उनका कॉर्पोरेट करियर बढिय़ा चल रहा था. वे एक आइटी कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर काम कर रही थीं. लेकिन उनका इरादा कुछ नया करने का था. सो उन्होंने उसी इंडस्ट्री में जाने का मन बनाया, जहां उनके दो भाई नाम कमा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं अनुभूति कश्यप की. वे बताती हैं, ‘‘मेरे भाइयों (अनुराग कश्यप और अभिनव कश्यप) के फिल्मों में होने के बावजूद मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं इस इंडस्ट्री का हिस्सा बनूंगी. मैंने अनुराग से कुछ समय साथ बिताने के लिए कहा. मुझे आमिर में असिस्टेंट डायरेक्टर का मौका मिल गया और फिर मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.’’
उन्होंने हाल ही में शॉर्ट फिल्म मोइ मरजानी बनाकर बॉलीवुड में दस्तक दी है. वे कहती हैं, ‘‘मैं अब फिल्म डायरेक्ट करूंगी. फिल्म की स्क्रिप्ट पर काम पूरा हो गया है.’’ इस सवाल पर कि कश्यप नाम ने उनकी कितनी मदद की, उनका जवाब था, ‘‘अभी तो मुझे इस इंडस्ट्री में अपना करियर बनाना है. देखते हैं, उनका (अनुराग का) स्टारडम मेरे कितने काम आता है. अभिनव के मामले में तो ऐसा कुछ हुआ नहीं, शायद मेरे मामले में हो जाए.’’
बॉलीवुड में अब खान, कपूर, चोपड़ा और बच्चन जैसे खानदानों के बीच नई पीढ़ी अपनों के लिए जगह बनाती नजर आ रही है. यह ऐसे लोग हैं जिन्होंने लंबे संघर्ष के बाद बॉलीवुड में कदम जमाए और अब उसी पंरपरा को आगे बढ़ा रहे हैं जो उनके सीनियर्स ने एक समय निभाई थी. हालांकि बॉलीवुड में कदम रख रहे नए रंगरूटों में ऐसे हैं जो अपने नाम के नहीं बल्कि अपने काम के दम पर आगे बढऩा चाहते हैं तो कई बड़ी खामोशी से दीदी-भैया की ठंडी छांव में कामयाबी तलाश रहे हैं. कुछ समय पहले मशहूर प्रोड्यूसर-डायरेक्टर करन जौहर ने कहा था, ‘‘मैं भाई-भतीजावाद का ब्रांड एंबेसेडर हूं.’’ बेबाक बातें करने वाले करन का इशारा बेशक कपूर और खान परिवारों की ओर रहा होगा, लेकिन बॉलीवुड में नया दौर शुरू हो गया है.
विकी डोनर से चर्चित आयुष्मान खुराना के भाई आरजे अपारशक्ति खुराना को ही लें.
वे कहते हैं, ‘‘तेरा भाई मेरा भाई, तेरा दोस्त मेरा दोस्त के दिन लद गए हैं. अब मोटा पैसा दांव पर लगा होता है, इसलिए हर कदम पर खुद को साबित करना होता है. भाई मुझे हर कदम पर गाइड कर सकते हैं क्योंकि उन्होंने जिंदगी में काफी कुछ हासिल किया है. जितना मैं सीख सकता हूं, उनसे उतना ही आप भी सीख सकते हैं.’’ नए खानदानों में (अनुराग) कश्यप, (कैटरीना) कैफ, (सिद्धार्थ) रॉय कपूर, (आयुष्मान) खुराना और (हुमा) कुरैशी खानदान शामिल हैं.
