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दिल्ली-एनसीआर में चलने वाले टैक्सी और बस ड्राइवरों को अपनी गाड़ियां बदलनी होंगी. दिल्ली से प्रदूषण कम करने की मुहिम के बीच अब नया नियम बनने जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित एन्वायर्नमेंट पॉल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी (EPCA) ने फैसला किया है कि एनसीआर में पड़ने वाले यूपी और हरियाणा के सात जिलों की टैक्सी सीएनजी से ही चलें.
यहां के ड्राइवरों को बदलनी पड़ेंगी गाड़ियां
कमेटी का फैसला यूपी के गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, मेरठ और हरियाणा के गुड़गांव, फरीदाबाद, झज्जर और सोनीपत में लागू होगा. यहां लोगों को अपनी डीजल टैक्सी सीएनजी में कन्वर्ट करानी पड़ेंगी . यहां डीजल के नए ऑटो, टैक्सी और बसों को परमिट भी जारी नहीं किया जाएगा. फैसला तुरंत प्रभाव से लागू हो गया. क्योंकि इन सभी जिलों की सीमा दिल्ली से लगती है.
1 जनवरी से फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं
इन सभी शहरों में डीजल से चलने वाले मौजूदा ऑटो और टैक्सी को पहली जनवरी से ही फिटनेस सर्टिफेकट दिया जाना बंद हो जाएगा. वहीं, बसों के लिए यह नियम 1 जून से लागू होगा. फिलहाल स्कूल बसों को इस फैसले से छूट दी गई है. यानी स्कूल बस ड्राइवरों को अभी चिंता करने की जरूरत नहीं है.
इन सात शहरों में इसलिए यह फैसला
इन सातों शहरों में मेट्रो नहीं है और 31 करोड़ की आबादी बसों, ऑटो और टेंपो का इस्तेमाल करती है. कोर्ट के कई फैसलों के बावजूद ये अभी तक डीजल से ही चल रही हैं. अकेले मेरठ में ही 2000 बसें और मिनि बस हैं जो डीजल से चल रही हैं. EPCA ने कहा किया है कि यदि यह योजना कामयाब होती है तो बुलंदशहर, बागपत, हापुड़, मेवात और रोहतक जैसे शहरों में भी इसे लागू किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में कर चुका बैन
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली की बसों के लिए 1998 से ही सीएनजी को अनिवार्य कर चुका है. अब EPCA को सुप्रीम कोर्ट के 16 दिसंबर के उस फैसले के क्रियान्वयन की निगरानी का जिम्मा भी सौंपा गया है, जिसमें कहा गया था कि 31 मार्च तक दिल्ली में 2000 सीसी से ज्यादा की नई गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन न हो. कोर्ट ने 10 साल पुराने ट्रकों के दिल्ली में प्रवेश पर भी रोक लगाई है. साथ ही कहा है कि 1 मार्च से सभी टैक्सी सीएनजी पर ही चलें.