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नेशनल गेम्स में जीता था गोल्ड, आज मजदूरी करने को मजबूर है ये खि‍लाड़ी

राजस्थान के श्री करनपुर कस्बे के रहने वाले हरजीत सिंह, तरसेम पाल सिंह, गुरविंदर और पेमा राम ने 2014-15 में दिल्ली में नेशनल स्तर पर आयोजित जूडो प्रतियोगिता में मेडल हासिल किए थे. यही खिलाड़ी आज मजदूरी करने को मजबूर हैं.

मजदूरी करते खिलाड़ी मजदूरी करते खिलाड़ी
सुरभि गुप्ता/शरत कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2016,
  • अपडेटेड 10:21 AM IST

राजस्थान में नेशनल गेम्स में मेडल जीतने वाले खिलाड़ी तंगहाली की वजह से मजदूरी करने पर मजबूर हैं. जब कोई खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए तमगे बटोरता है, तो देशवासियों का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है, लेकिन जब इन्हीं खिलाड़ियों को मजदूरी कर पसीना बहाते देखेंगे तो कैसा महसूस करेंगे?

आज तक और इंडिया टुडे ने उठाया सवाल
कहां है केंद्र और राज्य की सरकारें जिनके ऊपर इनको बढ़ावा देने की जिम्मेदारी है. ये सवाल जब 'आज तक' और 'इंडिया टुडे' ने राजस्थान सरकार से किया, तो सरकार मदद को आगे आई.

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कंधों पर बोरियां ढो रहे हैं खिलाड़ी
राजस्थान के श्री गंगानगर जिले में रहने वाले चार नेशनल स्तर के खिलाड़ियों की जिंदगी देख कर हर देशवासी को शर्म आ जाएगी. जिनके लिए कभी तालियों की गड़गड़ाहट थमने का नाम नहीं ले रही थी. वही खिलाड़ी माली हालत खस्ता होने कि वजह से अपने कंधों पर बोरियां ढोने को मजबूर हो चुके है.

जूडो प्रतियोगिता में जीते मेडल
श्री करनपुर कस्बे के रहने वाले हरजीत सिंह, तरसेम पाल सिंह, गुरविंदर और पेमा राम की हालत एक सी है. इन खिलाडियों ने 2014-15 में दिल्ली में नेशनल स्तर पर आयोजित जूडो प्रतियोगिता में अपने हुनर का बखूबी प्रदर्शन किया और मेडल हासिल किए थे.

मेडल मिलने पर भी नहीं सुधरी आर्थिक हालत
हरजीत ने गोल्ड मेडल , तो बाकी दोनों खिलाड़ियों ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किए थे. आज वे ही खिलाड़ी अपने घर चलाने के लिए कस्बे की धान मंडी में 49 डिग्री के आस-पास चल रहे तापमान में अनाज से भरी बोरियां ढो रहे हैं. इन खिलाडियों की माने तो घर की माली हालत बेहद खराब है और आर्थिक स्थिति सुधारने में मेडल भी कोई काम ना आ सके.

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आज तक नहीं मिली पुरस्कार राशि
गोल्ड मेडलिस्ट हरजीत सिंह का कहना है कि सरकार की तरफ से आजतक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. जब नेशनल जीत कर आए थे, तो सरकार और प्रशासन ने पुरस्कार राशि का ऐलान किया था, वो आजतक नहीं मिला. हमें जूडो का शौक है और इसे पूरा करने के लिए मजदूरी कर रहे हैं.

घर चलाने के लिए कर रहे मजदूरी
दूसरे गोल्ड मेडलिस्ट तरसेम पाल सिंह कहते हैं कि घरवाले कहते हैं कि तेरे खेल के इस शौक से घर नहीं चलेगा, जा कुछ कमा कर ला तभी घर चलेगा. इसलिए हमें यहां मजदूरी करनी पड़ रही है.

मदद को आगे आए श्रम मंत्री सुरेंद्र पाल
करनपुर इलाके के विधायक और राजस्थान सरकार में श्रम मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह नेशनल स्तर पर खेल चुके हैं और मंत्री बनने से पहले उन्होंने स्पोर्ट्स कोटे से रेलवे में टीटी की नौकरी पाई थी.

राजस्थान सरकार से दिलवाएंगे मदद
'इंडिया टुडे' और 'आज तक' पर नेशनल स्तर के इन खिलाड़ियों की हालत देख कर श्रम मंत्री मदद को आगे आए हैं. मंत्री का कहना है कि वो खिलाड़ियों की व्यक्तिगत मदद करने के अलावा राजस्थान सरकार से भी मदद दिलवाएंगे. मंत्री ने जिला प्रशासन और राज्य क्रीड़ा परिषद से भी बात कर मदद करने के लिए कहा है.

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