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बिहार की जनता के नाम NDA का खुला खत, नीतीश पर साधा निशाना

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को DNA वाले बयान पर माफी मांगने और शब्द वापस लेने की मांग करते हुए खुला खत लिखा तो बचाव में एनडीए के नेता उतर आए हैं. पढ़िए पूरी चिट्ठी यहां-

CM नीतीश की चिट्ठी के जवाब में NDA का दांव CM नीतीश की चिट्ठी के जवाब में NDA का दांव
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 11:08 PM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को DNA वाले बयान पर माफी मांगने और शब्द वापस लेने की मांग करते हुए खुला खत लिखा तो बचाव में एनडीए के नेता उतर आए हैं.

एनडीए के नेताओं ने नीतीश के खत पर जवाब देते हुए बिहार की जनता के नाम पत्र लिखकर पूरे मामले में अपना पक्ष रखा और लोगों से राह न भटकने की अपील की. पढ़िए पूरी चिट्ठी यहां-

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बिहार के प्रिय बहनों और भाइयों,
आज सुबह जारी हुआ बिहार के मुख्यमंत्री का पत्र बहुत निराशाजनक है. हम सोच रहे थे कि ये पत्र बिहार की प्रगति को लेकर होगा. बिहार की उन्नति को लेकर होगा लेकिन हम गलत सोच रहे थे. इस पत्र के बारे में ‘खोदा पहाड़ और निकली चुहिया’ भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसमें बिहार और बिहारवासियों की उन्नति के बारे में एक शब्द नहीं है.

हमें पीड़ा इस बात की है कि जिस बिहार के पास देश का ग्रोथ इंजन बनने की क्षमता है, उस बिहार की आवाज को एक आदमी की आवाज, एक मुख्यमंत्री और उसके हठ की आवाज बनाने की साफ, निंदनीय और सोची समझी साजिश की गई है. बिहार में लोगों को हांक कर अपने इशारों पर चलाने की कोशिश कभी कामयाब नहीं हुई है. हम विनम्रता पूर्वक कहना चाहते हैं कि- ‘Bihar is not Nitish Kumar and Nitish Kumar is not Bihar. मैं ही बिहार हूं, यह नीतीश का भ्रम है.’ बिहार के मुख्यमंत्री का पत्र बताता है कि एक व्यक्ति अपने हठ और सत्तालोलुपता के लिए किस हद तक जा सकता है.

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साफ है कि मुख्यमंत्री का ये कदम बिहार के लोकाचार के अनुरूप नहीं है. बिहार तो लोकतंत्र, सहिष्णुता, संवाद और दूरदर्शी नेतृत्व की भूमि है. बिहार से ही भगवान बुद्ध ने शांति और सहिष्णुता का संदेश दिया. ये बिहार ही है जिसका इतिहास लोकतांत्रिक परंपराओं से संमृद्ध है और ये बिहार ही है जो सिकंदर जैसे आक्रांताओं का मानमर्दन करने की क्षमता रखता है. गरीबों, वंचित, शोषित और महादलितों का अपमान बिहार की संस्कृति नहीं है, लेकिन श्री नीतीश कुमार को ऐसा करने में ही आनंद आता है.

इससे पता चलता है कि श्री नीतीश कुमार के सलाहकार एक बार फिर फेल साबित हुए हैं. लेकिन, इसमें अचरज की बात नहीं, क्योंकि इससे पहले भी वो अपने आसपास रहने वाले चाटुकारों की मंडली के बहकावे में आकर मानने लगे थे कि वो भारत के प्रधानमंत्री बन सकते हैं. इस कारण उन्होंने बीजेपी के साथ अपना गठबंधन भी तोड़ दिया. उसके बाद इतिहास साक्षी है कि क्या हुआ.

हालांकि श्री नीतीश कुमार से इतनी तो अपेक्षा की ही जा सकती है कि उनमें शब्दों और मुद्दों की समझ होगी. प्रधानमंत्री ने 26 जुलाई को मुजफ्फरपुर के अपने भाषण में श्री नीतीश कुमार जी की राजनीतिक यात्रा के बारे में एकदम सटीक और प्रासंगिक टिप्पणी की, जिसे हमारी (और अन्य कई लोगों की भी) राय में छल, कपट और एहसानफरामोशी के रूप में व्यक्त किया जा सकता है.

