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नेपालः PM ओली की फोटो पर कमेंट कर 5 लाख से अधिक लोगों ने क्यों मांगा न्याय? ये है वजह

लोग प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के वेरीफाइड फेसबुक पेज पर लगी प्रोफाइल फोटो पर कमेंट कर दरिंदगी का शिकार हुई किशोरी के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं.

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (फाइल फोटो) नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (फाइल फोटो)
सुजीत झा
  • पटना,
  • 18 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 9:48 PM IST

  • साल 2018 में गैंगरेप के बाद हुई थी किशोरी की हत्या
  • दो साल बाद भी नहीं मिला न्याय, फिर छिड़ा अभियान

नेपाल में दो साल पहले 13 साल की एक किशोरी के साथ हुई गैंगरेप और हत्या का मुद्दा एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है. इस मामले में दो साल से अधिक समय गुजर जाने के बावजूद अब तक कोई भी गिरफ्तारी नहीं हुई है. अब नेपाल की जनता ने सोशल मीडिया पर मुहीम छेड़ दी है. लोग प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के वेरीफाइड फेसबुक पेज पर लगी प्रोफाइल फोटो पर कमेंट कर दरिंदगी का शिकार हुई किशोरी के लिए न्याय की मांग रहे हैं.

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पीएम ओली की प्रोफाइल फोटो पर 24 घंटे के अंदर 5 लाख 30 हजार से अधिक लोगों ने कमेंट कर न्याय की गुहार लगाई है. डीपी पर किए जा रहे कमेंट्स में एक बालिका की तस्वीर लगे पोस्टर भी पोस्ट किए गए हैं, जिन पर लिखा है कि 750 दिन से अधिक गुजर गए, अब तक कुछ नहीं हुआ. गैंगरेप के बाद हत्या की इस वारदात के दोषियों को गिरफ्तार करने और कड़ी सजा दिलाने की मांग लोग दो साल से कर रहे हैं, लेकिन अब तक इस मामले में एक भी गुनहगार तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच सके हैं.

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थक-हारकर युवाओं ने सोशल मीडिया पर अभियान चलाते हुए नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली के आधिकारिक फेसबुक पेज की प्रोफाइल फोटो पर कमेंट कर न्याय मांगने की मुहिम शुरू की है. इस अभियान की शुरुआत हुई तो आम लोगों का भी पुरजोर समर्थन मिला. महज 24 घंटे के भीतर ही पीएम ओली के फेसबुक पेज की प्रोफाइल फोटो पर करीब 5 लाख 30 हजार लोगों ने कमेंट कर दिए. नेपाल में ट्विटर पर भी न्याय की मांग को लेकर चलाया जा रहा हैशटैग ट्रेंड कर रहा है.

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लोगों ने पीएम के प्रोफाइल पिक्चर में एक फोटो भी post किया है जिस पर 750+ डेज बट नो जस्टिस लिखा हुआ है. इसी तरह उस फोटो में नेपाली में लिखा है "सरकार भेटियो न्याय भेटिएन" यानी सरकार तो मिल गई पर न्याय नहीं मिला.

क्या है पूरा मामला?

नेपाल के कंचनपुर जिले के भीमदत्त नगरपालिका निवासी 13 साल की किशोरी का शव 27 जुलाई 2018 को खेत में मिला था. किशोरी के माता-पिता ने बताया कि उनकी बेटी एक दिन पहले ही अपनी सहेली के यहां गई थी, लेकिन रात को लौट कर नहीं आई. 26 जुलाई 2018 को ही उसके साथ गैंगरेप की वारदात हुई और उसकी हत्या कर शव खेत में फेंक दिया गया था. इस घटना को लेकर नेपाल में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन हुए थे. न्याय की मांग को लेकर लंबा आंदोलन भी चला. स्थानीय नागरिक इस घटना के पीछे किसी हाईप्रोफाइल व्यक्ति के होने की आशंका जताते हुए पुलिस पर मामले को दबाने का आरोप भी लगाया. कंचनपुर में उग्र प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने फायरिंग भी की थी, जिसमें एक प्रदर्शनकारी की गोली लगने से मौत हो गई थी.

एसपी हुए थे सस्पेंड

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पुलिस पर कई सवाल खड़े हुए तो जांच में लापरवाही बरतने के आरोप में जिले के पुलिस अधीक्षक समेत करीब आधा दर्जन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया था. उत्तेजित लोगों को विश्वास में लेकर शांत कराने के लिए तब जिलाधिकारी का भी तबादला कर दिया गया, दबाव में पुलिस ने जिस किसी पर थोड़ा भी शक हुआ, उसी को गिरफ्तार कर लिया. कई गिरफ्तारियां हुईं लेकिन ठोस सबूत के अभाव में पुलिस किसी को भी अदालत तक नहीं पहुंचा पाई. यहां तक कि किशोरी वारदात के दिन अपनी जिस सहेली के घर गई थी, उस सहेली, सहेली की बहन और मां को भी कई दिन तक हवालात में रखा गया. लेकिन कोई सबूत नहीं मिलने पर पुलिस को उन्हें छोड़ना पड़ा था.

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