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नेपाल में आए महा भूकंप के बाद अभी भी राहत और बचाव कार्य जारी है. मरने वालों का आंकड़ा करीब 6 हजार तक पहुंच चुका है लेकिन नेपाल के सेना प्रमुख ने इस आपदा में मरने वाले लोगों की संख्या 15,000 तक पहुंचने की आशंका जताई है. नेपाल में गुरुवार को बारिश वाले दिन मलबे से एक किशोर और एक महिला को जिंदा निकाले जाने के वक्त थोड़ी खुशी का लम्हा आया जबकि तीन हल्के झटकों से लोग सहमे रहे.
एक लंबी खामोशी के बीच उस वक्त खुशी की लहर दौड़ गई जब 15 साल के पेम्बा लामा को सात मंजिला भवन के मलबे से जिंदा निकाला गया जिससे और लोगों के जीवित निकालने जाने की आशा बढ़ गई. वहीं, बारिश और रिक्टर पैमाने पर 3.9 और 4. 7 की तीव्रता से आए झटकों के चलते राहत कार्य प्रभावित हुआ. नुवाकोट निवासी धूल से सने लामा को पांच घंटे के बचाव अभियान के बाद सुरक्षित निकाला जा सका और उसे एक अस्पताल ले जाया गया. भक्तपुर शहर में मलबे से चार महीने के एक बच्चे को जिंदा निकाले जाने के बाद यह किशोर करिश्मे के तहत बचने वाले एक और व्यक्ति है.
खबरों के मुताबिक कुछ घंटों बाद करीब 30 साल की महिला कृष्णा देवी खडका को कुछ दूरी पर मलबे से निकाला गया. वह काठमांडू के मुख्य बस टर्मिनल के पास वाले इलाके में फंसी हुई थी जहां काफी सारे होटल हैं. बचावकर्मी अब भी सुदूर पहाड़ी इलाकों में पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं जहां भारी बारिश और भूस्खलन के कारण बचाव कार्य बाधित हो रहा है. भूकंप में करीब 6000 लोग मारे जा चुके हैं और कम से कम 11 हजार लोग घायल हुए हैं.
गुरुवार सुबह भारी बारिश होने के कारण हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर सके. देश में हताशा और गुस्सा बढ़ गया जहां लोगों के पुलिस के साथ संघर्ष करने और पानी व खाने-पीने के सामान के लिए छीना-झपटी के दृश्य देखे गए. अधिकारियों ने कहा है कि देश में सहायता हासिल करने और उसे सुदूरवर्ती क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने में उन्हें कठिनाई आ रही हैं.
राहत और बचाव अभियान अब तक काठमांडू घाटी तक सीमित है इसलिए दूसरे प्रभावित जिलों में बचाव अभियान के लिए प्रशिक्षित लोगों की सख्त जरूरत है. इस बीच, नेपाल सेना प्रमुख जनरल गौरव राणा ने बताया, ‘हमारा अनुमान अच्छा नहीं नजर आ रहा. हमें लग रहा है कि 10 से 15 हजार लोग मारे गए होंगे.’ वह राष्ट्रव्यापी बचाव कोशिश का नेतृत्व कर रहे हैं. राणा ने स्वीकार किया कि जबरदस्त भूकंप के बाद की परिस्थिति से अधिकारी संघर्ष कर रहे हैं जिनमें रोग का खतरा और बचाव कोशिश की गति को लेकर जनाक्रोश शामिल है.
उन्होंने कहा, ‘रोष है और हम इसे देख रहे हैं. हां, महामारी का खतरा है और हम इसे देख रहे हैं.’ राणा ने कहा कि वह समझ सकते हैं कि कितने लोग सरकार की प्रतिक्रिया से गुस्से में होंगे. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सेना पुलिस के साथ मिलकर स्थानीय हॉट स्पॉट की पहचान कर रही है और चीजों को राजनीतिक रूप से नियंत्रित कर रही है.
इनपुट भाषा से