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राफेल लड़ाकू विमानों पर डील 'फाइनल स्टेज' में, भारत देगा 60 हजार करोड़ रुपये

फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मुद्दे पर चल रही बातचीत ‘अंतिम चरण’ में पहुंच गई है. भारत और फ्रांस कीमत के मुद्दे पर अपने मतभेदों में कमी लाने में सफल हो गए हैं. सरकारी सूत्रों ने बताया कि अब तक करार पूरा नहीं हुआ है, लेकिन यह ‘अंतिम चरण’ में है.

36 लड़ाकू विमानों की होनी है खरीद 36 लड़ाकू विमानों की होनी है खरीद
संदीप कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 15 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST

फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मुद्दे पर चल रही बातचीत ‘अंतिम चरण’ में पहुंच गई है. भारत और फ्रांस कीमत के मुद्दे पर अपने मतभेदों में कमी लाने में सफल हो गए हैं. सरकारी सूत्रों ने बताया कि अब तक करार पूरा नहीं हुआ है, लेकिन यह ‘अंतिम चरण’ में है.

सूत्रों ने बताया कि कॉन्‍ट्रैक्‍ट को लेकर बातचीत काफी सकारात्‍मक दिशा में चल रही है और एक महीने के भीतर इसे फाइनल किया जा सकता है. उनके मुताबिक, इस कॉन्‍ट्रैक्‍ट को 59 हजार 500 करोड़ रुपये में फाइनल किया जा सकता है.

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बता दें कि फ्रांस ने इस डील के लिए 80 हजार करोड़ रुपये से बातचीत शुरू की थी जिसमें वेपंस का पूरा पैकेज, ट्रेनिंग और 50 प्रतिशत ऑफसेट्स क्‍लॉज शामिल था. माना जा रहा है कि फ्रांस इस बात को बखूबी जानता है कि भारत यह डील करने के लिए कितना बेचैन है क्‍योंकि उसे अपने वायुसेना में बड़े स्‍तर पर बदलाव करना है और नए विमानों को शामिल करना है.

हालांकि, भारत शुरू से ही इस डील के लिए 80 हजार करोड़ रुपये को कम करने के लिए दबाव बनाता रहा है. भारत चाहता है कि इसे 60 हजार करोड़ रुपये के आसपास में फाइनल किया जाए. इसी को लेकर पिछले कई सालों से यह डील रुकी पड़ी है.

बता दें कि इन 36 रफाल लड़ाकू विमानों को फ्रांस से सीधे खरीदा जाएगा. कॉन्‍ट्रैक्‍ट जब फाइनल हो जाएगा तो इन विमानों की सप्‍लाई में दो से तीन साल तक का वक्‍त लगेगा.

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सूत्रों ने बताया कि पिछली यूपीए सरकार की निविदा के मुताबिक, लागत में बढ़ोत्तरी और डॉलर की दर ध्यान में रखते हुए, 36 राफेल 65,000 करोड़ रूपए से थोड़ी ज्यादा कीमत पर खरीदे जा सकेंगे. इसमें विमान में किए जाने वाले उन बदलावों पर आने वाला खर्च भी शामिल है जिसकी मांग भारत ने की है.

अंतिम करार मई के अंत तक पूरा हो जाने की संभावना है.

इस करार में 50 फीसदी ऑफसेट आपूर्ति, छोटी भारतीय कंपनियों के लिए कम से कम तीन अरब यूरो का कारोबार पैदा करने और ऑफसेटों के जरिए भारत में हजारों नई नौकरियां पैदा करने जैसे प्रावधान हैं.

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