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पहचान बदलने को बेताब आजमगढ़

गरीबी, पिछड़ेपन और आतंकवाद की तोहमतों से घिरा रहने वाले आजमगढ़ में विकास की बयार. सपा मुखिया मुलायम सिंह के संसदीय क्षेत्र में जमीन पर उतरीं 2,000 करोड़ रु. की विकास योजनाएं.

आशीष मिश्र
  • आजमगढ़,
  • 01 जून 2016,
  • अपडेटेड 5:25 PM IST

आजमगढ़ से मऊ जाने वाली सड़क पर 15 किमी चलने पर सठियांव चौराहा है. पिछले करीब 10 साल से वीरान पड़े इस चौराहे की रंगत इस बार कुछ अलग है. सड़कें चौड़ी हो गई हैं. चौराहे के हर तरफ कपड़ों से लेकर दुपहियों के शोरूम खुल गए हैं. शाम होते ही यह इलाका दूधिया रोशनी में नहा उठता है. सब्जी, फल और खानपान की दुकानों पर उमड़ा हुजूम मेले जैसा माहौल पैदा करता है. चौराहे से दाएं करीब पांच किमी चलने के बाद स्थित चीनी मिल की चिमनी से निकलता धुआं इलाके की बदली फिजा का रहस्य खोल देता है. 2007 से बंद पड़ी यह चीनी मिल इस साल 22 मार्च को दोबारा शुरू हुई है. 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आजमगढ़ में बंद पड़ी यह मिल चुनावी मुद्दा बन गई थी. प्रदेश में सत्तासीन समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव के आजमगढ़ से सांसद बनने के बाद चीनी मिल की सांसें लौटने की आस बंधी. चुनाव जीतने के 10 महीने बाद पिछले साल मुलायम सिंह पहली बार आजमगढ़ पहुंचे थे और सहकारी चीनी मिल, सठियांव के लिए 350 करोड़ रु. के पैकेज की घोषणा की.

बजट स्वीकृत होने के रिकॉर्ड नौ महीने के भीतर निजी-सरकारी सहभागिता (पीपीपी) मॉडल के आधार पर प्रदेश की पहली पूरी तरह से स्वचालित चीनी मिल 22 मार्च को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के उद्घाटन करते ही चल पड़ी. रोजाना 35,000 क्विंटल गन्ना पेराई की क्षमता वाली यह मिल 15 मेगावाट बिजली भी पैदा करेगी जो दूसरे चरण में 30 मेगावाट हो जाएगी. इस साल इस चीनी मिल ने 82,000 क्विंटल गन्ने की पेराई की और करीब 1,000 से अधिक गन्ना किसान परिवारों ने इस बार होली धूमधाम से मनाई. ऐसा ही बदलाव गरीबी, पिछड़ेपन और आतंकवाद की तोहमत से घिरे आजमगढ़ में दिखाई दे रहा है. 2012 के विधानसभा चुनाव में जिले की 10 सीटों में से नौ पर सपा का परचम लहराने के बावजूद मुलायम सिंह के यहां से सांसद चुने जाने के साल भर बाद ही विकास की बयार बहनी शुरू हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में विकास योजनाओं की झड़ी लगाई तो अखिलेश यादव ने आजमगढ़ के लिए 2,000 करोड़ रु. से अधिक की योजनाओं का पिटारा खोल दिया.

बिजली-पानी-सड़क पर फोकस
आजमगढ़ की विकास योजनाओं को वक्त पर निबटाने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से सीधे मॉनिटरिंग हो रही है. आजमगढ़ में जिलाधिकारी रहीं और वर्तमान में उद्योग निदेशक नीना शर्मा को यहां की योजनाओं की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है. सपा सरकार ने अपने इस गढ़ में बिजली, पानी और सड़क से जुड़ी योजनाओं की झड़ी लगा दी है. बिजली विभाग पूरे शहर में फैले तारों को जमीन के अंदर कर रहा है. आने वाले दिनों में आजमगढ़ प्रदेश का पहला शहर बनेगा जहां खंभों पर बेतरतीब दौड़ते बिजली के तार बिल्कुल नहीं दिखेंगे.

किसानों के खेतों तक पानी और शहरी इलाकों में पेयजल की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सिंचाई विभाग और नलकूप खंड ने 125 करोड़ रु. से ज्यादा की लागत वाले पांच बड़े प्रोजेक्ट शुरू कर दिए हैं (देखें बॉक्स). इन सबके बीच अगर आप आजमगढ़ रेलवे स्टेशन से बाहर आएंगे तो चौड़ी सड़केंऔर सजे-धजे चौराहे किसी बड़े शहर-सा आभास कराएंगे. जिलाधिकारी सुहास एल.वाइ. ने पूरे शहर में अभियान चलाकर 15 किमी से ज्यादा लंबी सड़क को पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त करवा दिया है. इसके अलावा निजी कंपनियों की मदद से हुए सौंदर्यीकरण के बाद शहर के डेढ़ दर्जन चौराहे रात में रंग-बिरंगे फव्वारों के साथ जगमगाते हुए बदलती रंगत की ओर इशारा करते हैं.

