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उबर में चलना भारतीय महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं, ये घटना झकझोर कर रख देगी

कल रात मैं अपने सहकर्मी के यहां डिनर पर गई हुई थी. रात के 10 बजकर 49 मिनट पर घर लौटने के लिए नोएडा सेक्टर 21 से उबर कैब बुक की. मुझे सेक्टर 100 जाना था. वहां जाने में रात के समय मुश्किल से 15 मिनट लगते हैं. इतने में ही एक सफेद हुंडई एक्सेंट उबर कैब मुझे लेने पहुंच गई. मेरे सहकर्मी ने मुझे कैब तक छोड़ा. इसके बाद कैब में बैठ वक्त ड्राइवर मेरी तरफ देखकर मुस्कुराया और हम घर की तरफ चल दिए.

इस घटना से अनन्या काफी सहमी हुई हैं इस घटना से अनन्या काफी सहमी हुई हैं
परवेज़ सागर
  • नोएडा,
  • 13 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 7:49 AM IST

कल रात मैं अपने सहकर्मी के यहां डिनर पर गई हुई थी. रात के 10 बजकर 49 मिनट पर घर लौटने के लिए नोएडा सेक्टर 21 से उबर कैब बुक की. मुझे सेक्टर 100 जाना था. वहां जाने में रात के समय मुश्किल से 15 मिनट लगते हैं. इतने में ही एक सफेद हुंडई एक्सेंट उबर कैब मुझे लेने पहुंच गई. मेरे सहकर्मी ने मुझे कैब तक छोड़ा. इसके बाद कैब में बैठ वक्त ड्राइवर मेरी तरफ देखकर मुस्कुराया और हम घर की तरफ चल दिए.

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लगभग 4-5 मिनट में ही हम जीआईपी मॉल के अंडरपास पर पहुंच गए. वहां मुझसे ड्राइवर ने पूछा कि मुझे कहां जाना है. उसके बोलने पर मुझे उसके मुंह से शराब की बदबू आई, जो शायद पान खाकर उसे छिपाने की कोशिश कर रहा था. इसके बाद मैंने बाहर की तरफ देखकर सोचा की कोई और रास्ता नहीं है. कुछ ही पल में गाड़ी नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे की तरफ मुड़ गई. सड़क बिल्कुल सुनसान थी. मैंने टाइम देखा तो 10.55 हो रहे थे.

खाली रोड पर ड्राइवर लगभग 100 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से गाड़ी चला रहा था. इतनी स्पीड मुझे दिक्कत तो दे रही थी, लेकिन घर जाने की जल्दी में, मैं चुपचाप बैठी रही.

कुछ देर में ही ड्राइवर ने गाड़ी लेफ्ट मोड़ते हुए एक्सप्रेसवे के सामने वाली रोड पर ले ली और सेक्टर 45 निकलते ही गाड़ी कुछ झटके लेने के बाद एकदम रुक गई. मैंने जब ड्राइवर से पूछा तो उसने कहा, पेट्रोल नहीं है. इसके बाद मुझे कुछ पल लगे समझने में कि मामला क्या चल रहा था.

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फिर मैंने ड्राइवर से पूछा "पेट्रोल नहीं है मतलब? आपको पता नहीं था?" वो एकदम बोला "मुझे नहीं पता था" और इसके साथ ही शराब और पान की बदबू तेजी से आई. फिर ड्राइवर ने खिड़की खोली और पान थूक दिया. फिर मैंने उससे पूछा "आपकी गाड़ी में पेट्रोल इंडिकेटर नहीं है" ऐसे कैसे आपको पता नहीं है?" उसने बताया की इंडिकेटर खराब है.

अब मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी. इतने में ही ड्राइवर ने गाड़ी के लॉक बंद किए और अंदर की लाइट जला दी. मैंने उसे लाइट बंद करने को बोला. आप सोच नहीं सकते की हम ऐसी जगह पर रुके हुए थे, जहां से अक्सर लोगों को लूटने और मारपीट करने की ख़बरें आती रहती हैं.

फिर मैंने अपने उसी सहकर्मी को फोन मिलाया, जिसके घर से मैं आई थी. फोन मिलाते हुए मैंने देखा की ड्राइवर भी किसी को कॉल कर रहा था. मेरे सहकर्मी के फोन उठाते ही मैंने उसको बताया कि जिस कैब से मैं गई थी, उसका पेट्रोल ख़त्म हो गया है और हम एक सुनसान सड़क पर खड़े हैं. अपने सहकर्मी से बात करते करते मुझे ड्राइवर की कुछ बातें भी सुनाई दी, जिसमे वो कुछ "पेट्रोल" पेट्रोल पंप" "एक्सप्रेसवे के पास" "सवारी" "क्लाइंट" शब्द बोल रहा था.

