
यूपी बीजेपी के नए विवादित और वंशवादी नेता-पुत्रों की टोली से दुखी यूपी आरएसएस से जुड़े एक वरिष्ठ प्रचारक ने कुछ हस्तलिखित दस्तावेज जारी किए हैं. ये कागजात बीजेपी संस्थापकों में शुमार रहे भारतीय जनसंघ के कद्दावर नेता दिवंगत नानाजी देशमुख के हैं. इनमें नानाजी देशमुख ने 80 के दशक में बीजेपी को चेतावनी दी थी कि उसे सत्ता की दौड़ में शामिल न होकर देश की राजनीतिक संस्कृति में बदलाव के लिए काम करना चाहिए.
नानाजी ने इस मामले में आरएसएस के कद्दावर नेता भाऊराव देवरस को सुझाव दिया था कि अगर भारतीय जनता पार्टी देश की राजनीतिक संस्कृति को बदल पाने में नाकाम रहती है तो आरएसएस को चाहिए कि वो उसे समाप्त कर दे. 'आज तक' के पास मौजूद नानाजी देशमुख के इस दुर्लभ दस्तावेज में नानाजी देशमुख लिखते हैं-
4.9.1988, रविवार, मुंबई
आज भाऊराव देवरस से सम्मिलित चर्चा है....निम्न पहलुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए
1. बीजेपी की दिशा बदलनी चाहिए. राजनीति में हम भारतीय संस्कृति को प्रभावी बनाएं. भारतीय दृष्टिकोण न रहा तो सत्ता हाथ में आने पर भी राष्ट्रजीवन में कोई सुधार संभव नहीं होगा.
2. यह कार्य केवल वर्तमान नेतृत्व के आधार पर नहीं हो पाएगा. प्रादेशिक स्तर पर सैकड़ों जमीनी कार्यकर्ताओं को इसमें लगाना होगा.
3. हर स्तर पर ऐसी टीम खड़ी करनी होगी जो विधानमंडलों या संसद के अंदर कदम नहीं रखेगी. तभी वर्तमान राजनीति का चरित्र बदलना संभव हो सकेगा.
4. इसी बात को ध्यान में रखकर हमने जनसंघ की राजनीतिक शैली विकसित की थी, परिणामस्वरूप शून्य में से 1967 तक अर्थात 15 वर्षों में देश के विरोधी दलों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर पाए. सत्ता को हमने सर्वस्व नहीं माना. अतः सत्ता हमारे निकट आने लगी थी.
5. बिना सत्ता को लक्ष्य बनाए राजनीति में काम करना अर्थहीन है, यह दिशा अपनाकर ही हम इस दुर्दशा में पहुंच गए. कारण सत्ता पाने के लिए हमने आदर्शवाद को छोड़कर अवसरवाद की महत्ता बढ़ाई. उसी का प्रतिबिंब आज का परिणाम है. यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सिद्धांतों के प्रतिकूल है. मेरा स्पष्ट शब्दों में कहना है कि अगर हम राजनीति में मौलिक परिवर्तन नहीं कर सकते हैं तो हमें भारतीय जनता पार्टी को समाप्त कर देना चाहिए.