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H-1B वीजा का उपयोग ना करें भारतीय कंपनियां: नारायण मूर्ति

मूर्ति बोले कि जो भारतीय कंपनियां कनाडा या ब्रिटेन में हैं उन्हें भी वहां के लोगों को ही नौकरी पर रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह बेहद जरुरी है कि एच-1 बी वीजा का उपयोग ना किया जाए और हम अपने प्रोफेशनल्स को वहां भेजना बंद कर दें.

इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 03 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 1:16 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी वीजा को लेकर फैसले के बाद शुरू हुई बहस के बीच इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने भारतीय आईटी कंपनियों को इस वीजा को यूज न करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि इन कंपनियों को अमेरिका में लोकल लेवल पर हायरिंग करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों के लिए मल्टीकल्चरल होना बहुत मुश्किल होता है.

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मूर्ति बोले कि जो भारतीय कंपनियां कनाडा या ब्रिटेन में हैं उन्हें भी वहां के लोगों को ही नौकरी पर रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह बेहद जरुरी है कि एच-1 बी वीजा का उपयोग ना किया जाए और हम अपने प्रोफेशनल्स को वहां भेजना बंद कर दें.

हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि अभी डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1वी वीजा के एक्जिक्यूटिव ऑर्डर पर दस्तखत नहीं किए हैं. अगर ऐसा होता है तो सरकार उस पर रियेक्ट करेगी. गौरतलब है कि डोनाल्‍ड ट्रम्‍प के एच-1बी वीजा को लेकर सख्त रुख अपनाया है, जो इंडियन आईटी कंपनीज के लिए चिंता की वजह बना हुआ है. अमेरिका से सालाना 85 हजार एच-1बी वीजा जारी होते हैं, इनमें 80% भारतीय होते हैं.

क्या है H-1B वीजा?
H-1B वीजा एक नॉन-इमीग्रेंट वीजा है जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी एक्सपर्ट्स को अपने यहां रख सकती हैं. H-1B वीजा के तहत टेक्नोलॉजी कंपनियां हर साल हजारों कर्मचारियों की भर्ती करती हैं. H-1B वीजा दक्ष पेशेवरों को दिया जाता है, वहीं L1 वीजा किसी कंपनी के कर्मचारी के अमेरिका ट्रांसफर होने पर दिया जाता है. दोनों ही वीजा का भारतीय कंपनियां जमकर इस्तेमाल करती हैं.

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