राजनीति में मुलायम के लिए संकटमोचन की भूमिका निभा रहे लोक निर्माण और सिंचाई विभाग के मंत्री शिवपाल यादव ने भी विभागों का खजाना आजमगढ़ के लिए खोल दिया है. जिले में 100 किमी से ज्यादा नई सड़कों का निर्माण कराया गया है, जिनमें बूढऩपुर-अहरौला, मदियाबार-अहरौला मुख्य हैं. लखनऊ से बलिया तक जाने वाला पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे आजमगढ़ से होता हुआ जाएगा ही, उससे पहले तैयार होने वाला आजमगढ़-मऊ फोरलेन हाइवे पिछड़े पूर्वांचल के लिए किसी तोहफे से कम न होगा.

मोदी की योजना में बजा डंका
प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी जन धन योजना उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भले ही पिछड़ गई हो पर इसमें आजमगढ़ जिला यूपी में अव्वल साबित हुआ. अप्रैल में प्रधानमंत्री जन धन योजना में अच्छा करने वाले सामान्य श्रेणी के जिलों में पूरे देश में कुल तीन का चयन हुआ जिसमें पश्चिम बंगाल का उत्तरी चौबीस परगना, राजस्थान का जयपुर और यूपी का आजमगढ़ था. इसके लिए आजमगढ़ के युवा जिलाधिकारी सुहास एल.वाइ.के. को केंद्र सरकार ने सम्मानित किया है.
जिला प्रशासन और बैंकों ने मिलकर पूरे जिले में करीब 800 ‘‘बिजनेस प्रतिनिधि’’ तैनात किए थे. इन प्रतिनिधियों ने गांव-गांव घूमकर लोगों को प्रेरित किया और निर्धारित अवधि में आजमगढ़ में आठ लाख से अधिक खाते खुल गए. इनमें से दो लाख खाताधारकों को दुर्घटना बीमा से जोड़ा गया तो 2,500 जरूरतमंद खाताधारकों का सामाजिक सुरक्षा स्कीम के तहत चयन किया गया जो खाते में पैसा न होने के बावजूद तयशुदा सीमा तक धन निकाल सकते हैं. अचरज में आए केंद्र सरकार के अधिकारियों ने जन धन योजना की हकीकत जानने के लिए दो स्वतंत्र प्रेक्षक आजमगढ़ भेजे. उनकी रिपोर्ट के बाद केंद्रीय कॉल सेंटर के जरिए सीधे लाभार्थियों से संपर्क साधा गया. कई स्तरों की पड़ताल के बाद आजमगढ़ देश के उन छह जिलों में शुमार हुआ जिन्होंने इस योजना में सराहनीय काम किया था.

अनदेखी से कराह रही तमसा
वाराणसी में गंगा नदी के घाटों के सौंदर्यीकरण की कोशिशों ने जोर पकड़ा तो अखिलेश यादव ने यहां बीचोबीच बहने वाली वरुणा नदी को साफ और किनारों को सुंदर बनाने के लिए अपनी सरकार की ताकत झोंक दी है. लेकिन आजमगढ़ की सीमा से बहने वाली पौराणिक नदी तमसा की किस्मत वरुणा जैसी नहीं है. फैजाबाद के रुदौली से निकलने वाली तमसा भयंकर प्रदूषण से कराह रही है और इसका पानी आजमगढ़ तक आते-आते काला पड़ जाता है. इसके लिए आवाज उठा रहे एस.के. सत्येन कहते हैं, ‘‘पिछले दो दशकों में जैसे ही आजमगढ़ और आसपास के जिलों में विकास ने कुछ गति पकड़ी, उद्योगों का कचरा और शहरी नालों का गंदा पानी तमसा में डाला जाने लगा.’’

आज स्थिति यह है कि आजमगढ़ जिले के धरमूनाला, कोलघाट, हरिबंशपुर, सिधारी, दौलतपुर जैसे एक दर्जन से अधिक नालों का पानी बिना किसी ट्रीटमेंट के तमसा नदी में गिर रहा है. नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी ए.के. सिन्हा बताते हैं कि तमसा में गिरने वाले नालों के पानी के ट्रीटमेंट की योजना जल निगम के पास लंबित है. वैसे तो आजमगढ़ जिले में कुल 12 नदियां हैं. इनमें घाघरा और तमसा बड़ी नदियां हैं तो बाकी छोटी नदियों में छोटी सरयू, उदंती, बेसो, कुंवर, सिलनी जैसी नदियां भी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं. रही-सही कसर सूखती नदियों के किनारों पर हो रहे अतिक्रमण ने पूरी कर दी है. आजमगढ़ जिला मुख्यालय के इर्दगिर्द मौजूद शारदा तिराहा, पुराना पुल, बावली मोड़ जैसे इलाकों में नदी की जमीन पर कंक्रीट के जंगल फैलते जा रहे हैं, पर संबंधित अधिकारी आंख मूंदे हुए हैं.

विकास की पूरी होती योजनाओं के बीच निजामाबाद के खुदादादपुर में 15 मई की रात से शुरू हुए सांप्रदायिक दंगों ने एक बार फिर लोगों के बीच बंटवारे की दीवार खड़ी कर दी है. आजमगढ़ के अजीम शायर कैफी आजमी ने लिखा हैः आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है, आज की रात न फुटपाथ पे नींद आएगी, सब उठो, मैं भी उठूं, तुम भी उठो, कोई खिड़की इस दीवार में खुल जाएगी. राहुल सांकृत्यायन, अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘‘हरिऔध’’ की सरजमीं की असल पहचान के लिए यह ‘‘खिड़की’’ तो खोलनी ही पड़ेगी.

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