
शनिवार को मेरठ से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी चुनावी रैली की शुरुआती की. रैली में मोदी ने 'स्कैम' (SCAM) के सहारे सपा, कांग्रेस, अखिलेश और मायावती पर निशाना साधा. भाषण में मोदी के मुख्य निशाने पर अखिलेश और समाजवादी पार्टी ही रही.
मोदी ने अखिलेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि पिछले पांच वर्षों में यूपी में किसानों की जमीनों पर अवैध कब्जे हुए. पूरा प्रदेश भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. लेकिन इस चुनाव में यूपी से माफियाराज को हटाने के लिए मतदान करना होगा. यूपी चुनाव में इस बार भ्रष्टाचार और माफियाराज के खिलाफ वोट करना है, ताकि ये दोबारा सत्ता में न आ सकें.
मोदी के अखिलेश सरकार पर तीखा हमला करने की तमाम वजहें हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे ही कारणों से रू-ब-रू करा रहे हैं कि आखिर क्यों मोदी ने पश्चिमी यूपी में आरएलडी और बीएसपी को छोड़ सपा पर निशाना साधा.
सपा से सीधी लड़ाई
मोदी चाहते हैं कि प्रदेश की जनता के बीच यह संदेश जाए कि बीजेपी की सीधी लड़ाई सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी से ही है. बीजेपी की स्ट्रेटजी है कि वह खुद को किसी भी तरह अन्य दलों से बेहतर स्थिति में दिखाए.
तोड़नी है अखिलेश की छवि
मोदी के भाषण से साफ नजर आता है कि पिछले दिनों अखिलेश की लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी से बीजेपी परेशान है. वह किसी भी तरह अखिलेश को विलेन के तौर पर पेश करना चाह रहे. मोदी ने कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार और गरीबी के लिए अखिलेश को ही दोषी ठहराया.
पश्चिमी यूपी में नहीं लेना चाहते जाटों से पंगा
मोदी ने 'स्कैम' में तो मायावती को घसीटा लेकिन पश्चिमी यूपी में मजबूत पकड़ वाली आरएलडी पर चुप्पी साधे रखी. दरअसल, बीजेपी चुनाव पूर्व जाट वोटर्स को छेड़ना नहीं चाहती. 2014 में जाटों ने मोदी के लिए वोट किया था लेकिन पिछले कुछ समय से वे बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. ऐसे में जाट नेता को निशाना बना मोदी कोई रिस्क नहीं लेना चाहते.
होगा ध्रुवीकरण तो बीजेपी को फायदा
बीजेपी जानती है कि यूपी का चुनाव जीतना है तो वोटों का ध्रुवीकरण होना बहुत जरूरी है. यही वजह है कि वह सपा से टक्कर लेती नजर आना चाहती है और दूसरी ओर उसके नेता हिन्दूवादी बयान देते नजर आते हैं. गौरतलब है कि 1991 से यूपी में निर्णायक भूमिका निभाने वाला 'मुस्लिम वोट' उसी को जाता है जो बीजेपी को हराने का दम रखता हो. ऐसे में बीजेपी की नजर 'दूसरे ध्रुव' पर है.
पोस्ट-इलेक्शन गठबंधन की संभावना
सूबे में चर्चा है कि जिस तरह सपा और कांग्रेस ने चुनाव पूर्व गठबंधन किया है. उसी तरह चुनाव बाद अगर जरूरत पड़ी तो बीजेपी एक बार फिर बीएसपी के साथ जा सकती है. ऐसे में मायावती पर तीखा हमला न कर मोदी ने गुंजाइश बनाए रखी है.