
आईटी कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने फेसबुक पर इस बाबत सफाई दी है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कहीं कोई भाषण नहीं दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया और व्हाट्सअप पर प्रसारित हो रहे उन संदेशों को खारिज किया है, जिसमें उनकी ओर से पीएम मोदी पर भाषण का जिक्र है.
नारायण मूर्ति ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा, 'मुझे दोस्तों और साथियों के कई मैसेज मिले. सभी मुझसे किसी भाषण के बारे में पूछ रहे थे. मुझे बताया गया कि वो भाषण व्हाट्सअप पर सर्कुलेट हो रहा है. मैं सबको व्यक्तिगत तौर पर जवाब नहीं दे सकता, इसीलिए मैं अपना पक्ष यहां फेसबुक पर पोस्ट कर रहा हूं.'
अपने जवाब में नारायण मूर्ति ने आगे लिखा है कि वह पिछले वर्षों के दौरान अपने कई सारे इंटरव्यू में कह चुके हैं कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सम्मान करते हैं. उन्होंने लिखा, 'जो मैसेज भेजा रहा है या जिस भाषण की बात हो रही है वह झूठा है. वो मेरे सोचने, लिखने या बोलने की शैली से बिल्कुल अलग है.
राहुल के बयान के बाद सर्कुलेट हुआ मैसेज
दरअसल, हाल ही असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा था कि नारायण मूर्ति, रघुराम राजन और पीएम भार्गव जैसे लोग भी असहिष्णुता के खिलाफ विरोध करने वालों में शामिल हैं. राहुल ने पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कहा था, 'जैसे देश के लाखों लोग परेशान हैं, ये लोग भी परेशान हैं. आप उनका सम्मान करिए और ये जानने की कोशिश कीजिए कि ऐसी कौन सी चीज है जो उन्हें परेशान कर रही है.'
क्या कहा था नारायण मूर्ति ने
राहुल का बयान उस नारायण मूर्ति के उस बयान के संदर्भ में था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यकों के मन में भय की स्थिति है. मूर्ति ने कहा था, 'सरकार को चाहिए कि उनके अंदर आत्मविश्वास वापस लाए. मैं नेता नहीं हूं और राजनीति के लिए इच्छुक भी नहीं हूं. लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि भारत में अल्पसंख्यकों के मन में भय है.'
मूर्ति ने ये भी कहा था कि ऐसी भय की स्थिति वैसे लोगों के मन में ही है जो अपना घर छोड़कर दूसरे इलाकों में रह रहे हैं. तेजी से आर्थिक प्रगति तब तक हासिल नहीं की जा सकती जब तक देश में लोगों ने अविश्ववास की भावना है. तरक्की के लिए हमें अविश्वास को खत्म करना होगा, भय समाप्त करना होगा, अल्पसंख्यकों का शोषण खत्म करना होगा.