
ये दुनिया तबाही की चौखट पर खड़ी है. ऐसे में दुआ ही मांगी जा सकती है कि फिर से विश्वयुद्ध न हो. अगर ऐसा हुआ तो हर तरफ तबाही का मंजर होगा. ये चिंता इसलिए भी ज्यादा है कि दुनिया के जाने-माने भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने बहुत पहले यह भविष्यवाणी कर रखी है कि वर्ष 2018 में तीसरा विश्वयुद्ध होगा. नास्त्रेदमस ने कहा था कि ये तीसरा विश्व युद्ध दो दिशाओं के बीच होगा. यानी तीसरा विश्वयुद्ध पूरब और पश्चिम के बीच होगा.
दो दिशाओं के बीच युद्ध
दुनिया के सबसे बड़े नजूमी यानी भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने भविष्यवाणी की है कि साल 2018 में तीसरा विश्वयुद्ध होगा. इस भविष्यवाणी के मुताबिक तीसरा विश्व युद्ध सिर्फ दो और दो से ज्यादा देशों में नहीं बल्कि दो दिशाओं के बीच होगा. यानी पूरब और पश्चिम के बीच. ये विश्वयुद्ध इतना भीषण होगा कि इसके खत्म होने के बाद इस पृथ्वी पर महज़ कुछ लोग ही शांति का आनंद उठाने के लिए जिंदा बचेंगे. हालांकि ज़रूरी नहीं है कि नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी सच हो. ऐसा पहले भी हो चुका है.
दुनिया में हैं 15 हजार परमाणु बम
दुनिया के तमाम देशों ने खुद तबाही का सामान जमा कर रखा है. इस वक्त पूरी दुनिया में साढ़े 15 हज़ार से ज़्यादा परमाणु बम हैं. इनमें से एक-एक बम एक भरे-पूरे शहर को श्माशान बनने के लिए काफी है. जापानी शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका ने परमाणु बम गिराकर जैसी तबाही मचाई थी. वैसा ही मंजर अगर पूरी दुनिया में होगा तो कोई उसे देखने वाला भी शायद नहीं बचेगा.
दोनों पक्ष हैं मजबूत
मगर मौजूदा हालात जैसे बन रहे हैं उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि अगर विश्वयुद्ध हुआ तो वो वाकई दो दिशाओं के बीच हो सकता है. क्योंकि एक तरफ अमेरिका और उसके सहयोगी नाटो देश हैं तो दूसरी तरफ उत्तर कोरिया के लिए ढाल बनकर खड़े नज़र आ रहे चीन और रूस हैं. इन दोनों पक्षों के हथियारों को आमने सामने रखा जाए तो ये बराबरी पर नजर आते हैं.
दोनों तरफ हैं कई देश
एक संभावित आकड़े के ज़रिए समझिए कि परमाणु हथियारों से लैस तमाम देश किस दिशा में बढ़ते नज़र आ रहे हैं. अमेरिका के साथ जहां फ्रांस, इंग्लैंड और इजराइल खड़े दिखाई दे सकते हैं. तो वहीं उत्तर कोरिया के साथ चीन और रूस खड़े हो सकते हैं. तो आइए देखते हैं किसके पास कितने हथियार हैं.
दोनों गुटों के हथियारों का आंकड़ा
अमेरिका के पास सबसे ज़्यादा 6800 परमाणु हथियार हैं वहीं फ्रांस के पास 300, इंग्लैंड के पास 215 और इसराइल के पास करीब 80 परमाणु हथियार हैं. मतलब अमेरिकी गुट में कुल परमाणु हथियारों की तादाद 7395 हुई. वहीं दूसरी तरफ उत्तर कोरिया के गुट में उत्तर कोरिया के पास 6 परमाणु हथियार माने जाते हैं. हालांकि कुछ एजेंसियां ये तादाद दस के आसपास बताती हैं. वहीं अगर चीन और रूस को उत्तर कोरिया के साथ माना जाए तो चीन के पास 260 और रूस के पास 7000 परमाणु हथियार हैं. इनकी कुल तादाद को जोड़ा जाए तो उत्तर कोरिया गुट के पास 7270 है. यानी दोनों गुटों के पास परमाणु हथियारों की तादाद तकरीबन बराबर है.
भारत के पास हैं 140 परमाणु हथियार
इस फेहरिस्त में भारत और पाकिस्तान को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि जंग के हालात में इनका रूख क्या होगा ये अभी साफ नहीं. लेकिन दोनों देशों के पास अगर परमाणु हथियार की तादाद की बात की जाए तो भारत के पास जहां 130 परमाणु हथियार हैं वहीं पाकिस्तान के पास 140 परमाणु हथियार हैं.
पृथ्वी का चक्कर लगाने वाली मिसाइल
सोचिए अगर 2 परमाणु बमों ने जापान के दो शहरों का बुरा हाल किया था तो 15 हज़ार से ज़्यादा परमाणु बम इस धरती का क्या करेंगें. विश्वयुद्ध हुआ तो वाकई में शायद शांति देखने के लिए कुछ ही लोग बचेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि इन देशों के पास ऐसी ऐसी मिसाइलें भी हैं जो परमाणु बमों को लेकर पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा सकती हैं.
कई हजार किमी. तक जा सकती हैं मिसाइलें
अमेरिका के पास 15 हज़ार किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइलें हैं, तो वहीं फ्रांस के पास 10 हज़ार किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइलें हैं. इंग्लैंड के पास 12 हज़ार किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइलें हैं. इजराइल के पास साढ़े 11 हज़ार किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइलें हैं. वहीं उत्तर कोरिया गुट में उत्तर कोरिया के पास 13 हज़ार किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइलें हैं. चीन के पास 14 हज़ार किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइलें हैं. जबकि रूस के पास 15 हज़ार किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइलें हैं.
पृथ्वी को बर्बाद कर देगा सिर्फ एक बटन
यानी अमेरिका की मिसाइल नॉर्थ कोरिया के हर शहर तक और नॉर्थ कोरिया की मिसाइल अमेरिका के हर शहर तक पहुंच सकती हैं. यही हाल बाकी देशों की मिसाइलों का भी है. और खौफज़दा करने वाली बात ये है कि इन तमाम देशों की मिसाइलों के बटन राष्ट्राध्यक्ष अपनी अपनी टेबल और ब्रीफकेसों में रखते हैं. यानी तीसरे विश्व युद्ध की शुरूआत और पृथ्वी को बर्बाद करने में सिर्फ एक बटन दबाने भर की देर है.