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अभी तक मैं अपने आप को शांत करते हुए यहां से निकलने के तरीके ढूंढ ही रही थी कि एक दम मैंने ड्राइवर को "औरत" बोलते सुन लिया. ये शब्द मेरे लिए ऐसा था जैसे कोई दर्द का अटैक मुझे आया हो. फिर भी मैंने अपनी आवाज़ और हालत को संभालते हुए अपने दोस्त को फोन पर अपनी सही लोकेशन बताई. वह मुझे लेने के लिए घर से निकल गया था.

अब ड्राइवर ने मुझसे पूछा "आपने किसी को बुलाया है आपको लेने?" मैंने हां में उसे जवाब दे दिया. फिर उसने कहा "आप 10 मिनट रुक जाइये मेरा भाई पेट्रोल लेकर आता ही होगा." खैर उसकी बात को मैंने नजरंदाज करते हुए अपने सहकर्मी को फिर फोन मिलाते हुए चेक किया कि वह कहां तक आ गया है. उसने बताया की वह बस एक्सप्रेसवे पर ही है. उस वक्त लगभग 11.05 हुए थे. इसी दौरान ड्राइवर ने उन्ही दो लोगों को फोन मिलाया, जिनसे उसने अभी कुछ देर पहले बात की थी. मैं उस समय अपने आप को समझाने में लगी हुई थी की सब ठीक होगा, विवेक बस आने ही वाला है.

इस बीच वहां से कई गाड़ियां गुजरी, मैंने देखा एक यूपी पुलिस की गाड़ी भी जा रही है, पर वे काफी तेजी में थे. कुछ मिनट रुकने के बाद मैंने अपनी एक और फ्रेंड को कॉल मिलाया और समान्य दिखने की कोशिश में उसे बताया की बस विवेक पहुंचने वाला है. उसके बाद ड्राइवर ने भी अपने भाई को फोन मिलाकर बातें की.

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तक़रीबन 11 बजकर 12 मिनट पर विवेक की कार हमारे पास पहुंच गई. उसके बाद मैंने ड्राइवर को अपनी ट्रिप कैंसिल करने को कहा और विवेक की गाड़ी में जाकर बैठ गई. उसने ट्रिप कैंसिल नहीं की और मुझे घूरकर देखा. हम वहां से निकल गए और मैंने रास्ते में ट्रिप कैंसिल की.

गाड़ी में मैंने विवेक को थोडा हल्के तरीके से पूरी कहानी बताई. विवेक मुझे घर पर छोड़ कर वापस चला गया. घर जाने के बाद लगभग 10 मिनट मैं चुपचाप अपना सिर पकड़ के बैठी रही. पूरी रात मुझे उस घटना के छोटे छोटे हिस्से याद आते रहे. यहां तक कि सारी घटना को ट्वीट करते हुए भी सहम रही थी.

इस बारे में मैंने उबर एप में दो शिकायत डाली. मैंने उबर सहायता के ट्विटर अकाउंट पर भी अपनी मेल आईडी और नंबर के साथ सीधा मैसेज किया. लगभग आधे घंटे बाद उबर की तरफ से मुझे दो मेल मिले. एक में लिखा था कि मैंने एक ट्रिप पर कई बार शिकायत की हैं और वे प्रॉब्लम को जांच रहे हैं. वहीं दूसरे मेल में लिखा था कि रात में ज्यादा देरी होने की वज़ह से वह ड्राइवर के टच में नहीं हैं.

फिर अगले कई घंटे मेरे दोस्त और जानकार मुझे मैसेज और कॉल कर मेरे हालचाल पूछते रहे. मैंने इस घटना से उबरने के लिए पूरी एक रात बिना सोए काट दी. मैं जब भी आंख बंद करने की कोशिश करती, तो मुझे उस पल की याद आती. जब ड्राइवर ने एकदम से गाड़ी रोकी थी.

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आज सुबह ट्विटर पर दोस्तों और सहकर्मियों से मिली अच्छी सपोर्ट के बाद, मुझे उबर का कॉल आया. इस आधे घंटे की कॉल में उन्होंने मुझे बताया कि जांच करते हुए ड्राइवर का फोन उस ट्रिप के बाद से बंद है. उन्होंने मुझे यकीन दिलाया कि उसका अकाउंट सस्पेंड कर उसे उबर से निकाल दिया जाएगा.

अब घटना के 20 घंटे बाद, मैं बस अपने उस दोस्त को शुक्रिया कहना चाहती हूं, जो उस ड्राईवर के भाई से पहले मुझे लेने पहुंच गया. और मेरे दोस्त के साथ फोन स्विच ऑफ और एकदम से गाड़ी खराब हो जाने जैसा कुछ नहीं हुआ. जिस वजह से मैं अपने घर सुरक्षित पहुंच गई.

 

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