
लोकसभा चुनाव में वापसी की उम्मीद कर रही बीजेपी को पूर्वोत्तर में झटका लगा है. मणिपुर में बीजेपी के साथ सरकार में शामिल नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. एनपीएफ ने देर शाम इसकी घोषणा की है. एनपीएफ के प्रवक्ता अचुमबेमो किकोन ने कहा है कि कोहिमा में एनपीएफ के मुख्यालय में लंबी बैठक के बाद पार्टी ने ये फैसला लिया है.
एएनआई से बात करते हुए अचुमबेमो किकोन ने कहा, "एनपीएफ के केंद्रीय मुख्यालय में पार्टी की लंबी बैठक हुई और हमने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है." मणिपुर में इस वक्त बीजेपी की सरकार है और बीजेपी नेता एन बिरेन सिंह राज्य के मुख्यमंत्री हैं.
सरकार की सेहत पर असर नहीं
हालांकि नगा पीपुल्स फ्रंट द्वारा समर्थन वापसी का बीजेपी सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. 60 सदस्यों वाली मणिपुर विधानसभा में बीजेपी के 29 विधायक हैं. सरकार को अबतक समर्थन दे रही पार्टियों में एनपीएफ के चार विधायक, एलजेपी के एक विधायक, एआईटीसी के एक और एक निर्दलीय विधायक शामिल है. बीजेपी सरकार को अबतक 36 विधायकों का समर्थन हासिल था. एनपीएफ द्वारा समर्थन वापसी के बावजूद बीजेपी के पास 32 विधायकों का समर्थन मौजूद रहेगा. इस तरह से बीजेपी की सरकार को कोई खतरा नहीं है.
बता दें कि मणिपुर में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां 21 सीटें जीती थीं, लेकिन बाद में कांग्रेस के 8 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे. इस तरह बीजेपी का संख्याबल 29 हो गया था.
एनपीएफ ने आरोप लगाया है कि बीजेपी अपने सहयोगियों को तुच्छ समझती है. मणिपुर एनपीएफ के अध्यक्ष अवांगवोउ नेवई ने कहा कि बीजेपी राज्य में सत्ता में साझीदार दलों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही थी. उन्होंने कहा कि सरकार गठन के बाद से ही बीजेपी ने कभी भी गठबंधन की मूल भावना का सम्मान नहीं किया. उन्होंने कहा कि सरकार गठन के वक्त बीजेपी ने जो वादे किए थे उसने अबतक पूरे नहीं किए. बीजेपी ने एनपीएफ के इन आरोपों को निराधार करार दिया है.