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अन्ना हजारे बोले, अब मोदी सरकार के खिलाफ करूंगा आंदोलन

2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन छेड़ने वाले अन्ना हजारे अब केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. इस बार भी मुद्दा जनलोकपाल की नियुक्ति होगा. 15 दिन बाद दिल्ली में टीम अन्ना की कोर कमेटी की बैठक होगी जिसमें आंदोलन की दिशा तय होगी. दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अन्ना का यह ऐलान बीजेपी की चिंताएं बढ़ा सकता है.

Anna Hazare Anna Hazare
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 जनवरी 2015,
  • अपडेटेड 9:29 AM IST

2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन छेड़ने वाले अन्ना हजारे अब केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. इस बार भी मुद्दा जनलोकपाल की नियुक्ति होगा. 15 दिन बाद दिल्ली में टीम अन्ना की कोर कमेटी की बैठक होगी जिसमें आंदोलन की दिशा तय होगी. दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले अन्ना का यह ऐलान बीजेपी की चिंताएं बढ़ा सकता है.

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महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि में अन्ना ने कहा, 'मोदी ने भ्रष्टाचार पर अपना वादा नहीं निभाया. नई सरकार को जितना समय देना चाहिए था, उतना दे दिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव से पहले जो आश्वासन दिया वह पूरा नही किया. मैं सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करूंगा.' गौरतलब है कि काले धन के मसले पर अन्ना केंद्र सरकार से नाखुश हैं. तीन स्विस बैंक खाताधारकों के नाम सामने आने के बाद भी अन्ना ने मोदी को चिट्ठी लिखकर प्रदर्शन की चेतावनी दी थी.

अन्ना ने उस चिट्ठी में लिखा था कि वह संसद के शीत सत्र तक इंतजार करेंगे. अगर उसके बाद भी अगर काला धन वापस लाने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो वह मोदी के खिलाफ जनता को साथ लेकर सड़कों पर उतरेंगे.

अन्ना ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा था, 'आपने काला धन वापस लाने का वादा किया था. अब 100 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है और आपने सिर्फ तीन नाम बताए हैं और कोई कार्रवाई नहीं की.'

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एक समय भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यूपीए के खिलाफ आंदोलन करने वाले अन्ना ने मोदी को लिखा, 'आपने यह भी कहा था कि काला धन वापस आने के बाद हर नागरिक के अकाउंट में 15 लाख रुपये आ जाएंगे. मैं संसद का शीत सत्र समाप्त होने तक इंतजार करूंगा. उसके बाद मैं भारी जनसमूह के साथ मोदी के खिलाफ प्रदर्शन करूंगा.'

गौरतलब है कि 2011 में जनलोकपाल के मुद्दे पर अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल और अन्य सहयोगियों के साथ यूपीए सरकार के खिलाफ अनशन किया था. हालांकि राजनीतिक पार्टी बनाने के मुद्दे पर वह केजरीवाल से अलग हो गए थे.

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