
बस्तर से छिपकर नक्सली अब महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ट्राई जंक्शन बना रहे हैं. इस नई जगह से नक्सलियों को पूरी तरह खत्म करने के लिए गृह मंत्रालय कोबरा कमांडो की छोटी-छोटी टीम बनाकर अलग-अलग राज्यों में तैनात कर रहा है. 'आज तक' ने उन्हीं कोबरा कमांडो की टीम के साथ उनके पूरे ऑपरेशन की तैयारी को देखा.
"ऑपरेशन विध्वंस" के जरिये इस पूरे इलाके में घातक कोबरा टीम तैनात की जा रही है, जो इन नक्सलियों को चुन-चुन कर उनकी मांद में घुसकर मारेगी. केंद्र सरकार ने फैसला कर लिया है कि या तो नक्सली सरेंडर करें या ऑपरेशन के जरिये खत्म किया जाएगा. आज हम उन जांबाज कोबरा कमांडो के बीच हैं जिनको ये जिम्मा दिया गया है कि अब नक्सलियों को समाप्त किया जाए.
हाल में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के हमले में सुरक्षा बलों के जवानों और एक मीडियाकर्मी को खोने के बाद केंद्र ने इस पूरे इलाके में कोबरा बटालियन को तैनात करने का फैसला लिया है. कोबरा कमांडो के लिए न तो यह जगह नई है और न ही नक्सलियों का गोरिल्ला युद्ध. कोबरा कमांडो भारत की उन आठ स्पेशलाइज्ड फोर्सेज में से हैं जिन्हें हर तरह के हालात में दुश्मन से लड़ने की पूरी ट्रेनिंग दी जाती है. यह न सिर्फ हाइटेक वेपंस सिस्टम से लैस होंगे बल्कि इनके पास अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए सभी तरह की अत्याधुनिक तकनीक भी होगी. लिहाजा अब नक्सलियों की खैर नहीं क्योंकि उनके सामने अब कोबरा कमांडो होंगे.
जंगल मे "ऑपरेशन विध्वंस"
जंगल में ऑपरेशन करना काफी कठिन होता है पर नक्सलियों को सबसे पहले उनके छुपने की जगह जानने के लिए कोबरा कमांडो इस पूरे इलाके में बेल्जियन मेलिनोइस किस्म के कुत्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये नक्सलियों के छिपे होने और उनके IED का पता लगाने में पूरी मदद करते हैं. जंगल में ऑपरेशन दिन और रात दोनों वक्त चलता है. इसमें अगर नक्सली के छिपे होने की कोई गुप्त सूचना मिलती है तो उसके आधार जंगल के मैप के जरिये पूरी रणनीति तैयार की जाती है. उसके बाद पूरे लोकेशन को निशाने पर लिया जाता है.
बाइक एंबुलेंस बनेगी संजीवनी
सीआरपीएफ अब नक्सल इलाकों में ऐसी मोटरसाइकिल एंबुलेंस का इस्तेमाल कर रही है जो कमांडो के घायल होने पर उसको लाने ले जाने में मदद करती है. ये एंबुलेंस इसलिए फायदेमंद है क्योंकि नक्सली हर जगह IED बिछा कर रखते हैं. बाइक में IED का खतरा कम रहता है और जहां पर चार पहिया वाहन नहीं पहुंच सकते, वहां ये मोटरसाइकिल एंबुलेंस आसानी से जा सकते हैं.
बहुत मुश्किल होती है ट्रेनिंग
नक्सली इलाकों में होने वाले गोरिल्ला युद्ध को देखते हुए इन कमांडो को जबरदस्त ट्रेनिंग से गुजरना होता है. ट्रेनिंग के दौरान न सिर्फ इनकी शारीरिक कुशलता को आंका जाता है बल्कि मानसिक तौर पर भी इन्हें कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ता है. ट्रेनिंग में इन्हें गोरिल्ला युद्ध, फील्ड इंजीनियरिंग, जमीन के नीचे मौजूद बमों को पहचानने और उन्हें बेकार करने, जंगल में भूखे प्यासे होने की सूरत में वहां की चीजों से पेट भरने और अपने को हर हाल में युद्ध के लिए तैयार रखने की ट्रेनिंग दी जाती है.
जंगल वारफेयर की कड़ी ट्रेनिंग
जंगल वारफेयर के नाम से दी जाने वाली इस ट्रेनिंग को पार करना इनके लिए बड़ी चुनौती होती है. इसके अलावा इस बटालियन से जुड़े हर कमांडो को समय आने पर टीम को लीड करने के साथ जीपीएस डिवाइस का इस्तेमाल करते हुए और सभी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ने, सामने आने वाली इंटेलिजेंस रिपोर्ट के आधार पर अपनी तैयारी करने, जंगल में रहते हुए नक्शे की मदद से नक्सली इलाकों का पता लगाने जैसी अहम ट्रेनिंग भी दी जाती है. कड़ी ट्रेनिंग से गुजरने के बाद भी नक्सली इलाकों में होने वाले ऑपरेशन से पहले इसकी तैयारी के तहत एक डमी ऑपरेशन को अंजाम दिया जाता है. इनके लिए खासतौर पर कोबरा स्कूल ऑफ जंगल वारफेयर एंड टेक्टिस भी बनाया गया है.
आधुनिक हथियारों से लैस कमांडो
कोबरा कमांडो के पास बेहतरीन और अत्याधुनिक हथियार होते हैं जो रात हो या दिन, सभी तरह के ऑपरेशन में बेहद कारगर साबित होते हैं. इनके पास मौजूद हथियारों में इंसास राइफल, एके राइफल्स, X-95 असॉल्ट राइफल्स, हाईपावर ब्रॉनिंग, ग्लॉक पिस्टल, हैकलर और कोच एमपी 5 सबमशीन गन, कार्ल गुस्ताव राइफल्स जैसे हथियार शामिल होते हैं. इनके पास इलेक्ट्रॉनिक सर्विलॉन्स सिस्टम, स्नाइपर टीम जिनके पास ड्रेगुनॉव एसवीडी, माउजर SP66, हैकलर एंड कोच MSG-90 स्नापर राइफल्स होती है. इनके पास मौजूद हथियारों की एक बड़ी खासियत यह है कि इन्हें इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्टरी में ही बनाया जाता है. इन हथियारों को लेकर इनकी एक खास ट्रेनिंग भी होती है.
ऐसे तैयार होते हैं कोबरा
-कोबरा कमांडों को मडाडीनो ट्रेनिंग देकर इन्हें फौलाद बनाया जाता है.
-सुबह की पीटी
-सर्किल पीटी
-रस्सियों पर चलना और लटकना
-कई तरीके की बाधाएं पार करना
-आग के बीच से निकलना
-जंगल के ऊंचे ऊंचे पेड़ों से रस्सी से कूदना
-रेंगते हुए गोलियों के बीच से निकलना.
-सभी तरीके के हथियार चलाने की ट्रेनिंग
-इस साल 31 अगस्त तक 177 से ज्यादा नक्सली हुए ढेर