
सरकार ने रक्षा अधिकारियों के स्टेटस में गिरावट करने का फैसला कर लिया है. ये गिरावट उनके समकक्ष सिविल सेवा अधिकारियों की तुलना में की गई है. सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जिससे यह स्पष्ट हो पाया है.
एक सिविलयन प्रिंसिपल डायरेक्टर, जो कि एक ब्रिगेडियर के बराबर था, अब टू स्टार जनरल के बराबर कर दिया गया है. एक डायरेक्टर रैंक का ऑफिसर ब्रिगेडियर के बराबर और एक जॉइंट डायरेक्टर कर्नल के बराबर है. फैसले ने सैन्य हलकों में असंतोष पैदा किया है.
अब तक, एक कर्नल एक निर्देशक और एक संयुक्त निदेशक के एक लेफ्टिनेंट कर्नल के बराबर है. 18 अक्टूबर को इस संबंध में एक पत्र जारी किया गया. रक्षा मंत्री द्वारा इसे मंजूर किया गया है. कई सैन्य अधिकारियों ने इस पर निराशा व्यक्त की है. जारी पत्र में रक्षा अधिकारियों और सशस्त्र बलों के मुख्यालय सिविल सेवा अधिकारियों के बीच समानता की जानकारी दी गई है.
माना जा रहा है कि इससे सिविल और सैन्य अधिकारियों के बीच खाई बढ़ जाएगी, इस समस्या का समाधान किया जाना चाहिए. सूत्रों की मानें तो सैनिकों के मनोबल के लिए, इस आंतरिक लड़ाई में जीत बहुत महत्वपूर्ण है. इस लेटर ने उस विवाद को बढ़ा दिया है, जब सशस्त्र बलों और मंत्रालय की 7 वें वेतन आयोग की रिपोर्ट और वन रैंक वन पेंशन पर सोच अलग है.