बड़े भाई इस लिस्ट में सबसे पहले अपारशक्ति का नाम आता है. आरजे और ऐक्टर अपारशक्ति जल्द ही संजीव शर्मा की सात उचक्के में नजर आएंगे. फिल्म के प्रोड्यूसर नीरज पांडे हैं. मजेदार यह कि फिल्म में काम करने के बाद वे फिर से अपने आरजे के काम पर लौट आए हैं. वे कहते हैं, ‘‘सब इत्तेफाक से हुआ. मेरा भाई फिल्मों में है, यह वजह मेरे लिए दिल्ली से मुंबई शिफ्ट करने के लिए काफी नहीं है. जब मैं दिल्ली में थिएटर कर रहा था तो उस समय इस फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर के असिस्टेंट ने मुझे देखा और फिर साइन कर लिया.’’
उनका दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में डायमंड्स का शोरूम भी है. वहीं, अनुराग कश्यप के भाई अभिनव ने कई साल तक संघर्ष किया और अपनी स्क्रिप्ट को लेकर कई लोगों से मिलते रहे लेकिन आखिर में उन्हें दबंग (2010) डायरेक्ट करने को मिली. अब वे बेशर्म की शूटिंग में व्यस्त हैं. फिल्म में रणबीर कपूर हीरो हैं.
दूसरी ओर यूटीवी के सीईओ सिद्धार्थ रॉय कपूर के भाई आदित्य रॉय कपूर कहते हैं, ‘‘हम तीनों भाई एक-दूसरे के काम में दखल नहीं देते.’’ इस साल आदित्य की आशिकी-2 और ये जवानी है दीवानी, दोनों फिल्मों ने 100 करोड़ रु. का कारोबार किया है. खास यह कि ये जवानी है दीवानी का डिस्ट्रीब्यूशन यूटीवी मोशन पिक्चर्स ने किया था जबकि उनके भाई कुणाल रॉय कपूर भी इस फिल्म में थे.
दूसरी ओर 12 साल तक बॉलीवुड में संघर्ष कर चुके नवाजुद्दीन सिद्दीकी गैंग्स ऑफ वासेपुर से अपना लोहा मनवा चुके हैं. अब बारी उनके भाई शमास सिद्दीकी की है. वे क्राइम पैट्रोल सीरियल के एपिसोड डायरेक्ट कर चुके हैं. नवाजुद्दीन कहते हैं, ‘‘शमास की फिल्म की शूटिंग इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगी. उसकी पहली फिल्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर आधारित क्राइम थ्रिलर होगी.’’ यह बॉलीवुड में भाईचारे की ताजा तस्वीर है.
दीदी की मेहरबानियांहालांकि टॉप हीरोइनों के मामले में यह कहानी कुछ अलग है जो अपनी बहनों को आगे बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहीं हैं. कैटरीना कैफ इसकी सबसे बड़ी मिसाल हैं. बॉलीवुड में अपनी बहन इजाबेल का करियर सेट करने के लिए वे सब कुछ कर रही हैं. इजाबेल डॉ. कैबी नाम की फिल्म में आ रही हैं.
इसमें कुणाल नय्यर उनके हीरो हैं. कैटरीना की मेहनत रंग ला रही है और तभी तो उनके पुराने दोस्त सलमान खान ने डॉ. कैबी को को-प्रोड्यूस करने का फैसला लिया. कैटरीना ने 2003 में कैजद गुस्ताद की फिल्म बूम के साथ करियर शुरू किया था. फिल्म औंधे मुंह गिरी थी. उन्हें सरकार के साथ बड़ा ब्रेक मिला और उसके बाद से ब्रिटिश मूल की कैटरीना हिट हैं. उनके अलावा छह बहनें और एक भाई हैं.
उधर, प्रियंका चोपड़ा भी इस दौड़ में हैं. प्रियंका ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम क्या रखा उनके पूरे परिवार की लड़कियों की राह खुल गई. उन्होंने अपनी कजन (परिणीति चोपड़ा और मीरा चोपड़ा) का कभी खुलकर पह्न नहीं लिया. अकसर उनके बीच तनाव की बातें भी आती रही हैं. लेकिन पिछले साल परिणीति ने इशकजादे के साथ लीड रोल में आगाज किया. इस साल बारी मीरा की है. वे सतीश कौशिक की गैंग्स ऑफ गोस्ट में आ रही हैं. उन्होंने विक्रम भट्ट की 1920 लंदन (हॉरर फ्रेंचाइजी 1920 की अगली कड़ी) भी साइन की है. यानी परिवार हर दिन के साथ फैलता ही जा रहा है.
