
बीएसपी से बाहर किए जाने के बाद नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मायावती पर पलटवार किया है. सिद्दीकी ने मायावती पर भ्रष्टाचार और अवैध लेन-देन के आरोप साबित करने का दावा किया है. साथ ही सिद्दीकी ने मायावती के प्रति अपनी वफादारी को भावुक अंदाज में बयां किया है.
प्रेस रिलीज के जरिए नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया. साथ ही उन्होंने दावा किया कि, 'जो आरोप मेरे ऊपर लगाये गए हैं, वो सभी आरोप मैं सबूत के साथ मायावती एंड कंपनी के खिलाफ साबित कर दूंगा.'
'दिया वफादारी का उदाहरण'
अपनी सफाई में नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि, 'बसपा का साथ
थामने के साथ से लेकर अब तक मैंने मायावती के लिए बहुत
कुर्बानियां दीं.
भावुक हुए नसीमुद्दीन
मायावती के प्रति अपनी वफादारी साबित करने के नसीमुद्दीन ने एक उदाहरण दिया. सिद्दीकी ने लिखा, '1996 में यूपी विधानसभा के चुनाव थे. मायावती जी बदायूं की बिल्सी सीट से चुनाव लड़ रही थीं. मैं चुनाव प्रभारी था. चुनाव के दौरान मेरी इकलौती बड़ी बेटी गंभीर रूप से बीमार हो गई. वो बांदा में थी. मेरी पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल था. उसने फोन पर बताया कि बेटी की आखिरी सांस चल रही है, आप आ जाओ. मैंने मायावती जी को ये बताया. उन्होंने चुनाव खराब होने का हवाला देते हुए मुझे जाने से रोक दिया. मैं नहीं गया. मेरी इकलौती बेटी का ईलाज के अभाव में इंतकाल हो गया. मैं अपनी बेटी के अंतिम संस्कार में भी नहीं गया और मायावती जी का चुनाव लड़ाता रहा. मैं अपनी बेटी की सूरत तक नहीं देख सका.'
ये भावुक अपील करते हुए नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि मेरे वफादारी का सिला मुझे पार्टी से बाहर निकालकर दिया गया है.
मुसलमानों के ऊपर लगाए गलत आरोप
नसीमुद्दीन ने चुनाव में बीएसपी की हार का भी जिक्र किया. सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि मायावती अपनी गलत नीतियों के कारण 2009 लोकसभा चुनाव, 2012 विधानसभा चुनाव और 2014 लोकसभा चुनाव हारीं. और उन्होंने मुसलमानों के ऊपर गलत आरोप लगाए.
बता दें कि बुधवार सुबह बसपा के वरिष्ठ नेता सतीश मिश्रा ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी और उनके बेटे अफजल सिद्दीकी को पार्टी से बाहर करने का ऐलान किया.