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अयोध्या जाएंगे मोदी, 1 मई को कर सकते हैं रैली, बतौर PM 5 साल में पहला दौरा

पिछले पांच साल में कई बार ऐसा मौका आया है जब साधु-संतों ने मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार जरूर अयोध्या आना चाहिए. लेकिन पांच साल बाद अब ये मौका आया है जब नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री पहली बार राम की नगरी अयोध्या में होंगे. अयोध्या में 6 मई को मतदान होना है.

अयोध्या जाएंगे पीएम मोदी अयोध्या जाएंगे पीएम मोदी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST

लोकसभा चुनाव 2019 की आधी लड़ाई लड़ी जा चुकी और अब आगे की तैयारी है. उत्तर प्रदेश को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. आज वह वाराणसी में रोड शो करेंगे. इस बीच अब खबर है कि वह 1 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या जाएंगे. यहां पीएम के चुनावी सभा को संबोधित करेंगे, पिछले पांच साल में ये उनका पहला अयोध्या दौरा होगा.

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गौरतलब है कि चुनाव से पहले राम मंदिर का मुद्दा अक्सर चर्चा में आता रहा है. मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के साथ ये मसला लंबे समय से जुड़ा है. साधु-संतों की मांग रही है कि मोदी सरकार को जल्द से जल्द मंदिर बनाना चाहिए, लेकिन सरकार कोर्ट के फैसले का तर्क दे रही थी.

पिछले पांच साल में कई बार ऐसा मौका आया है जब साधु-संतों ने मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार जरूर अयोध्या आना चाहिए. लेकिन पांच साल बाद अब ये मौका आया है जब नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री पहली बार राम की नगरी अयोध्या में होंगे. अयोध्या में 6 मई को मतदान होना है.

2017 में जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार आई तो राम भक्तों में उम्मीद जगी थी, कि अब जब केंद्र-राज्य दोनों में पूर्ण बहुमत की सरकार है तो मंदिर मसले का हल जरूर निकलेगा. लेकिन, मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण सरकार इसपर कुछ नहीं कर सकी.

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हालांकि, योगी सरकार ने अयोध्या को पिछले दो साल में महत्व दिया है. योगी अयोध्या में भव्य तरीके से दिवाली मनाते रहे हैं, इस बार तो साउथ कोरिया की प्रथम महिला भी दिवाली के अवसर पर अयोध्या में थीं. इसके अलावा यूपी सरकार ने अयोध्या के लिए बड़ा बजट जारी किया है, भगवान राम की मूर्ति लगाने का वादा किया है.

सुप्रीम कोर्ट में ये मामला पिछले कई दशकों से अटका हुआ है. लगातार सुनवाई पर सुनवाई जारी हैं, अब कुछ समय पहले ही अदालत ने इस मसले को दोबारा मध्यस्थता के लिए छोड़ दिया था. इसके तहत कुछ प्रतिनिधियों को तय किया गया है जिनपर सभी पक्षों से बात करने की जिम्मेदारी है, हालांकि अगर मामला नहीं सुलझता है तो सुप्रीम कोर्ट ही अंतिम फैसला देगा.

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