उधर, गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012) से करियर शुरू करने वाली हुमा कुरैशी और उनके भाई साकिब सलीम का करियर भी बॉलीवुड में हर दिन के साथ खूब फल-फूल रहा है. साकिब 2012 में मुझसे फ्रेंडशिप करोगे के साथ बॉलीवुड में आए थे और हाल ही में उनकी बॉम्बे टॉकीज रिलीज हुई जिसमें उन्होंने रणदीप “हुड्डा को किस भी किया था. उनके पिता सलीम्स नाम से दल्ली में रेस्तरां चेन चलाते हैं. हुमा 2008 में मुंबई आईं और अनुराग कश्यप ने उन्हें विज्ञापन में देखने के बाद चुना था वहीं साकिब ने पिता के कारोबार में हाथ बंटाने की बजाए फिल्मों में हाथ आजमाने के बारे में सोचा और 2010 में मुंबई का रुख किया. हुमा कहती हैं, ‘‘मेरा भाई मेरा बेस्ट फ्रेंड है.’’
सयाने संबंधबात सिर्फ भाई-बहनों तक ही सीमित नहीं है. अगर बॉलीवुड में बनने वाले रिश्तों पर नजर डालें तो उनमें कई तरह के समीकरण नजर आ जाते हैं. हालांकि इन रिश्तों में दिल को ऊपर रख सकते हैं लेकिन गौर से देखने पर इसमें पावर इक्वेशन भी झ्लक जाती हैं. अब सिद्धार्थ रॉय कपूर को ही लें. विद्या बालन से उनकी शादी को इसी कड़ी में देखा जा सकता है. सिद्धार्थ यूटीवी के सीईओ और विद्या बालन टॉप हीरोइन.
यहां हम याद कर सकते हैं कि करीना कपूर और सैफ अली खान की प्रेम कहानी भी इसी कड़ी का हिस्सा है. हालांकि दोनों ही परिवारों को प्रोफेशनल मोर्चे पर असफलता हाथ लगी फिर चाहे वह करीना-सैफ की एजेंट विनोद हो या यूटीवी की हालिया फीकी फिल्म घनचक्कर जिसमें विद्या बालन लीड में थीं.
वैसे भी यह मानवीय स्वभाव रहा है कि वह अपने करीबियों को ही आगे बढ़ाता है. फिर एक ऐसा देश जहां राजनीति से लेकर इंडस्ट्री तक परिवारों का ही बोलबाला है तो ऐसे में मायालोक कैसे अछूता रह सकता है. और दर्शक भी इन सितारों को हाथोहाथ लेने से पीछे नहीं रहते.
हालांकि बॉलीवुड की नई पीढ़ी परिवारवाद के मामले में थोड़ा हटकर है. ये लोग अपने सरनेम नहीं बल्कि टैलेंट के दम पर छाप छोडऩा चाहते हैं. तभी तो अनुभूति कहती हैं, ‘‘मेरे दोनों भाइयों को मोई मरजानी पसंद आई. उन्हें यह अच्छा सब्जेक्ट तो लगा लेकिन वे इसके कायल नहीं हो पाए.’’ जबकि अपारशक्ति कहते हैं, ‘‘ऐसा सिर्फ बॉलीवुड ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में है. पुराने लोग नए की राह बनाते हैं. यह सही है कि नई पीढ़ी बेहतरीन काम कर रही है. वे पैशन, टैलेंट और एनर्जी से सराबोर हैं. फिर चाहे रणबीर, इमरान या आयुष्मान ही क्यों न हों.’’ बेशक टैलेंट तो अपनी राह खोज ही लेता है.