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मधेशि‍यों ने नेपाल संविधान संशोधन को अपूर्ण करार देकर खारिज किया

नेपाल में आंदोलन को खत्म करने के लिए संविधान में किए गए संशोधन को मधेशियों ने मानने से इनकार कर दिया है. मधेशियों ने कहा है कि ये संशोधन गतिशील तो है लेकिन पूर्ण नहीं है.

मधेशि‍यों ने ठुकराया संविधान संशोधन मधेशि‍यों ने ठुकराया संविधान संशोधन
मोनिका शर्मा
  • काठमांडू,
  • 24 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 11:29 PM IST

नेपाल के आंदोलनकारी मधेशियों ने वर्तमान राजनीतिक संकट को हल करने और भारत के साथ लगे अहम सीमा व्यापारिक मार्गों की नाकेबंदी खत्म करने के उद्देश्य से संसद में पारित हुए संविधान संशोधन विधेयक को ‘अपूर्ण’ करार देकर खारिज कर दिया है और कहा कि इससे संघीय पुनर्सीमांकन को लेकर उनकी चिंताओं का समाधान नहीं हुआ है.

संशोधन को बताया 'अपूर्ण'
शनिवार को दो तिहाई बहुमत से पारित संशोधन मधेशियों की दो अहम मांगों - मूलरूप से भारतीय मूल के अल्पसंख्यक समुदाय को अनुपातिक प्रतिनिधित्व और जनसंख्या के आधार पर संसद में सीटों के आवंटन पर केंद्रित है. आंदोलनकारी दलों के सांसदों ने यह कहते हुए मत-विभाजन का बहिष्कार किया कि यह संशोधन अपूर्ण है क्योंकि यह संघीय पुनर्सीमांकन समेत उनकी चिंताओं का समाधान नहीं करता.

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प्रगतिशील होने के बावजूद अपूर्ण
संयुक्त लोकतांत्रिक मधेसी मोर्चा के घटक संघीय समाजवादी फोरम नेपाल के सह अध्यक्ष राजेंद्र श्रेष्ठ ने कहा कि संसद में 15 दिसंबर को जो मूल विधेयक पेश किया गया था, नेपाली कांग्रेस के मिनेंद्र रिजाल और फरमुल्लाह मंसूर का प्रस्ताव उससे कहीं अधिक प्रगतिशील है. विभिन्न दलों के 100 से अधिक सांसदों ने विधेयक में संशोधन की मांग करते हुए 24 प्रस्ताव दिए. इस विधेयक को रिजाल और मंसूर द्वारा दर्ज कराए गए प्रस्ताव को शामिल करते हुए सदन ने पारित किया. काठमांडू पोस्ट की खबर है कि मधेस आधारित आंदोलनकारी दलों ने कहा कि संशोधन प्रस्ताव, जिसके आधार पर संविधान संशोधन विधेयक मंजूर किया गया, प्रगतिशील होने के बावजूद अपूर्ण है.

सहमति बनने तक प्रदर्शन
मोर्चा के नेताओं ने कहा कि मूल पाठ को गहराई से पढ़ने के बाद वे और टिप्पणियां करेंगे. श्रेष्ठ ने कहा, 'लेकिन अभी कोई टिप्पणी करना बहुत जल्दबाजी होगी क्योंकि हम अबतक संशोधन प्रस्ताव पूरी तरह पढ़ नहीं पाए हैं.' उन्होंने कहा कि मोर्चा का प्रदर्शन तबतक जारी रहेगा जबतक संघीय पुनर्सीमांकन पर सहमति नहीं बनती. तराई क्षेत्र के बाशिंदे मधेशी नए संविधान के विरूद्ध हैं जो उनके पैतृक होमलैंड को सात प्रांतीय ढांचे में बांटता है.

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कई लोगों की गई जान
मधेशियों ने भारत के साथ सीमा व्यापारिक मार्गों की नाकेबंदी कर रखी है. भारत के साथ दृढ सांस्कृतिक और पारिवारिक नाते रखने वाला यह आंदोलन समुदाय प्रांतों के सीमांकन, निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन जनसंख्या के आधार पर और अनुपातिक प्रातिनिधित्व की मांग कर रहा है. कई महीनों से जारी उनके आंदोलन में अबतक कम से कम 55 लोगों की जान जा चुकी है.

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