
भले ही एक्टर नसीरुद्दीन शाह को एक्टिंग विरासत में नहीं मिली मगर इससे नकारा नहीं जा सकता कि नसीरुद्दीन शाह का जन्म एक्टिंग के लिए ही हुआ था. नसीरुद्दीन शाह और एक्टिंग, दोनों ही एक दूसरे के पर्याय लगते हैं. नसीरुद्दीन शाह को इंडस्ट्री में आए हुए करीब 5 दशक गुजर चुका है. इस दौरान वे कई सारे छोटे-बड़े प्रोजेक्ट्स का हिस्सा रहे हैं. इसी के साथ वे थियेटर से भी खास लगाव रखते हैं. 80 के दशक में समानांतर सिनेमा को बढ़ावा देने में अगर किसी एक्टर का सबसे ज्यादा हाथ रहा है तो वो निसंदेह नसीरुद्दीन शाह ही हैं.
20 जुलाई, 1950 को यूपी के बाराबंकी में जन्में नसीरुद्दीन शाह ने जीवन के 70 साल पूरे कर लिए हैं. उन्होंने जिस भी फिल्म में एक्टिंग की शानदार एक्टिंग ही की. फिल्मों में छोटी अपीयरेंस में भी लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेने वाले नसीरुद्दीन शाह के जन्मदिन पर बता रहे हैं उनके करियर के कुछ शानदार रोल्स के बारे में-
1- स्पर्श (1980)- साई परांजपे के निर्देशन में बनी फिल्म स्पर्श में दिखाया गया था कि एक अंधे आदमी का जीवन कैसा होता है. बचपन से ही उसे किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है. नसीरुद्दीन शाह ने जिस खूबी के साथ उस रोल को प्ले किया था शायद ही सिनेमा जगत के इतिहास में किसी ने किया हो. बड़ी ही बारीकी के साथ उन्होंने एक अंधे शख्स का रोल निभाया था और जताने की कोशिश की थी कि उसके लिए समाज के, प्यार के सम्मान के क्या मायने होते हैं. वो कैसे आम लोगों से भिन्न होता है. शबाना आज्मी के साथ उनकी केमिस्ट्री भी अद्भुत थी.
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2- कथा (1982)- साई परांजपे की ही फिल्म कथा में भी नसीरुद्दीन शाह का शानदार अभिनय निकल कर सामने आया. एक आम आदमी राजाराम पुरुषोत्त्म जोशी, जिसकी कमाई औसत है, जो साधारण है और जीवन से उतनी ही आशा रखता है जितनी वो रख सकता है. यहां तक की तंगी की हालत में अपने बेरोजगार दोस्त बासुदेव (फारूख शेख) को भी वो अपने घर में पनाह देता है मगर उसे धोखा मिलता है. प्यार में भी और संसार से भी. नसीर ने फिल्म में एक साधारण इंसान का किरदार बेखूबी निभाया था. इस किरदार ने लोगों के दिल को भी छुआ था.
3- पार (1984)- नसीरुद्दीन शाह ने समानांतर सिनेमा करने के दौरान अधिकतर ऐसे रोल्स प्ले किए जो गरीब तबके के लोगों का हाल बयां करते हैं. ऐसा ही एक रोल उन्होंने पार फिल्म में भी प्ले किया जिसके लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया. हर एक रोल की गहराइयों तक पहुंच जाने की जो कला नसीरुद्दीन शाह में है वो किसी और में नहीं. यही उन्हें दूसरे कलाकारों से अलग बनाती है.
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4- सरफरोश (1999)- जब बात निगेटिव रोल करने की आई तो इसमें भी नसीरुद्दीन शाह कभी पीछे नहीं हटे. उन्होंने आमिर खान की इस फिल्म में एक गजल गायक गुलफाम हसन का रोल प्ले किया था जो देशद्रोही होता है और अपनी सुरीली गजलों के जादू के पीछे आतंकवादियों के साथ मिल कर देश को तबाह करने का षणयंत्र रच रहा होता है.
5- अ वेडनेसडे (2008)- फिल्म में नसीरुद्दीन शाह जिस फ्रस्टेशन के साथ बोलते हैं कि ''आई एम अ स्ट्यूपिड कॉमन मैन'' उस समय ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता कि वो अपना फ्रस्टेशन है ऐसा लगता है कि एक ही आदमी में पूरे देश का फ्रस्टेशन समाया हुआ है. फिल्म में एक आम इंसान के गुस्से को जिस तरह से अपने अभिनय के जरिए नसीरुद्दीन शाह ने दिखाया है वो दर्शाता है कि वे कितने कमाल के एक्टर हैं.
नसीर के हुनर का अंदाजा 1989 में आई त्रिदेव को देखकर भी लगता है. तिरछी टोपी गाने में कॉमिक के साथ डांस करना शानदार है. भारतीय सिनेमा को फक्र होना चाहिए कि उन्हें नसीरुद्दीन शाह जैसा एक्टर मिला है जो पानी की तरह जब जिस किरदार से होकर गुजरता है वैसा ही शेप ले लेता है.