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बैंस ब्रदर्स के दांव के बाद अलग-थलग पड़े नवजोत सिंह सिद्धू

सिद्धू शायद अपने टीवी के मोह को छोड़ नहीं पाए और इस का नतीजा यह निकला कि अब सिद्धू के सहयोगी बैंस ब्रदर्स उनका दामन छोड़ चुके हैं और परगट सिंह भी सिद्धू का हाथ छोड़ कर कांग्रेस का हाथ जल्द ही थामने वाले हैं.

पंजाब में अकेले पड़े नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब में अकेले पड़े नवजोत सिंह सिद्धू
सतेंदर चौहान
  • चंडीगढ़,
  • 23 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST

नवजोत सिंह सिद्धू का आवाज-ए-पंजाब फ्रंट पूरी तरह से टूटने के मुकाम पर जा पहुंचा है और पंजाब के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने की बात करने वाले सिद्धू पिछले 4 महीनों से पंजाब में कदम तक नहीं रख पाए हैं. सिद्धू के दर्शन पंजाब के लोगों को बस टी.वी. पर ही हो रहे हैं हालात ये हो गए हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू जो एक वक्त में किंग मेकर बन कर उभर रहे थे, उन्हें न तो अब कोई राजनीतिक पार्टी पूछ रही है और ना ही आवाज ए पंजाब फ्रंट खड़ा करने के दौरान उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े उनके सहयोगी बल्कि उनके दो खास सहयोगी लुधियाना से विधायक बैंस बंधु तो सिद्धू से बिना मशवरा किये ही आम आदमी पार्टी का दामन भी थाम चुके हैं और परगट सिंह भी इशारों में कह ही चुके हैं कि वो भी ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते और कांग्रेस में उनका जाना तय हो चुका है.

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पहले 'आप' के साथ जाने की थी उम्मीद
एक वक्त था जब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों ही नवजोत सिंह सिद्धू को अपने पाले में लाना चाहती थी. उनको भारी भरकम ऑफर दे रही थी, इन ऑफर्स में नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर के लिए भी मंत्री पद जैसे ऑफर और नवजोत सिंह सिद्धू के लिए डिप्टी सीएम का पद दिए जाने की बात थी. पर शायद सिद्धू की महत्वकांक्षा इससे कहीं ज्यादा थी इसी वजह से सिद्धू कभी आम आदमी पार्टी तो कभी कांग्रेस से बातचीत करते रहे. हालांकि सिद्धू के सहयोगी परगट सिंह और लुधियाना से विधायक बंधु बैंस ब्रदर्स ने उन्हें पूरा मौका और वक्त दिया कि सिद्धू कोई फैसला लें, लेकिन सिद्धू शायद अपने टीवी के मोह को छोड़ नहीं पाए और इस का नतीजा यह निकला कि अब सिद्धू के सहयोगी बैंस ब्रदर्स उनका दामन छोड़ चुके हैं और परगट सिंह भी सिद्धू का हाथ छोड़ कर कांग्रेस का हाथ जल्द ही थामने वाले हैं.

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जा सकते है कांग्रेस में
नवजोत सिंह सिद्धू हालांकि लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं कभी कांग्रेस तो कभी आप में जाने की चर्चाएं भी आम हैं लेकिन भाजपा छोड़ते ही बनाया गया उनके फ्रंट आवाज-ए-पंजाब को उस वक्त एक बड़ा झटका लगा जब उनके फ्रंट के दो बड़े नेता लुधियाना से विधायक सिमरजीत सिंह और बलविंदर सिंह जिन्हें बैंस ब्रदर्स के नाम से जाना जाता है. दोनों ने बिना नवजोत सिंह सिद्धू और उनके सहयोगी परगट सिंह के, आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया. बैंस ब्रदर्स की पार्टी लोक इंसाफ पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच हुए गठबंधन के मुताबिक लोक इंसाफ पार्टी पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी और बाकी सीटों पर आम आदमी पार्टी को समर्थन करेगी. हालांकि इस मौके पर जब बैंस ब्रदर्स से यह सवाल पूछा गया कि उन्होंने बिना नवजोत सिंह सिद्धू के ही यह गठबंधन कर लिया है तो उनका कहना था कि उन्होंने लोगों की मांग पर यह गठबंधन किया है और नवजोत सिंह सिद्धू और परगट सिंह उनके बड़े भाई हैं और उन दोनों को भी इस गठबंधन के बारे में जानकारी दे दी गई है. लेकिन परगट सिंह से बात की गई तो उन्होंने इस पर अफसोस और हैरानी जताई और कहा काश बैंस बंधु बात करके जाते साथ ही परगट ने संकेत भी दिया की वो भी अब कांग्रेस में जल्द जा सकते हैं.

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जल्द लेना होगा फैसला

इस वजह से नवजोत सिंह सिद्धू पर भारी दबाव है कि वह अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर जल्द से जल्द कोई फैसला ले लें नहीं तो पंजाब की राजनीति में वह अलग-थलग पड़ जाएंगे. सिद्धू के पास अब आखिरी मौका यही बचा है कि वह या तो बिना शर्त बैंस ब्रदर्स के साथ आम आदमी पार्टी का साथ दें या फिर कांग्रेस की तरफ से जो उन्हें बिना शर्त पार्टी में आने का निमंत्रण पिछले लंबे वक्त दिया जा रहा है उसे वह स्वीकार कर लें. हालांकि इन दोनों ही सूरत में सिद्धू और उनकी पत्नी को कोई भारी भरकम राजनीतिक फायदा मिलने की उम्मीद नहीं है.

ऐसे हालात में कहा ये भी जा रहा है कि अब सिद्धू के पास सिर्फ एक ही विकल्प है और वो है कांग्रेस क्योंकि अकाली दल और आम आदमी पार्टी दोनों ही बड़ी पार्टियां अपने ज्यादातर उम्मीदवार भी घोषित कर चुकी हैं लिहाजा कांग्रेस ही सिद्धू को कहीं एडजस्ट करने की क्षमता में है और शायद अब सिद्धू को पंजाब पंजाबियत और पंजाबियों की बात भी यहीं करनी होगी.

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