
गुजरात सहित कम से कम 18 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश, 30 सितंबर तक की तय समय सीमा के भीतर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने में असफल रहे जिससे गरीबों के एक बड़े वर्ग को काफी सस्ते दाम पर अनाज पाने की सुविधा से वंचित रहना पड़ा है.
इन राज्यों ने आखिरी वक्त में बाजी मारी
जबकि इतनी ही संख्या में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने इस कानून को लागू कर दिया है. तेलंगाना, उत्तराखंड, झारखंड, त्रिपुरा, लक्षद्वीप और पांडिचेरी जैसे प्रदेश
आखिरी वक्त में ऐसा कर पाने में सफल रहे.
तीन बार बढ़ाई जा चुकी थी डेडलाइन
इस कानून को संसद में साल 2013 में पास किया गया था और राज्य सरकारों को इस योजना को लागू करने के लिए एक साल का समय दिया गया था. उसके बाद
लागू करने की समयसीमा को तीन बार बढ़ाया गया. आखिरी बाजार की समयसीमा बुधवार को खत्म हो गई. खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'कुल राज्यों
और केन्द्र शासित प्रदेशों में से 50 प्रतिशत ने दो साल से भी ज्यादा समय दिए जाने के बावजूद इस कानून को अभी तक लागू नहीं किया है. इसकी समयसीमा खत्म हो
चुकी है और इसे आगे बढ़ाया नहीं गया है.
कानून के जरिए दो तिहाई आबादी को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य
खाद्य सुरक्षा कानून देश की दो तिहाई आबादी को प्रति व्यक्ति हर महीने एक से तीन रुपये प्रति किलो की दर पर पांच किलो खाद्यान्न राशन की दुकानों से खरीदने
का कानूनी हक देता है.
इन राज्यों में लागू है खाद्य सुरक्षा कानून
मौजूदा स्थिति में 18 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने खाद्य कानून को लागू किया है जिसमें दिल्ली, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब,
राजस्थान, बिहार, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, लक्षद्वीप, पांडिचेरी, त्रिपुरा, तेलंगाना, उत्तराखंड और झारखंड ने इस कानून को पूरी तरह से लागू किया है, जबकि पश्चिम
बंगाल ने ऐसा आंशिक तौर पर किया है.
10 राज्यों में दिसंबर तक कानून लागू होने की उम्मीद
अधिकारी ने कहा कि कम से कम 10 राज्यों में इस कानून के दिसंबर से पहले लागू किए जाने की उम्मीद है जबकि तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों ने इसके लिए
मार्च 2016 तक का समय मांगा है.
केन्द्र सरकार की ओर से कई बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद कई राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने इस कानून को लागू नहीं किया है. केन्द्र ने चेताया था कि जो राज्य इस कानून को लागू करने में विफल रहेंगे उन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत एपीएल और बीपीएल परिवारों के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न का आवंटन रोक दिया जायेगा.
विशेषज्ञों के अनुसार कुछ राज्यों में खाद्य कानून को लागू करने में देर का मुख्य कारण मुख्य लाभार्थियों की शिनाख्त से संबंधित समस्यायें हैं. राज्यों के लिए अधिक नाजुक तबके को लाभार्थियों की सूची में शामिल करने के लिए कुछ लाभार्थियों को लाभ की सूची से बाहर करना मुश्किल हो रहा है.
मौजूदा समय में केन्द्र 18 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को नये खाद्य कानून के अनुसार खाद्यान्न आवंटित कर रहा है जबकि शेष को पीडीएस मानदंड के अनुरूप खाद्यान्न का कोटा दिया जा रहा है.