
मुर्शिदाबाद पश्चिम बंगाल में लेफ्ट का वो किला है जिसने 2014 में मोदी लहर के बावजूद इस सीट पर पार्टी को लाल सलाम कहने की वजह दी. हालांकि इस बार चुनौती कड़ी हो गई है. टीएमसी और बीजेपी दोनों लेफ्ट के इस गढ़ पर हमला करने को तैयार हैं. कांग्रेस भी यहां किसी से पीछे नहीं है. यही नहीं कई क्षेत्रीय पार्टियां भी अपनी चुनौती पेश कर रही है.
इस बार इस सीट पर 23 अप्रैल को मतदान है. सीपीएम ने एक बार फिर से इस सीट से बदरुद्दोज़ा खान को टिकट दिया है. बदरुद्दोज़ा खान ने ही 2014 में इस सीट से जीत हासिल की थी. TMC ने अबू तहेर खान को यहां से उतारा है, जबकि कांग्रेस ने अबू हेना को टिकट दिया है. बीजेपी ने इस सीट से हूमायूं कबीर को मैदान में उतारा है. बहुजन समाज पार्टी भी इस सीट पर चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने मिजानुल हक को टिकट दिया है. इसके अलावा इस सीट पर कई निर्दलीय कैंडिडेट भी मैदान में हैं. इस सीट से कुल 11 उम्मीदवार मैदान में हैं.
2014 का जनादेश
वर्ष 2014 के चुनावों में भले ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने देश के कई राज्यों में शानदार जीत हासिल की थी, लेकिन पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की लहर चली. तृणमूल कांग्रेस बंगाल में 34 सीटों पर जीतने में कामयाब रही, जबकि कांग्रेस को 4 सीटों, माकपा और बीजेपी को 2-2 सीटों पर जीत मिली थी. इसमें तृणमूल कांग्रेस को 39.05%, माकपा को 29.71%, बीजेपी को 16.80% और कांग्रेस को 9.58% वोट मिले थे. वोट प्रतिशत के मामले में दूसरे स्थान पर रहने के बावजूद माकपा सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई. मुर्शिदाबाद से माकपा के उम्मीदवार बदरुद्दोज़ा खान चुने गए थे. मुर्शिदाबाद लोकसीट पर 2014 में आम चुनाव के दौरान बीजेपी चौथे स्थान पर रही. पश्चिम बंगाल में बढ़ते अपने मत प्रतिशत को देखते हुए बीजेपी राज्य में अपनी राजनीतिक हैसियत बढ़ाने के लिए पूरजोर कोशिश कर रही है.
वामपंथ का गढ़, जहां कांग्रेस देती रही है चुनौती
मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट पर 1952 में पहली लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में कांग्रेस के मुहम्मद खुदा बख्श ने जीत हासिल की थी. 1957 में भी कांग्रेस के टिकट पर मुहम्मद खुदा बख्श ही चुनाव जीते. इंडिपेंडेंट डेमोक्रेटिक पार्टी (इंडिया) के उम्मीदवार सईद बदरूद्दुजा ने 1962 और 1962 के आम चुनावों में लगातार जीते. 1971 में इंडियन युनियन मुस्लिम लीग के अबू तालेब चौधरी चुनकर संसद पहुंचे थे. लेकिन 15 मार्च 1972 को चौधरी का निधन हो गया जिसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के मुहम्मद खुदा बख्स सांसद चुने गए.
आपातकाल के बाद 1977 में हुए आम चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर काजीम अली मिर्जा जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे. 1980,1984, 1989, 1991,1996 और 1998 के चुनावों में माकपा के सैयद मसूदल हुसैन लगातार चुनाव जीतते रहे. 1998 और 1999 में माकपा ने मोइनुल हसन को चुनाव मैदान में उतारा जिन्होंने दोनों बार जीत हासिल की. कांग्रेस के टिकट पर 2009 और 2004 के आम चुनावों में अब्दुल मन्नान हुसैन लोकसभा सदस्य चुने गए. अभी इस सीट पर माकपा का कब्जा है और बदरुद्दोज़ा खान सांसद हैं.चुनाव की हर ख़बर मिलेगी सीधे आपके इनबॉक्स में. आम चुनाव की ताज़ा खबरों से अपडेट रहने के लिए सब्सक्राइब करें आजतक का इलेक्शन स्पेशल न्यूज़लेटर