
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड मामले में बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा सुर्खियों में हैं. इस मामले में गिरफ्तार जिला बाल संरक्षण अधिकारी रवि रोशन की पत्नी ने यह आरोप लगाकर चौंका दिया कि मंत्री के पति अक्सर बालिका गृह में जाया करते थे.
पूरा विवाद इसी को लेकर हैं. अपने बयान में लड़कियों ने भी सिर्फ इतना बताया था कि बडे़ पेट वाले नेता जी आते थे. दूसरी ओर, मंत्री मंजू वर्मा ने अपने पति को डंके की चोट पर निर्दोष करार दिया लेकिन विपक्ष लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है.
राजनीति से पुराना नाता
60 वर्षीय चंद्रशेखर वर्मा ने कभी चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन राजनीति से उनका पुराना रिश्ता रहा है. शुरू में वह सीपीआई और फिर भाकपा माले से जुडे़. इसके बाद 1995 से पहले समता पार्टी और अब जनता दल यू (जेडीयू) के सदस्य हैं. जेडीयू ने इन्हें राज्य परिषद का सदस्य बनाया है.
चंद्रशेखर वर्मा की पत्नी मंजू वर्मा 2015 से बिहार में समाज कल्याण मंत्री हैं. कहा जाता है कि इस विभाग पर चंद्रशेखर वर्मा की अच्छी पकड़ है. विभाग के कामकाज में इनका समान रूप से दखल रहता था.
विधायक रहे थे पिता
चंद्रशेखर बेगूसराय के चेरिया बरियारपुर प्रखंड के श्रीपुर गांव के निवासी हैं. शुरू से ही इनका परिवार सुखी संपन्न रहा है. पिता सुखेदव महतो 1980 से 1985 चेरिया बरियारपुर विधानसभा से सीपीआई के विधायक थे. 1985 में टिकट कट जाने के बाद नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन वो चुनाव हार गए.
सुखदेव महतो के परिवार की उस इलाके में काफी इज्जत थी, लेकिन उनकी विरासत को उनके बेटे चंद्रशेखर वर्मा संभाल नहीं सके. सुखदेव महतो ने जितनी इज्जत बनाई उतनी चंद्रशेखर वर्मा ने गवांई. इलाके के लोगों में आम चर्चा है कि वह समाज कल्याण विभाग की दलाली करते हैं.
सीपीआई के पुराने नेता बताते हैं कि सीपीआई में कार्यकर्ता के रूप में भी चंद्रेशेखर की अच्छी छवि नहीं थी. बाद में वो नीतीश कुमार से जुड़ गए और उसके बाद अपनी पत्नी को टिकट दिलवा दिया.
राजनीति की खराब शुरुआत
पत्नी मंजू वर्मा की राजनीति की शुरुआत अच्छी नहीं रही सबसे पहले मंजू वर्मा ने 2006 में अपने पैतृक गांव श्रीपुर पंचायत से पंचायत समिति का चुनाव लड़ा और हार गई. उसके बाद 2010 में किस्मत तो कुछ ऐसा साथ दिया उन्हें चेरिया बरियारपुर से जेडीयू का टिकट मिल गया और नीतीश कुमार की लहर में चुनाव की नैया पार हो गई.
मंजू वर्मा पहली बार विधानसभा की सदस्य बनीं. उसके बाद 2015 में महागठबंधन का फायदा मिला और वो फिर जेडीयू के टिकट पर चुन ली गईं. इस बार किस्मत ने फिर साथ दिया. नवंबर 2015 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी महागठबंधन की बनी सरकार में वो समाज कल्याण मंत्री बनीं. तब से गठबंधन बदलकर एनडीए हो गया, लेकिन मंजू वर्मा का विभाग उनके पास ही रहा.
'बालिका गृह नहीं गए थे पति'
मंजू वर्मा की माने तो उनका कहना था कि नवंबर में मंत्री के बाद एक बार फरवरी 2016 में वो अपने पति के साथ मुजफ्फरपुर का दौरा किया था जहां उनका नागरिक अभिनंदन किया गया था. उस दौरान उन्होंने बालिका गृह का दौरा भी किया था, लेकिन उनके पति बालिका गृह में नहीं गए थे.
अब हो सकता है कि उनकी जानकारी में उनके पति चंद्रशेखर वर्मा एक ही बार मजुफ्फरपुर गए हो, लेकिन इस मामले में गिरफ्तार रवि रोशन की पत्नी सिभा सिंह का कहना है कि उसके पति ने बताया था कि मंत्री के पति बालिका गृह जाते थे. पति ने कई बार कहा कि पता नहीं वो किस हैसियत से बालिका गृह का दौरा करते हैं.
चेरिया बरियारपुर विधानसभा में जिस कुशवाहा जाति से मंजू वर्मा आती हैं वहां उसका स्ट्रांग होल्ड का है. उस विधानसभा क्षेत्र में कुशवाहा बहुमत में है जो कि बेगूसराय लोकसभा चुनाव को प्रभावित करते हैं इसलिए पार्टियों के लिए मजबूरी बन जाती है कुशवाहा वोट के लिए.
मंजू वर्मा ने भी अपने पति पर आरोप लगाने के बाद कहा था कि यह कुशवाहा जाति का अपमान है. हम पिछड़ी जाति के हैं इसलिए हमें प्रताड़ित किया जा रहा है. आरोप लगाने के बाद मंजू वर्मा ने कुशवाहा जाति के बड़े नेताओं की एक बैठक भी आयोजित कर अपनी बातों को रखा था.
चंद्रशेखर की खास बातें
1995 से 2003 तक चंद्रशेखर वर्मा माले में थे.
2003 के बाद आरजेडी में इनकी सक्रियता बढ़ी.
2005 में आरजेडी और लोकजनक्ति पार्टी के उम्मीदवार अनिल चौधरी को जीताने में मदद की.
2007 में जनता दल यू में चले गए.
2010 में पत्नी पत्नी मंजू वर्मा को जेडीयू का टिकट दिलवाया और जीत हासिल कीं.