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नेपाल के बैंकों में अब भी 7 करोड़ के पुराने भारतीय नोट, भारत से नहीं मिला कोई आश्वासन: ग्यावली

रायसीना डायलॉग में शि‍रकत करने भारत आए नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीव ग्यावली ने बताया कि नेपाल के बैंकों और आम जनता के पास अब भी बड़ी मात्रा में पुरानी प्रतिबंधित भारतीय करेंसी बची हुई है. इस पर भारत सरकार से बात चल रही है, लेकिन अभी कोई आश्वासन नहीं मिला है.

नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली
गीता मोहन
  • @Geeta_Mohan,
  • 11 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST

नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने भारत को एक महत्वपूर्ण कारोबारी साझेदार और भरोसेमंद दोस्त बताया है. भारत दौरे पर आए ग्यावली ने कहा कि नेपाल के लिए भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का भी एक बड़ा स्रोत है. उन्होंने कहा कि नेपाल के बैंकों और आम जनता के पास अब भी बड़ी मात्रा में पुरानी प्रतिबंधित भारतीय करेंसी बची हुई है. इस पर भारत सरकार से बात चल रही है, लेकिन अभी कोई आश्वासन नहीं मिला है.

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ग्यावली रायसीना डायलॉग में शि‍रकत करने भारत आए हैं. भारत के विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने इस संवाद का आयोजन किया है.

पुराने भारतीय नोट

नेपाल में 500 और 1000 के पुराने नोट के सवाल पर प्रदीप ग्यावली ने कहा, ' हमने भारत से इस मसले को सुलझाने को कहा है. हम यह आवश्वासन चाहते हैं कि आगे जब भी कोई नया नोट आता है, तो ऐसी कोई समस्या न आए. उन्होंने कहा ऐसे करीब सात करोड़ रुपये मूल्य के भारतीय नोट नेपाल के बैंकिंग सिस्टम में हैं, लेकिन यह अंदाजा नहीं है कि जनता के पास ऐसे कितने नोट हैं. हम चाहते हैं कि इन सभी पुराने नोटों की जगह नई भारतीय करेंसी मिले. हमने इसकी चर्चा की है, लेकिन इस पर भारत सरकार से अभी कोई जवाब नहीं मिला है.'

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सार्क सम्मेलन जल्द होने की उम्मीद

द्‍वि‍पक्षीय रिश्तों के बारे में उन्होंने कहा कि काफी समस्या हमें विरासत में मिली है. लंबे समय से लंबित मसलों को रातोरात हल नहीं किया जा सकता. लेकिन हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि आतंकवाद और गरीबी से अकेले नहीं लड़ा जा सकता. इसके लिए सार्क देशों को सामूहिक प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा कि इस बात के ठोस संकेत मिले हैं कि सार्क सम्मेलन का आयोजन जल्द ही हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत को नेपाल-चीन रिश्तों से कोई समस्या नहीं होनी चाहिए, क्योंकि नेपाल को भारत-चीन रिश्तों से कोई समस्या नहीं होती.

उन्होंने कहा कि नेपाल में नई सरकार के गठन के बाद हमने सबसे पहले पड़ोसी नीति पर ध्यान दिया और इसमें भारत का प्रमुख स्थान है. जब पिछले साल नेपाल के पीएम भारत आए थे तो उन्होंने कई नए आयामों पर जोर दिया. भरोसा बनाने, मौजूदा प्रोजेक्ट्स को लागू करने और सीमा पार रेलवे और आंतरिक जल मार्ग जैसे आर्थिक सहयोग बढ़ाने, कृषि और ऑर्गनिक खेती जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया गया.

बिजली के आदान-प्रदान पर जोर

नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा, 'ऊर्जा सहयोग के क्षेत्र में हम एनर्जी बैंकिंग मॉडल का इस्तेमाल कर सकते हैं. हमें जाड़े के दौरान ज्यादा बिजली चाहिए. हम पनबिजली पर निर्भर हैं, इसलिए जाड़े में हमारे पास सरप्लस नहीं होता. मानसून में हमारे पास सरप्लस होता है और उस दौरान भारत को अतिरिक्त बिजली चाहिए होती है. इसलिए हम इसके लिए व्यवस्था कर सकते हैं.'

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उन्होंने कहा कि नेपाल एक ट्रांजिट देश नहीं है और ग्लोबल मार्केट तक पहुंचने के लिए अब इनलैंड वाटरवेज पर जोर दिया जा रहा है ताकि मार्केटिंग की लागत घट सके. बनारस तक गंगा जल प्रणाली से जुड़ने वाली नेपाली नदियों का इस्तेमाल इसके लिए किया जा सकता है.

पंचेश्वर परियोजना के बारे में कहा कि इसके लिए 23 साल से इंतजार हो रहा है. हम चाहते हैं कि सभी लंबित मसलों का निपटारा हो और बिजली सहयोग में एक नए अध्याय की शुरुआत हो.  

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