
शरद पवार ने राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उम्मीदवारी को लेकर लग रही अटकलों को खारिज किया है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) चीफ पवार ने कहा कि 12 सांसदों के साथ वाले व्यक्ति को इस महत्वपूर्ण पद के बारे में उम्मीद नहीं करनी चाहिए.
शरद पवार ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, मैं लोकसभा और राज्यसभा में अपनी पार्टी की क्षमता जानता हूं, जो कुल मिलाकर 12 है. इसलिए 12 सांसदों के समर्थन वाले व्यक्ति से उस महत्वपूर्ण पद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, जिसमें बहुमत की जरूरत पड़ती है.'
'पीएम पद की आकांक्षा, लेकिन जरूरी ताकत नहीं'
वहीं प्रधानमंत्री बनने को लेकर उनकी संभावना और क्षमताओं के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि देश में हजारों ऐसे लोग हैं, जिनके पास संभावना है, लेकिन किसी को इस तरह के पद की आकांक्षा करने के लिए राजनीतिक ताकत की भी जरूरत पड़ती है. उन्होंने कहा, क्षमता एवं संभावना ही राजनीति में पर्याप्त नहीं होते और इसके लिए राजनीतिक ताकत की भी जरूरत पड़ती है. जब तक व्यक्ति को अपनी राजनीतिक ताकत चमकाने में सफलता नहीं मिलती, मुझे नहीं लगता कि कोई सफल हो सकता है.
पवार को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण देने की घोषणा की गई थी. उन्होंने कहा, मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं, जो युक्तिवाद में विश्वास करता है और मेरे युक्तिसंगत विचारों में यह बात उपयुक्त नहीं बैठती.
किसानों को समर्पित किया पद्म विभूषण
पवार ने अपना पद्म विभूषण किसानों को समर्पित किया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने पूरे देश के लिए जो काम किया है, यह उसकी पहचान है. 76 वर्षीय इस मराठा क्षत्रप ने राजनीति में अपने 50 वर्ष पूरे किए हैं. उन्होंने कहा, निश्चित तौर पर यह पूरे देश द्वारा की गई पहचान है. मुझे विभिन्न क्षेत्रों में मेरे कामों के लिए भारत और बाहर कई डॉक्टरेट और पुरस्कार मिल चुके हैं. मैं प्रसन्न हूं कि इन पुरस्कारों के चयनकर्ता ने इस महत्वपूर्ण पुरस्कार के लिए मुझे योग्य समझा.
अपना यह सम्मान किसानों को समर्पित करने के बारे में पवार ने कहा कि उन्हें कृषि में निजी रूचि है. उन्होंने कहा, मैंने बरसों कृषि क्षेत्र के लिए काम किया, सरकार में रहते हुए और बाहर, दोनों तरह से. मैं पिछले 50 सालों से विभिन्न कृषि संस्थान चला रहा हूं. उन्होंने कहा भारत जैसे देशों में कई पेशे कृषि पर निर्भर हैं. अगर आप गरीबी से लड़ना चाहते हैं तो आपको सुनिश्चित करना होगा कि मुख्य पेशा, जो कृषि है, समृद्ध हो. मुझे लगता है कि अगर कृषि समृद्ध होती है तो गरीबी भी खत्म हो जाएगी.