
जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा में बने 164 कानून खत्म हो जाएंगे जबकि 166 कानून सूबे के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद भी लागू रहेंगे. खत्म होने वाले कानूनों में रेरा है. संपत्ति की खरीद-फरोख्त से जुड़ा ये कानून राज्य में रियल एस्टेट सेक्टर को नियंत्रित करता था. अब इसका स्थान केंद्र का रेरा लेगा, केंद्र शासित क्षेत्रों में केंद्र का रेरा लागू रहता है.
राज्य सरकार का बनाया जीएसटी कानून जस का तस लागू रहेगा. राज्य विधानसभा के बनाए 7 कानूनों को कुछ संशोधनों के साथ लागू किया जाएगा. ये प्रावधान जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों में लागू होंगे.
लोकसभा से पारित जम्मू-कश्मीर रिऑर्गेनाइजेशन विधेयक, 2019 के मुताबिक, आधार कानून, आनंद मैरिज एक्ट, शत्रु संपत्ति कानून, भारतीय दंड संहिता जैसे 106 केंद्रीय कानून जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित क्षेत्र में लागू होंगे. साथ ही राज्य के 7 कानूनों में संशोधन होंगे. कुछ संशोधनों के साथ ये लागू होंगे. इनमें ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, लैंड ग्रांट एक्ट, कृषि सुधार कानून, जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन एक्ट भी शामिल हैं.
जम्मू-कश्मीर आनंद मैरिज एक्ट, जम्मू-कश्मीर क्रिमिनल लॉ एमेंडमेंट एक्ट, जम्मू कश्मीर एंप्लाई प्रोविडेंट फंड एक्ट 1961, हिंदू मैरिज एक्ट जैसे राज्य में बने 153 कानून खत्म हो जाएंगे. इसके अलावा 11 गवर्नर्स एक्ट भी समाप्त हो जाएंगे. इनमें जम्मू-कश्मीर का रियल एस्टेट (रेगुलेशन ऐंड डेवलपमेंट) एक्ट 2018, स्टेट कमीशन फॉर वूमन और चाइल्ड राइट्स एक्ट 2018 जैसे कानून शामिल हैं.
गवर्नर्स एक्ट समेत राज्य में पहले से लागू 166 कानून बरकरार रहेंगे. इनमें जम्मू-कश्मीर गुड्स एंड सर्विसेज एक्ट 2017, कृषि सुधार कानून, सिविल कोर्ट्स एक्ट, डेवलपमेंट एक्ट, हाइवे एक्ट, कश्मीर सिल्क प्रोटेक्शन एक्ट, मुस्लिम मैरिज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1981, पंचायती राज कानून 1989 जैसे एक्ट शामिल हैं.
इसके अलावा संसद से पारित जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक में विधानसभा की भी नई व्यवस्था दी गई है. राज्य में अब राज्यपाल नहीं, उप-राज्यपाल होगा ठीक दिल्ली और पुदुच्चेरि की तरह. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की प्रस्तावित विधानसभा में 107 सदस्य होंगे लेकिन 24 सीटें खाली रहेंगी क्योंकि ये पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर) के अधीन हैं. ये सीटें मौजूदा जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भी खाली रहती हैं.
कुछ सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित होंगी. आरक्षण में आबादी के मुताबिक प्रतिनिधित्व का तय फार्मूला अपनाया जाएगा. महिलाओं के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था होगी.
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