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LG की आपत्ति के बाद बदलाव कर वैट कानून को दिल्ली कैबिनेट की मुहर

दिल्ली कैबिनेट ने एक बार फिर दिल्ली में वैट कानून में बदलाव का प्रस्ताव पास कर दिया है. दरअसल केजरीवाल सरकार ने पिछले साल वैट अधिकारियों को चार्जशीट दायर करने का अधिकार दिया था.

LG की आपत्ति के बाद बिल में बदलाव किया गया LG की आपत्ति के बाद बिल में बदलाव किया गया
अमित कुमार दुबे/कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 10:21 AM IST

दिल्ली कैबिनेट ने एक बार फिर दिल्ली में वैट कानून में बदलाव का प्रस्ताव पास कर दिया है. दरअसल केजरीवाल सरकार ने पिछले साल वैट अधिकारियों को चार्जशीट दायर करने का अधिकार दिया था. जिसे बिना उपराज्यपाल की मंजूरी के दिल्ली विधानसभा में पास भी करवा दिया गया. लेकिन तकरीबन एक महीने पहले उपराज्यपाल ने इस बिल को ये कहते हुए वापस कर दिया कि इसमें कुछ गड़बड़ियां हैं, मसलन कई अधिकार ऐसे हैं जो दिल्ली सरकार अपने वैट अधिकारियों को नहीं दे सकती लेकिन फिर भी इस बिल के जरिए दे दिए गए हैं.

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गवर्नर की आपत्ति के बाद बदलाव
बुधवार को हुए कैबिनेट मीटिंग में दिल्ली सरकार ने उस हिस्से को बिल से हटा दिया जिसमें पुलिस की ताकतों को वैट अधिकारियों को देने की बात कही गई थी. दिल्ली कैबिनेट ने वैट कानून की धारा 92 में प्रस्तावित उस संशोधन को वापस लेने का फैसला लिया है जिसमें अगर किसी कारोबारी को वैट कानून के अलावा भी किसी मामले में दोषी पाया जाता है तो वैट अधिकारी उस पर चार्जशीट दायर कर सकता है. अबतक अधिकारियों को महज वैट कानून के दायरे में आए अपराधों पर ही कार्रवाई का अधिकार होता था.

खास कोर्ट बनाने की तैयारी
लेकिन केजरीवाल कैबिनेट ने वैट संबंधित कानून के अंदर आए मामलों में एक खास कोर्ट बनाने को फिर से मंजूरी दे दी है. साथ ही इन मामलों में सरकार एक विशेष सरकारी वकील भी नियुक्त करेगी. नए बिल में इस बात का प्रावधान भी है कि अगर वैट की चोरी एक करोड़ रुपये से ज्यादा की होगी तो सजा अधिकतम 6 महीने की जगह 2 साल तक की हो सकती है. इसके अलावा एक से ज्यादा बार दोषी पाए जाने पर न सिर्फ पेनल्टी लगेगी बल्कि जेल भी हो सकती है.

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फिर से राज्यपाल के पास जाएगा बिल
अब इस बिल को दिल्ली विधानसभा में पेश करने से पहले उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. वहां से मंजूरी के बाद ही इसे विधानसभा में दोबारा पेश करके पास करवाया जा सकता है. इससे पहले दिल्ली कैबिनेट ने विधायकों और मंत्रियों की सैलरी बढ़ाने के मामले पर भी उपराज्यपाल की आपत्तियों के बाद बिल दोबारा पास किया था.

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