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प्रधानमंत्री का बयान श्री नीतीश कुमार (न कि बिहार) के राजनीति डीएनए के बारे में था (न ही उनके या बिहार के डीएनए के बारे में, जैसा कि उन्होंने उसे शरारतपूर्वक प्रचारित किया). श्री नीतीश कुमार, प्रधानमंत्री को लिखने से पहले आप कृपया अपने राजनीतिक लाभ के लिए प्रधानमंत्री के शब्दों को तोड़ने-मरोड़ने और बिहार को नीचा दिखाने के लिए बिहार की जनता से माफी मांगिए.

हम बिहार के लोगों को बताना चाहते हैं कि एनडीए की सरकार आने के बाद बीते एक साल में बिहार की प्रगति में उल्लेखनीय वृद्धि हुए है. बात चाहें मंत्रालयों में प्रतिनिधित्व की हो, संसाधनों के आवंटन की हो या विकास परियोजनाओं के पूरा होने की हो, बिहार हमेशा प्राथमिकता पर रहा है. जिन लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री इन 14 महीनों में कभी बिहार नहीं आए, उनसे हमारा कहना है कि क्या उन्होंने कभी उस समय निराशा जताई जब पिछले प्रधानमंत्री को उनके दस वर्षों के कार्यकाल में एक बार किए गए हवाई सर्वे को छोड़ कभी बिहार आने का मौका नहीं मिला.

श्री नीतीश कुमार के राजनीति की ABCD है- Arrogance, Betrayal, Conspiracy and Deceit. कोई आश्चर्य नहीं कि श्री लालू प्रसाद यादव ने उनके बारे में कहा, ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको नीतीश ने ठगा नहीं. प्रिय लालू जी से बेहतर उन्हें कौन जानता है. और क्या ऐसा कहने के लिए उन्होंने कभी उन्हें खुली चिट्ठी लिखी है.

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बिहार के मुख्यमंत्री ने जेपी और लोहिया का उद्धरण भी दिया है, लेकिन हमें ये सोचकर भी कंपकपी आती है कि जेपी और लोहिया जी इस नई दोस्ती, और जिन्हें वो सपोर्ट कर रहे हैं (पहले चुपचाप और अब खुलकर), उनके बारे में क्या कहते. आखिर वो आजाद भारत की अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार यूपीए2 का समर्थन करने के पाप से कैसे मुक्त हो सकते हैं.

जब श्री नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ा तो आप जानते हैं कि सबसे बड़ा नुकसान क्या हुआ- बिहार के विकास और बिहार के लोगों की आकांक्षाओं पर कुठाराघात. आपने विकास की उम्मीद के साथ एनडीए को वोट दिया था. और ये उम्मीद एक व्यक्ति के हठ और महत्वाकांक्षा के आगे बिखर गई. गठबंधन टूटने के बाद श्री नीतीश कुमार के दोनों कार्यकाल ने ‘सुशासन बाबू’ के मिथक का सच सामने ला दिया दिया है.

इसके अलावा, हमें खुशी इस बात की है कि बिहार के मुख्यमंत्री को एक नया काम मिल गया है- श्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने का काम. उन्होंने इसके लिए एक स्पेशल वेबसाइट भी बनाई है. हमें विश्वास है कि ये पहला पत्र है और बाकी आने वाले हैं, क्योंकि नवंबर 2015 के बाद उनके पास पत्र लिखने के लिए खूब समय होगा. खास बात ये है कि अब हम उन्हें उन माध्यमों के जरिए पत्र पोस्ट करते हुए देख रहे हैं, जिन्हें वो पहले तुच्छ मानकर खारिज कर देते थे.

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बिहार के बहनों और भाईयों, अब निर्णय आपको करना है. क्या हम उन्हें चाहते हैं जो असली मुद्दों से हमें भटकाना चाहते हैं या हम एक ऐसी टीम चाहते हैं जो अपना प्रत्येक क्षण बिहार की प्रगति के लिए लगाए और बिहार को भारत का सर्वाधिक विकसित राज्य बनाए. बिहार में विकास और सुशासन की चाहत है, न कि घिसी-पिटी राजनीति, अहंकार की लड़ाई और ‘जंगल राज’ की.

सदा आपके
राम विलास पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, सुशील मोदी, डॉ. सीपी ठाकुर

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