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यहां माहवारी को माना जाता है अशुद्ध, एकांत झोपड़ी में रखी जाती हैं महिलाएं

एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि अछाम जिले के तुरमाखाद ग्रामीण नगरपालिका-तीन में कल ‘छाउपडी’ झोपड़ी में गौरी बयाक (बुधा) मृत पाई गई. उसे उसके पड़ोसियों ने मृत पाया.

छाउपडी प्रथा छाउपडी प्रथा
रोहित
  • नेपाल,
  • 09 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 9:36 PM IST

नेपाल में गैर-कानूनी घोषित कर दिए जाने के बाद भी प्रचलित ‘छाउपडी’ प्रथा ने आज एक और महिला की जान ले ली. हिंदू धर्म की इस प्रथा में माहवारी से गुजर रही महिला को उसके घर से दूर एक एकांत झोपड़ी में रहने के लिए छोड़ दिया जाता है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि अछाम जिले के तुरमाखाद ग्रामीण नगरपालिका-तीन में कल ‘छाउपडी’ झोपड़ी में गौरी बयाक (बुधा) मृत पाई गई. उसे उसके पड़ोसियों ने मृत पाया.

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पुलिस उपाधीक्षक दाढ़ीराम नेउपाने ने बताया, ‘उसकी मौत की वजह पोस्टमॉर्टम के बाद पता चल सकेगी .’ ग्रामीणों को संदेह है कि झोपड़ी के अंदर खुद को गर्म रखने के लिए जलाए गए अलाव के धुएं से दम घुटने के कारण गौरी की मौत हुई होगी.

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उजिर बयाक नाम के एक ग्रामीण ने बताया, ‘गौरी ने झोपड़ी के भीतर आग जलाई थी. नींद में धुएं से दम घुटने के कारण उसकी मौत हुई होगी.’ नेपाल के कई समुदाय के लोग माहवारी से गुजर रही महिलाओं को अशुद्ध मानते हैं. कुछ सुदूर इलाकों में ऐसी महिलाओं को माहवारी के दौरान घर से दूर बनी झोपड़ी में सोने को मजबूर किया जाता है. इसी प्रथा को ‘छाउपडी’ कहते हैं. पिछले साल अगस्त में नेपाल सरकार ने ‘छाउपडी’ को अपराध करार दिया था और इसके दोषियों को तीन महीने जेल की सजा एवं/या 3,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान किया था.

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कानून बनाने और जागरूकता अभियान चलाने के बाद भी यह परंपरा देश के दूर-दराज के इलाकों में अब भी प्रचलित है. पिछले साल 21 साल की एक महिला और 15 साल की एक किशोरी की मौत ऐसे ही हालात में हुई थी.

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