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मुरथल गैंगरेप केस में हरियाणा पुलिस की मुश्किलें बढ़ीं

कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों की मोबाइल कॉल डीटेल के अलावा केस से जुड़ा रिकॉर्ड, केस डायरी व गवाहों की स्टेटमेंट भी अगली सुनवाई पर पेश करने का आदेश दिया है.

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट
मनजीत सहगल
  • चंडीगढ़,
  • 06 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST

मुरथल गैंगरेप मामले में हरियाणा पुलिस के आला अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की एक बेंच ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह इस मामले की छानबीन कर रहे सीनियर पुलिस अधिकारियों की कॉल डीटेल अगली सुनवाई तक कोर्ट को सौंपे.

कोर्ट का ये आदेश वकील अनुपम गुप्ता के उस ब्यान के बाद आया है जिसमें उन्होंने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे. गुप्ता ने बेंच के सामने कहा की पुलिस इस मामले की सही जांच नहीं कर रही है. उन्होंने ने खासकर एसआईटी प्रभारी आईजी ममता सिंह की टीम की जांच पर असंतोष जताया है.

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गुप्ता ने कहा है कि पुलिस मामले को रफा-दफा करने की फिराक में है. एक साल की जांच में कुछ भी सामने नहीं आया है. उन्होंने कोर्ट से इस मामले को सीबीआई को सौंपे जाने की मांग भी की है.

कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों की मोबाइल कॉल डीटेल के अलावा केस से जुड़ा रिकॉर्ड, केस डायरी व गवाहों की स्टेटमेंट भी अगली सुनवाई पर पेश करने का आदेश दिया है.

इससे पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को बताया था कि जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान 22 और 23 फरवरी 2016 की रात को मुरथल में 9 गैंग रेप हुए थे.

गुप्ता ने कोर्ट को बताया है कि प्रकाश सिंह जांच आयोग के सदस्य और तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव आईएएस अधिकारी विजय वर्धन में उन्हें बताया था कि मुरथल में कम से कम 9 गैंगरेप हुए थे. गुप्ता ने इससे पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर मुरथल गैंगरेप मामले की जानकारी देने के लिए विजय वर्धन को गाली देने और बेइज्जत करने का आरोप लगाया था.

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उधर मुर्थल गेंगरेप मामला हरियाणा पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया है. पुलिस के मुताबिक अभी तक एक भी रेप पीड़ित या चश्मदीद गवाह सामने नहीं आया है जिसके बयान के आधार पर गेंगरेप के आरोप साबित किए जा सकें.

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