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हकीकत से अलग है हज सब्सिडी का गणित, मुस्लिम नेता ही करते रहे हैं विरोध

गौर करने वाली बात ये भी है कि हज यात्रियों के नाम पर दी जाने वाली ये छूट सिर्फ उन्हीं हज यात्रियों के लिए उपलब्ध कराई जाती है, जो हज कमेटी ऑफ इंडिया (HCoI) में रजिस्टर्ड होकर हज के लिए सऊदी जाते हैं. जबकि प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स (PTOs) के जरिए जाने वाले हज यात्रियों को इसका लाभ नहीं मिलता है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 5:11 PM IST

केंद्र की मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए हज यात्रा पर दी जाने वाली सब्सिडी खत्म कर दी है. इस साल लगभग पौने दो लाख लोग हज यात्रा पर जाएंगे लेकिन उन्हें सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा. दरअसल ये एक ऐसा फैसला है जिसकी मांग मुस्लिम तबके से ही समय समय पर उठती रही है. एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, कमाल फारूकी जैसे नेता कई बार हज सब्सिडी खत्म करने की वकालत कर चुके हैं.

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हवाई यात्रा पर सब्सिडी

दरअसल, हज यात्रियों को मिलने वाली सब्सिडी का सबसे बड़ा हिस्सा हवाई यात्रा पर खर्च किया जाता है. भारत सरकार का सिविल एविएशन मंत्रालय हज कमेटी ऑफ इंडिया के जरिए ये सब्सिडी मुहैया कराता है. ये पैसा हज यात्रियों के बजाय एयर इंडिया को सीधे दिया जाता है.

गौर करने वाली बात ये भी है कि हज यात्रियों के नाम पर दी जाने वाली ये छूट सिर्फ उन्हीं हज यात्रियों के लिए उपलब्ध कराई जाती है, जो हज कमेटी ऑफ इंडिया (HCoI) में रजिस्टर्ड होकर हज के लिए सऊदी जाते हैं. जबकि प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स (PTOs) के जरिए जाने वाले हज यात्रियों को इसका लाभ नहीं मिलता है. नई नीति के तहत हज कमेटी के जरिए 70 प्रतिशत यात्री और 30 प्रतिशत यात्री प्राइवेट ऑपरेटर्स के माध्यम से हज यात्रा पर जा सकेंगे.

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मुस्लिमों की बेहतरी के लिए कदम

अगले पांच साल के लिए हज नीति तय करने के लिए बनी उच्च स्तरीय कमेटी के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि सरकार ने हज सब्सिडी को खत्म करके मुसलमानों के लिए बेहतर कदम कदम उठाया है. हज सब्सिडी से मुसलमानों के बजाय एयर इंडिया को फायदा पहुंचाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने हज सब्सिडी को खत्म करने के लिए कदम उठाया है, उसी तरह दूसरे धर्मों की यात्रा के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी को भी खत्म करे.

फारुकी ने कहा कि हमने हज नीतियों में जो भी मांगें सरकार के सामने रखी थीं, उन सभी को सरकार ने मान लिया है. देश का मुसलमान अब पूरी तरह से आजाद हैं कि वो किसी भी फ्लाइट से हज से लिए जाएं और अपनी सुविधा के अनुसार एयरपोर्ट से जाए.

AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी हज सब्सिडी खत्म करने की मांग कर चुके हैं. उन्होंने पिछले साल ही आजतक से बातचीत में कहा था कि हज सब्सिडी को खत्म कर उसका पैसा मुस्लिम गर्ल्स एजुकेशन पर लगना चाहिए. ओवैसी ने कहा कि इससे उनकी तरक्की होगी और जिसको भी हज जाना होगा वह जरूर जाएगा. हज सब्सिडी देने का कोई फायदा नहीं है. चूंकि इससे सिर्फ एयरलाइंस को फायदा होता है और दूसरे लोगों को फायदा होता है. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों से वह इस बात को संसद में उठा रहे हैं.

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इतना खर्च करती है सरकार

एक आंकड़े के मुताबिक, 2012 में सब्सिडी पर 836 करोड़ रुपया खर्च किया गया, जबकि 2013 में सब्सिडी के तौर पर 680 करोड़ दिया गया. 2014 में ये और कम होकर 533 करोड़ पहुंच गया. दरअसल, 2010 में विदेश मंत्रालय ने एक प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत हर साल सब्सिडी में 10 प्रतिशत की घटोतरी की बात की गई थी. जिसके बाद से लगातार हज सब्सिडी में कटौती की जा रही है.

हज पर जाने वाले यात्री हज कमेटी ऑफ इंडिया में आवेदन करते हैं. इसके लिए उन्हें आवेदन की फीस भी जमा करनी होती है. हज कमेटी अपने कोटे के तहज जाने वाले यात्रियों की लिस्ट सरकार को सौंपती है, जो एयरलाइंस के साथ साझा की जाती है. एक हज यात्री के लिए हज कमेटी करीब 25 हजार रुपये खर्च करती है. जबकि प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स की मदद से जाने वाले एक हज यात्री का हवाई यात्रा खर्च इससे कहीं ज्यादा आता है.

इस साल प्राइवेट ऑपरेटर्स के जरिए हज पर जाने वाले एक यात्री का खर्च करीब 70 हजार रुपये आया है. जबकि हज कमेटी की तरफ से जाने वाले यात्री को यही खर्च 25 हजार रुपये पड़ा है. ये दोनों राशि सऊदी अरब जाने वाले आम यात्री से भी ज्यादा होती है. हालांकि, अलग-अलग स्थानों से ये खर्च भी अलग होता है.

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