार पार्षदों ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार जानबुझकर ऐसा कर रही है, ताकि एमसीडी चुनाव में इसका फायदा उठाया जा सकें.

अरविंद केजरीवाल अरविंद केजरीवाल
लव रघुवंशी/रोहित मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 7:24 AM IST

अब दिल्ली सरकार के किसी भी विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री के आदेश को नही मानेंगे नगर निगम कर्मचारी. एमसीडी और दिल्ली सरकार के बीच तल्खियां लगातार बढ़ती जा रही हैं. दरअसल सदन की बैठक के दौरान बीजेपी और कांग्रेस के पार्षद केजरीवाल सरकार पर जमकर बरसे. उनका आरोप है बारिश के मौसम में सीवर लगातार जाम हो रहे हैं, जिसकी वजह से जगह-जगह जलभराव की स्थिति पैदा हो रही है और उस पर लोगों की इस बात की जानकारी नहीं होना कि सीवर एमसीडी नहीं दिल्ली सरकार के अधिन आता है.

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ज्यादातार पार्षदों ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार जानबुझकर ऐसा कर रही है, ताकि एमसीडी चुनाव में इसका फायदा उठाया जा सकें. उत्तरी नगर निगम में सदन की बैठक के दौरान बीजेपी और कांग्रेस की पार्षदों ने इस पर चिंता जताई और केजरीवाल सरकार पर जमकर बरसे. पार्षदों का आरोप है कि जब भी दिल्ली सरकार के अधिकारी से इस मुद्दे पर बात करते हैं तो वो अधिकारी, चुने हुए प्रतिनिधी से बात तक नहीं करते हैं, जो कि पुरी तरह से गलत है. जब हमारे कर्मचारी विधायकों के दौरे पर मौजूद रहते हैं तो फिर दिल्ली सरकार के कर्मचारी हमारी बात क्यों नही सुनते?

इसी मुद्दे को लेकर सदन में जमकर हंगामा हुआ, जिसके बाद उत्तरी नगर निगम के मेयर संजीव नैयर ने कमिश्नर पीके गुप्ता को आदेश जारी कर दिया है, अब से दिल्ली सरकार के किसी भी विधायक , मंत्री और मुख्यमंत्री से सीधे आदेश नहीं लेंगे. साथ ही किसी भी विधायक और मंत्री को दौरे पर जाना है कि नहीं वह इसकी मंजूरी मिलने के बाद ही जाएगा. इसके साथ दिल्ली सरकार के किसी भी मंत्री को एमसीडी कर्मचारी को बुलाने से पहले लिखित में कमिश्नर से अनुमति लेनी होगी.

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वहीं अगर एमसीडी कर्मचारी को नगर निगम पार्षद और विधायक में से किसी को चुनना है तो वो पार्षद को पहले सुनेगें. और जो भी एमसीडी का कर्मचारी इस आदेश का पालन नही करता उसके खिलाफ प्रशासनिक कारवाई करने का आदेश दे दिया गया है. इस मौके पर आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने इसका विरोध ये कहते हुए किया कि दिल्ली सरकार ने विधानसभा में इस तरह का प्रस्ताव नहीं पास किया है तो फिर उत्तरी नगर निगम इस तरह के प्रस्ताव को क्यों पास कर रही है.

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