
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने आज कहा कि कपिल सिब्बल ने उनकी तथा अन्य मुस्लिम पक्षकारों की राय से मामले की सुनवाई वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद कराने की बात कही थी.
रहमानी ने आज रात टेलीफोन पर बताया कि अयोध्या प्रकरण में उच्चतम न्यायालय में मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता सिब्बल तथा टीम के अन्य वकीलों ने वर्ष 2019 में मामले की सुनवाई की, जो बात कही वह उनसे तथा कुछ अन्य मुस्लिम पक्षकारों से सलाह मशविरा करने के बाद कही है.
रहमानी ने कहा कि यह बात बिल्कुल सही है कि अयोध्या प्रकरण की सुनवाई का यह ठीक समय नहीं है. उनका मानना है कि अगर इस मामले की अगली सुनवाई शुरू हुई तो इसका राजनीतिक फायदा उठाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि मामले की कल ही सुनवाई हुई थी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सिब्बल के बयान पर प्रतिक्रिया दे दी. अगर मामले की नियमित सुनवाई हुई तो क्या होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
इस सवाल पर कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड अयोध्या मामले कि जल्द से जल्द सुनवाई करके निपटारे की बात कह रहा है. रहमानी ने कहा कि उनकी सुन्नी वक्फ बोर्ड से कोई बात नहीं हुई थी.
मालूम हो कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने आज कहा, ‘बोर्ड का मत है कि मामले की जल्द से जल्द सुनवाई करके उसका निबटारा किया जाना चाहिये। मुझे यह नहीं पता कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने किसके निर्देश पर 2019 में सुनवाई की बात कही.’ उन्होंने कहा कि सिब्बल सम्भवतः अयोध्या प्रकरण के प्रमुख वादकारी रहे हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी की तरफ से पेश हुए थे. उनका जो भी नजरिया रहा हो, लेकिन क्योंकि सिब्बल मुस्लिम पक्ष की तरफ से बात कर रहे थे. लिहाजा इसी कौम का पक्षकार होने के नाते सुन्नी वक्फ बोर्ड अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है.
मालूम हो कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर मालिकाना हक के प्रकरण में उच्चतम न्यायालय में एक पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि इस मामले को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर दीवानी अपीलों पर अगले लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई 2019 में सुनवाई करायी जाए, क्योंकि मौजूदा माहौल ठीक नहीं है. हालांकि अदालत ने इस गुजारिश को ठुकरा दिया था.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सिब्बल की दलीलों पर हैरानी जताते हुए कहा था कि कांग्रेस और उसके भावी अध्यक्ष राहुल गांधी इस पर अपना रुख स्पष्ट करें. कांग्रेस ने शाह के बयान को गुजरात चुनाव के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास करार दिया था.