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नेट न्यूट्रलिटी: 10 बातें, जो हमारे काम की हैं

क्या किसी को इंटरनेट की कोई सेवा या स्पीड इसलिए नहीं मिलनी चाहिए कि उसने उसके हिसाब से पैसे नहीं दिए? लेकिन अमेरिका में अब इंटरनेट सेवा को सार्वजनिक सेवाओं की तरह मान लिया गया है.

ट्राई ऑफिस ट्राई ऑफिस
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2015,
  • अपडेटेड 6:41 PM IST

क्या किसी को इंटरनेट की कोई सेवा या स्पीड इसलिए नहीं मिलनी चाहिए कि उसने उसके हिसाब से पैसे नहीं दिए? लेकिन अमेरिका में अब इंटरनेट सेवा को सार्वजनिक सेवाओं की तरह मान लिया गया है. वहां हर किसी को बराबर की सुविधा मिले इसके पक्ष में फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन ने वोट किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसके लिए दबाव बनाया हुआ था.

नेट न्यूट्रलिटी क्या है?
1. नेट न्यूट्रलिटी एक ऐसी अवधारणा है, जिसमें अपेक्षा की जाती है कि यूजर, कंटेंट, साइट, प्लैटफॉर्म, एप्लिकेशन और संचार के तरीकों के आधार पर न तो भेदभाव किया जाए और न ही अलग-अलग शुल्क लिया जाए.
2. इसमें माना ये जाता है कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर और सरकारें नेट पर सभी डेटा को बराबर तवज्जो दें.
3. ऐसा न हो कि कोई सर्विस ‘स्लो लेन’ में इसलिए अटक जाए क्योंकि उसके हिसाब से पैसे नहीं दिए गए.

अमेरिका में क्या चल रहा है?
4.
नये नियम मुताबिक ये सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी कंटेंट को ब्लॉक नहीं किया जाएगा.
5. इंटरनेट को इस आधार पर न बांटा जाए कि पैसा देकर इंटरनेट और मीडिया कंपनियां फास्ट लेन पा लें और बाकी लोगों को मजबूरन स्लो लेन मिले.

ओबामा क्या चाहते थे?
6.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसके लिए कमीशन पर दबाव बनाया हुआ था कि वह ऐसे कड़े नियम लागू करें, जिनमें इंटरनेट प्रोवाइडर्स को सार्वजनिक सेवाओं की तरह माना जाए.
7. ओबामा ने कहा भी था, “कोई सर्विस ‘स्लो लेन’ में इसलिए नहीं अटकनी चाहिए क्योंकि उसने पैसे नहीं दिए हैं.”

भारत में क्या व्यवस्था है?
8.
टेलीकॉम कंपनियां स्काइप और वाइबर के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए अब वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) सेवाओं के लिए कस्टमर से अलग से चार्ज लेना चाहती हैं. इस मसले पर ट्राई जहां डिस्कशन पेपर लाने की तैयारी में है. वहीं, डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम नेट न्यूट्रलिटी को बरकरार रखना चाहता है.
9. पिछले साल एक मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर ने वीओआईपी यानी वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल सेवाओं पर एक जीबी डाटा के इस्तेमाल पर 1,000 रुपये तक चार्ज लेने का ऐलान किया था. जब इसका चौतरफा विरोध होने लगा और टेलीकॉम नियामक संस्था ट्राई ने इस पर डिस्कशन पेपर लाने की बात की तो कंपनी ये प्रस्ताव को वापस ले लिया.
10. टेलीकॉम कंपनियों को स्काइप और वाइबर जैसे एप्स के इस्तेमाल पर ग्राहकों से चार्ज लेने की छूट दी जाए या नहीं, इस पर सरकार के विभागों में ही एक राय नहीं दिखती. डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम नेट न्यूट्रलिटी को बरकरार रखना चाहता है, जबकि ट्राई का स्टैंड अलग है.

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