
एक दशक से ज्यादा समय तक टाटा समूह को यह सवाल परेशान कर रहा था कि रतन टाटा के बाद टाटा समूह का पदभार कौन सम्भालेगा? एक साल तक चली लंबी कवायद के बाद चार साल पहले यानी दिसंबर 2012 में सायरस मिस्त्री की चेयरमैन पद पर ताजपोशी हुई. लगा कि टाटा समूह की एक लंबी खोज का अंत हो गया. लेकिन ये सिलसिला चार साल भी नहीं चल पाया.
चार साल पूरे होने के करीब दो महीने पहले, 24 अक्टूबर 2016 को सायरस मिस्त्री की टाटा सन्स के चेयरमैन पद से विदाई की घोषणा कर दी गई. टाटा से निकाले जाने के बाद साइरस ने कई गंभीर आरोप रतन टाटा और पूरे टाटा बोर्ड पर मढ़ दिए थे. अब जब टाटा समूह को नटराजन के रूप में रतन टाटा का नया उत्तराधिकारी मिल चुका है, तो साइरस मिस्त्री के आरोपों को ध्यान रखना उनके हित में होगा.
जानिए क्या आरोप लगाए थे साइरस मिस्त्री ने
1. साइरस ने खुद को हटाए जाने के फैसले को "कॉरपोरेट इतिहास का अद्वितीय" फैसला कहा था.
2. मिस्त्री ने बोर्ड मेंबर और ट्रस्ट के भेजे ईमेल में लिखा था कि वे हैरान हैं.
3. साइरस ने पूरी प्रक्रिया को अवैध और गैरकानूनी बताया था.
4. इस फैसले को लेने से पहले साइरस को पक्ष रखने का कोई मौका नहीं दिया गया.
5. उन्हें चार साल के कार्यकाल में काम करने की स्वतंत्रता नहीं मिली.
6. उन्हें कार्यभार देने से पहले कंपनी ने नियम में फेरबदल कर प्रमुख के पद को कमजोर कर दिया.
7. साइरस ने आरोप लगाया कि कंपनी के डायरेक्टर कंपनी के हित में काम नहीं कर रहे हैं.
8. साइरस ने कहा कि वह टाटा समूह के प्रमुख बनना नहीं चाहते थे लेकिन कंपनी को कोई और नहीं मिला.
9. मुझसे वादा किया गया था कि कंपनी के कामकाज में मुझे स्वतंत्रता मिलेगी लेकिन इसे निभाया नहीं गया. साइरस ने कहा था कि उनपर उम्मीद पर खरा न उतरने का बेबुनियाद आरोप लगाया गया था.
10. टाटा को टेलीकम्यूनिकेशन के क्षेत्र में बड़ा नुकसान हुआ. -टाटा मोटर्स और टाटा पावर की हालत भी बेहद खराब है.